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बेरोजगारी डेटा पर ट्विटर यूजर्स ने कहा, ‘मोदी है तो मुमकिन है’

दोबारा पीएम बनते ही मोदी सरकार ने स्वीकारा बेरोजगारी 45 सालों में सबसे ज्यादा

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केंद्र की मोदी सरकार ने NSSO की बेरोजगारी को लेकर आई रिपोर्ट को पहले खारिज करने के बाद, अब स्वीकार कर लिया है. जनवरी में लीक हुई इस रिपोर्ट में बताया गया था कि देश में बेरोजगारी दर 45 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर है, लेकिन उस वक्त सरकार ने उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था. मगर अब दोबारा सरकार बनने के बाद इस आंकड़े को स्वीकार कर लिया है.

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मोदी कैबिनेट के कार्यभार संभालने वाले दिन जारी हुए इस डेटा में बताया गया है कि 7.8 फिसदी शहरी और 5.3 फिसदी ग्रामीण युवा बेरोजगार हैं.

अखिल भारतीय स्तर पर पर पुरूषों की बेरोजगारी दर 6.2 प्रतिशत, जबकि महिलाओं के मामले में 5.7 प्रतिशत रही.

बेरोजगारी के आंकड़े को पहले छिपाने और फिर स्वीकार करने पर ट्विटर यूजर्स ने सरकार को लताड़ा है. यूजर्स का कहना है कि चुनावों के कारण इसे छिपाया गया.

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'फेक न्यूज, बिल्कुल भी नहीं'

NSSO रिपोर्ट पर स्टोरी करने वाले जर्नलिस्ट सोमेश झा ने स्मृति ईरानी के बेरोजगारी के आंकड़ों को फेक न्यूज बताने के दावे को खारिज किया.

जर्नलिस्ट अमेय तिरोडकर ने लिखा, 'सरकार ने पिछले 45 सालों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर की रिपोर्ट को खारिज किया. अब उन्होंने इसे स्वीकार कर लिया है. मैं इसपर अरुण जेटली, पीयूष गोयल समेत उन लोगों के रिएक्शन जानना चाहूंगा, जिन्होंने इस पर सवाल खड़े किए थे.'

'मोदी के सामने बड़ा चैलेंज'

कई यूजर्स ने कहा कि जीडीपी विकास दर में गिरावट और बेरोजगारी दर में वृद्धि नई मोदी सरकार के सामने बड़ी चुनौती पेश करेंगे.

पत्रकार अखिलेश शर्मा ने लिखा, 'जीडीपी विकास दर 2 साल के निचले स्तर पर और बेरोजगारी दर में 6.1 प्रतिशत की बढ़त. मोदी सरकार 2.0 और नए वित्त मंत्री के लिए बड़ी चुनौतियां इंतजार कर रही हैं.'

सैकत दत्ता ने लिखा, 'जो सोमेश झा ने जनवरी में रिपोर्ट किया था, आखिर सरकार ने उसकी पुष्टि कर दी है. कई लोगों ने इसे 'फेक न्यूज' बता रफा-दफा करने की कोशिश की, लेकिन फैक्ट तो यही है कि बेरोजगारी सबसे उच्चतम स्तर पर है.'

यूट्यूबर ध्रुव राठी ने लिखा कि उन्होंने तीन महीने पहले इसपर वीडियो बनाया था, जिसे मोदी समर्थकों ने फेक न्यूज बताया था. आज इस डेटा की पुष्टि हो गई है.

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'शपथ ग्रहण के तुरंत बाद कर लिया स्वीकार'

कई यूजर्स ने सवाल उठाए कि कैसे सरकार ने शपथ ग्रहण के बाद इस रिपोर्ट में दिए आंकड़ों को स्वीकारा.

छात्र नेता उमर खालिद ने लिखा, 'चुनाव खत्म. डेटा आउट.'

एक यूजर ने लिखा, 'डेटा रिलीज करने की टाइमिंग क्रिकेट में कोहली की टाइमिंग से भी बेहतर है.'

एक अन्य यूजर ने लिखा, 'जीडीपी में गिरावट, बेरोजगारी में वृद्धि, इंडिया ने अपने ही हेलिकॉप्टर को निशाना बनाया... ऐसी सभी खबरों को चुनावों से पहले दबा दिया जाता था. अब वो ऑफिशियली बाहर आ रही हैं. '

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'मोदी है तो मुमकिन है'

असदुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी पर हमला करते हुए ट्वीट किया, 'मोदी अपने खुद के औसत रिकॉर्ड को भी बेहतर नहीं कर सकते. बेरोजगारी का रिकॉर्ड? जीडीपी में गिरावट? मोदी है तो मुमकिन है.'

कांग्रेस के मीडिया कॉर्डिनेटर रचित सेठ ने लिखा, 'किसी को बेरोजगारी की नहीं पड़ी है. ऐसे आंकड़े जारी कर देशद्रोही न करें. पकौड़ों पर ध्यान दें.'

सीपीएम के सचिव सीताराम येचुरी ने लिखा, 'इस डेटा को छिपाया गया, फिर मंत्रियों ने दावा किया कि ये गलत है. साफतौर पर लोगों को धोखा दिया गया.'

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला.

चुनाव से पहले लीक हुई थी बेरोजगारी के आंकड़ों की रिपोर्ट

लोकसभा चुनाव से पहले बेरोजगारी के आंकड़ों को लेकर NSSO की रिपोर्ट लीक हुई थी. इस रिपोर्ट को लेकर विपक्ष 45 सालों में सर्वाधिक बेरोजगारी दर को मुद्दा बना सरकार पर हमलावर हो गया था. हालांकि, सरकार विपक्ष के दावों को हवा-हवाई बताती रही.

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