लोकसभा चुनाव से पहले नेताओं के बयान काफी चर्चा में हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों में कुछ ऐसे लोगों ने सरकार के पक्ष में बयान दिए हैं जो सरकारी और संवैधानिक पदों पर कार्यरत हैं. हाल ही में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने पीएम मोदी की तारीफ में कसीदे पढ़ दिए थे. उनके अलावा नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने राहुल गांधी की न्यूनतम आय गारंटी (न्याय) योजना पर सरकार से भी पहले रिएक्शन दे दिया.
क्या बोले थे कल्याण सिंह
राजस्थान के गवर्नर और वरिष्ठ नेता कल्याण सिंह चुनावी सरगर्मी में कुछ ऐसा बोल दिया, जिससे चारों तरफ उनकी आलोचना शुरू हो गई. कल्याण सिंह ने कहा था कि 'हम बीजेपी के कार्यकर्ता हैं और चाहते हैं कि एक बार फिर बीजेपी की सरकार बने. हम सब चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी एक बार फिर पीएम बनें. यह देश के लिए जरूरी है.' कल्याण सिंह के इस बयान के बाद विपक्ष ने उन्हें जमकर घेरा. कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने कहा कि संवैधानिक पद पर रहते हुए ऐसा बयान दुर्भाग्यपूर्ण है.
गवर्नर कल्याण सिंह के इस बयान पर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि उन्होंने पद की मर्यादा भंग की है. लोकतंत्र में यह उम्मीद की जाती है कि राज्यपाल पार्टियों की राजनीति से ऊपर उठकर काम करेंगे
प्रशांत भूषण ने भी उठाए सवाल
कांग्रेस के खिलाफ बोलकर फंसे राजीव कुमार
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने न्यूनतम आय गारंटी (न्याय) योजना की घोषणा की. जिसमें हर साल गरीब परिवारों को 72 हजार देने का वादा किया गया. लेकिन बीजेपी की तरफ से किसी बड़े रिएक्शन से पहले ही राजीव कुमार ने इस मुद्दे पर बयान दे दिया. उन्होंने कहा, 'राहुल गांधी की पांच करोड़ गरीबों को सालाना 72 हजार रुपये देने के वादे से राजकोषीय अनुशासन धराशायी हो जाएगा. इस योजना से काम नहीं करने वाले लोगों को बढ़ावा मिलेगा.'
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मंगलवार को कहा कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष को चुनाव लड़ना चाहिए. उन्होंने कहा अगर वो किसी पार्टी नेता की तरह बयान देते हैं तो वो आकर चुनाव लड़ें. सिर्फ इतना ही नहीं सुरजेवाला ने कहा कि नीति आयोग को बीजेपी मुख्यालय से चलाया जाना चाहिए.
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