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चित्रकूट: अनुप्रिया-अखिलेश पर समान रही ब्राह्मण कृपा, दोनों को जिताई एक-एक सीट

Chitrakoot Result: दो विधानसभा सीट वाले इस जिले में एक पर एसपी ने जीत हासिल की है और दूसरे अपना दल (सोनेलाल) ने.

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उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Chunav 2022) के परिणामों में चित्रकूट (Chitrakoot) जिले की ब्राह्मण बाहुल्य सीटों की काफी चर्चा थी. हालांकि यहां ब्राह्मण वोटर्स (brahmin voters) ने अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर समान कृपा करते हुए दोनों को एक एक सीट जिताई और चित्रकूट जिले में विधानसभा चुनाव का मुकाबला टाई रहा.

दो विधानसभा सीट वाले इस जिले में एक पर एसपी ने जीत हासिल की है. तो दूसरे पर बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल सोनेलाल ने कब्जा जमाया है. मोदी-योगी लहर में भी बीजेपी के ब्राह्मण प्रत्याशी चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय चित्रकूट सीट नहीं बचा पाए. वहीं मानिकपुर सीट से अपना दल सोनेलाल के अविनाश चंद्र द्विवेदी ने जीत हासिल की है. बीजेपी ने ब्राह्मण बाहुल्य इस इलाके में दोनों ही सीटों पर ब्राह्मण प्रत्याशी उतारे थे. इनमें से एक से ब्राह्मण वोटर्स खफा था और एक से खुश था तो उसी हिसाब से वोटर्स ने जीत हार के परिणाम दिए.

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किस सीट पर क्या स्थिति ?

चित्रकूट

जीते- अनिल कुमार (एसपी)- 1,04,771 वोट

दूसरे- चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय- 83,895 वोट

तीसरे- पुष्पेंद्र सिंह (बीएसपी)- 38,711 वोट

चौथे- अविनाश चंद्र त्रिपाठी (JAP)- 2420 वोट

मानिकपुर

जीते- अविनाश चंद्र द्विवेदी (अपना दल (S)- 73,132 वोट

दूसरे- वीर सिंह पटेल (एसपी)- 72,084 वोट

तीसरे- रंजना भारती लाल पांडेय (INC)- 4110 वोट

चौथे- शिवपूजन (JAP)- 2849 वोट

चित्रकूट में कैसे हार गई बीजेपी ?

चित्रकूट में बीजेपी की हार एक सबक है. 2017 में बीजेपी ने इस सीट पर कब्जा जमाया था, लेकिन 2022 में उसे ये सीट गंवानी पड़ी. ब्राह्मण वोट बैंक और भगवा लहर के बाद भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. समझते हैं ऐसा क्यों हुआ?

  1. इस बार के चुनाव में बीजेपी के ब्राह्मण उम्मीदवार चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय को लोगों और ब्राह्मण वोट बैंक की नाराजगी का सामना करना पड़ा. वे अपने विधायक के कामकाज से खुश नहीं थी. जिसका असर चुनाव परिणामों में दिखा और एसपी के उम्मीदवार जीत गए.

  2. इस चुनाव में ब्राह्मण वोटर भी बीजेपी के खिलाफ चले गए. इसका मुख्य कारण है, असंतोष. ब्राह्मण वोटर अपने विधायक से नाराज चल रहे थे. लोगों ने इस सीट पर जाति नहीं, काम के आधार पर वोट किया है.

  3. पिछले 5 सालों में मूलभूत सुविधाओं का विकास नहीं होने से भी लोग नाराज थे. रोजगार के लिए बढ़ता पलायन भी इस बार मुद्दा था.

मानिकपुर में अपना दल (सोनेलाल) कैसे जीती ?

मानिकपुर विधानसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, लेकिन इस बार के चुनाव में वो अपनी साख बचाने में कामयाब रहीं. इसके पीछे के कारणों को समझते हैं.

  1. यहां बीजेपी के कोर वोटर्स ने अपना दल (सोनेलाल) का साथ दिया है. ब्राह्मण और कोल आदिवासी जीत हार में अहम भूमिका निभाते हैं. आदिवासी समुदाय और ब्राह्मण इस बार भी बीजेपी गठबंधन के साथ खड़ा रहा. जिसकी वजह से अविनाश चंद्र द्विवेदी चुनाव जीत गए.

  2. वीर सिंह पटेल ने पहले यहां से चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था क्योंकि उनकी विधानसभा सीट चित्रकूट सदर से बदलकर मानिकपुर कर दी गई थी. हालांकि बाद में वो मानिकपुर से लड़ने को तैयार हो गए. लेकिन वोटर्स को अपने में पक्ष नहीं कर सके.

2017 में बीजेपी का क्लीन स्वीप

2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने चित्रकूट और मानिकपुर दोनों सीटों पर जीत हासिल की थी. चित्रकूट में बीजेपी के चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय को 90 हजार 366 वोट मिले थे. तो वहीं मानिकपुर में बीजेपी के आरके पटेल ने मुकाबला अपने नाम किया था. 2019 में हुए उपचुनाव में भी बीजेपी मानिकपुर सीट बचाने में कामयाब रही थी.

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