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चुनाव 2019ः मोदी की आंधी में वंशवादी राजनीति का सूपड़ा साफ

इस बार लोकसभा चुनाव में न केवल जातीय गणित फेल हुआ है, बल्कि वंशवादी राजनीति को भी बड़ा झटका लगा है

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इस बार लोकसभा चुनाव में न केवल जातीय गणित फेल हुआ है, बल्कि वंशवादी राजनीति को भी बड़ा झटका लगा है. राजनीतिक परिवार से आने वाले ज्यादातर उम्मीदवारों को इस बार हार का सामना करना पड़ा है.

उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह का परिवार हो, या बिहार में लालू प्रसाद का परिवार हो, या फिर हरियाणा में हुड्डा परिवार और महाराष्ट्र का पवार परिवार. सभी परिवारों के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है.

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हरियाणा में हुड्डा और चौटाला परिवार

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिह हुड्डा के बेटे कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक सीट से हार गए हैं, जबकि उनके पिता सोनीपत सीट से हार गए हैं.

हरियाणा में ही पूर्व केंद्रीय मंत्री बिरेंद्र सिंह के बेटे बीजेपी उम्मीदवार ब्रिजेंद्र सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के पौत्र दुष्यंत चौटाला और पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के परिवार की तीसरी पीढ़ी के भव्य बिश्ननोई को पराजित किया.

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यूपी में मुलायम परिवार और चौधरी परिवार की हार

उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के नेता अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी चुनाव हार गए हैं. मुलायम सिंह यादव की बहू और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव भी कन्नौज में चुनाव हार गई हैं. बदायूं में मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव चुनाव हार गए हैं. जबकि फिरोजाबाद सीट से मुलायम सिंह के भाई शिवपाल और भतीजे अक्षय यादव की हार हुई है.

कांग्रेस के दिवंगत नेता जितेंद्र प्रसाद के पुत्र जितिन प्रसाद उत्तर प्रदेश की धौरहरा सीट से चुनाव हारे हैं.

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मध्य प्रदेश में सिंधिया राजपरिवार की हार

मध्य प्रदेश में ग्वालियर के सिंधिया राजघराने के ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्य की गुना सीट से चुनाव हार गए हैं. सिंधिया के लिए यह दोहरी हार है, क्योंकि वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी भी थे, जहां पार्टी का पूरी तरह सफाया हो गया है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के बड़े नेता रहे दिवंगत माधवराव सिंधिया के बेटे हैं.

महाराष्ट्र में भी हारी वंशवाद की राजनीति

महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले-पवार बारामती से तीसरी बार जीत गईं, लेकिन उनके भतीजे और पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पुत्र पार्थ मावल से चुनाव हार गए.

इसके अलावा कांग्रेस नेता दिवंगत मुरली देवड़ा के बेटे मिलिंद देवड़ा मुंबई दक्षिण सीट हार गए.

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राजस्थान में कांग्रेसी सीएम के बेटे की हार

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत जोधपुर सीट हार गए. वैभव गहलोत को बीजेपी के गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2.7 लाख के अंतर से हराया.

राजस्थान में बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह बाड़मेर लोकसभा सीट से 3.2 लाख वोटों से चुनाव हार गए हैं. मानवेंद्र सिंह ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था.

बिहार में लालू परिवार की हार

बिहार में लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का खाता तक नहीं खुला. लालू के जेल में होने के कारण पार्टी की कमान उनके पुत्र तेजस्वी यादव के हाथों में है. तेजस्वी की बहन मीसा भारती पाटलिपुत्र से चुनाव मैदान में थीं, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा है.

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तेलंगाना और कर्नाटक में भी वंशवादी राजनीति की हार

तेलंगाना में मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी कविता कलवाकुंतला निजामाबाद से चुनाव हार गईं.

कर्नाटक में पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा के पोते प्राज्वल रेवन्ना हासन से जीत गए, लेकिन एक अन्य पोते निखिल कुमारस्वामी मांड्या से चुनाव हार गए. निखिल मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के बेटे हैं. एच.डी. देवेगौड़ा खुद तुममुर सीट से चुनाव हार गए.

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