लोकसभा चुनाव के नतीजों के साथ ही कुछ राज्यों में सरकार गिराने और सत्ता के समीकरण बिगाड़ने की चर्चा भी शुरू हो गई थी. बीजेपी के हाथ में दोबारा सत्ता आते ही कांग्रेस ने जोड़-तोड़ का आरोप लगाना शुरू कर दिया, वहीं बीजेपी के कुछ बड़बोले नेताओं ने भी ताश के पत्तों की तरह सरकारें गिराने का दावा ठोक दिया.
राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और अब पश्चिम बंगाल की सरकार पर खतरा मंडराता दिख रहा है. इस खतरे के लिए विपक्षी दल बीजेपी पर आरोप लगा रहे हैं. लेकिन ये पहली बार नहीं है जब बीजेपी पर सरकार का तख्तापलट करने के आरोप लगे हों, इससे पहले भी कई राज्यों में बीजेपी अपने विरोधियों के मुंह से निवाला छीन चुकी है.
बीजेपी राज्यों में कमजोर सरकार को पटखनी देने में माहिर मानी जाती है. बीजेपी के इस तोड़-फोड़ के तरीके को उसके विपक्षी दल ‘ऑपरेशन कमल’ के नाम से जानते हैं. अब एक बार फिर ऑपरेशन कमल की सुगबुगाहट तेज हुई है. जिन राज्यों में सरकारें अल्पमत में हैं, वहां हलचल मची हुई है.
राजस्थान में मचा घमासान
राजस्थान में कांग्रेस ने सत्ता का सुख तो पा लिया, लेकिन अभी तक सरकार स्थिर नहीं है. कामकाज संभालने की जगह सरकार अपने विधायकों को संभालने में जुटी है. अशोक गहलोत पर कई तरह के आरोप लग रहे हैं. वहीं पार्टी के कुछ विधायक उनसे नाराज भी चल रहे हैं. ऐसे में बीजेपी को एक बार फिर सेंध लगाने का मौका मिल चुका है. यहां की 200 विधानसभा सीटों में से 100 कांग्रेस के खाते में आईं, जिसके बाद बीएसपी ने अपने 6 विधायकों के साथ कांग्रेस को समर्थन दिया. अगर पार्टी के 7 विधायक टूटते हैं तो सरकार अल्पमत में आएगी और यहां राष्ट्रपति शासन लगने के आसार हैं.
राजस्थान बीजेपी उपाध्यक्ष ज्ञानदेव आहूजा ने हाल ही में दावा किया था कि राजस्थान सरकार में मौजूद बीएसपी के सभी विधायक नाराज चल रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने ये भी दावा कर दिया था कि कांग्रेस के 20 से 25 विधायक खुश नहीं हैं.
मध्य प्रदेश में विधायकों की गोलबंदी
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार की सेहत भी फिलहाल कुछ ठीक नहीं है. यहां भी विधायकों को पकड़े रखना कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. कमलनाथ आरोप लगा चुके हैं कि बीजेपी विधायकों को खरीदने के लिए करोड़ों रुपये और मंत्रीपद का लालच दे रही है. यहां बीजेपी को सत्ता छीनने के लिए सिर्फ 7 विधायकों की जरूरत है. कुल 230 सीटों में से कांग्रेस को 114 सीटें मिलीं, जबकि बीजेपी के पास 109 सीटें हैं. एक एसपी, दो बीएसपी और चार निर्दलीय विधायकों के समर्थन से कांग्रेस ने सरकार बनाई है.
बीजेपी नेता मध्य प्रदेश में बयानबाजी से माहौल गरम रखने की कोशिश में जुटे हैं. पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी सरकार गिराने के संकेत दिए थे. उन्होंने कहा था कि बीजेपी जोड़-तोड़ की राजनीति नहीं करती है, लेकिन कांग्रेस सरकार अपने कर्मों की वजह से खुद गिर जाएगी. उनके अलावा नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी नेता गोपाल भार्गव ने तो ये तक कह दिया था कि कांग्रेस सरकार एक महीने भी नहीं चल पाएगी.
कर्नाटक में फिर सरकार गिराने की कोशिश
कर्नाटक में पिछले कुछ महीनों से सरकार बचाने, गिराने और बनाने का खेल चल रहा है. फिलहाल यहां कांग्रेस-जेडीएस की सरकार अपना किला बचाने में जुटी है. वहीं बीजेपी कई बार इस गठबंधन की सरकार को गिराने की कोशिश कर चुकी है. हाल ही में कांग्रेस ने अपने 6 विधायकों के गायब होने का आरोप लगाया था. जिसके बाद खूब सियासी ड्रामा देखने को मिला. बीजेपी ने भी अपने सभी विधायकों को गुरुग्राम के एक रिजॉर्ट में बंद कर दिया. अब एक बार फिर लोकसभा में बीजेपी की जीत के बाद कर्नाटक सरकार को गिराने की खबरें सुर्खियों में हैं.
पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने के बाद अब बीजेपी की नजरें राज्य सरकार पर हैं. बीजेपी नेता दावा कर चुके हैं कि पश्चिम बंगाल सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी. खुद पीएम मोदी ने टीएमसी के 40 विधायकों के संपर्क में होने की बात कही थी. वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने दावा किया है कि पश्चिम बंगाल में अगले 6 महीने में विधासभा चुनाव होंगे. वहीं हाल ही में टीएमसी के 3 विधायकों और 60 पार्षदों ने बीजेपी ज्वॉइन कर ली. बीजेपी नेता अभी और कई टीएमसी विधायकों के पार्टी छोड़ने का दावा कर रहे हैं.
इन राज्यों में सफल हुआ 'ऑपरेशन कमल'
बीजेपी पहले से ही अपने काउंटर अटैक के लिए जानी जाती है. ऐसा ही मेघालय में भी देखने को मिला था. जहां कांग्रेस को 21 सीटें मिली थीं और बीजेपी को सिर्फ दो सीटें, लेकिन फिर भी यहां बीजेपी ने सरकार बना ली. बीजेपी ने पांच दलों और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन से सरकार बनाकर कांग्रेस के सपने चकनाचूर कर दिए. ठीक ऐसा ही गोवा में भी देखने को मिला. जहां कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी सरकार नहीं बना पाई. वहीं बीजेपी ने गठजोड़ के सहारे सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया.
त्रिपुरा जिसे वामपंथ का किला कहा जाता था, उसे बीजेपी ढहाने में कामयाब रही. करीब 25 साल पुराने इस किले को 2018 में हुए विधानसभा में बीजेपी ने गिरा दिया. 2013 में जहां 50 सीटों पर लड़ी बीजेपी को एक भी सीट नहीं मिली थी, वहीं 2018 में बीजेपी ने 35 सीटें जीतकर इस राज्य में भी अपनी सरकार बना ली.
अरुणाचल में दिलचस्प राजनीतिक उलटफेर
सबसे ज्यादा दिलचस्प खेल अरुणाचल प्रदेश का रहा है. यहां सत्ता की चाबी घूमकर बीजेपी के हाथों में ही आ पहुंची. इस राज्य में कांग्रेस का एकछत्र राज था. लेकिन साल 2016 में एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला. कांग्रेस के 43 विधायक एक साथ पार्टी छोड़कर पेमा खांडू की अगुवाई में नई पार्टी पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल (PPA) में शामिल हो गए.
लेकिन अभी सियासत का असली खेल बाकी था. करीब तीन महीने बाद ही पीपीए अध्यक्ष काहफा बेंगिया ने खांडू पर पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाया और कुछ विधायकों के साथ उन्हें निलंबित कर दिया. इसके बाद पेमा खांडू के साथ 33 विधायकों ने बीजेपी में शामिल होने का ऐलान कर दिया. फिर क्या था महज 11 सीटों वाली बीजेपी को साफ-साफ कमल खिलता नजर आने लगा और तुरंत सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया. विधानसभा में विधायकों की परेड कराई गई, जिसके बाद यह राज्य भी भगवा रंग में रंग गया.
अरुणाचल प्रदेश में लोकसभा चुनाव के साथ हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जबरदस्त जीत मिली. बीजेपी ने राज्य की 60 सीटों में से 41 सीटों पर कब्जा किया, वहीं कांग्रेस महज 4 सीटों पर सिमट गई.
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