उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी ने बाजी मारी है. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी ने राज्य में प्रचंड बहुमत हासिल किया है. अनुप्रिया पटेल के संसदीय क्षेत्र मिर्जापुर जिले में भी बीजेपी ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है. पांचों सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है. मिर्जापुर जिले में छानबे, मिर्जापुर नगर, मझवां, चुनार और मड़िहान सीटें आती हैं. इन सभी सीटों पर बीजेपी गठबंधन ने जीत हासिल की है. मिर्जापुर जिले की सभी सीटें जीतना अनुप्रिया पटेल के लिए भी प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था.
किस सीट पर क्या स्थिति ?
छानबे
जीते- एस राहुल प्रकाश (बीजेपी+)- 1,01,240 वोट
दूसरे- कीर्ति कोल (एसपी)- 63,220 वोट
तीसरे- भगौती प्रसाद चौधरी (कांग्रेस)- 3876 वोट
चौथे- धनेस्वर गौतम (बीएसपी)- 31576 वोट
मिर्जापुर
जीते- रत्नाकर मिश्र (बीजेपी)-1,18,263 वोट
दूसरे- कैलाश चौरसिया (एसपी)- 77,921 वोट
तीसरे- भगवान दत्त पाठक (कांग्रेस)- 3648 वोट
चौथे- राजेश पांडेय (बीएसपी)- 19461 वोट
मझवा
जीते- डॉ. विनोद बिंद (बीजेपी+)- 1,02,583 वोट
दूसरे- रोहित शुक्ला (एसपी)- 68,848 वोट
तीसरे- पुष्पलता बिंद (बीएसपी)- 52,289 वोट
चौथे- शिव शंकर चौबे (कांग्रेस)- 3376
चुनार
जीते- अनुराग सिंह (बीजेपी+)- 1,09,548 वोट
दूसरे- विजय सिंह उर्फ एवी भैया (बीएसपी)- 29,185 वोट
तीसरे- आर एस पटेल (एसपी+)- 62,022 वोट
चौथे- सीमा पटेल (कांग्रेस)- 4124 वोट
मड़िहान
जीते- रमा शंकर पटेल (बीजेपी)- 1,05,260 वोट
दूसरे- नागेंद्र कुशवाहा (बीएसपी)- 42,411 वोट
तीसरे- राजेन्द्र पटेल (एसपी)- 41,690 वोट
चौथे- अवधेश पटेल (अपना दल (कमेरावादी))- 23,894 वोट
मिर्जापुर में बीजेपी की जीत के बड़े कारण
1. मिर्जापुर में बीजेपी की जीत का सबसे बड़ा फैक्टर कहें तो वो मोदी-योगी फैक्टर है. पीएम मोदी और सीएम योगी ने मिर्जापुर में रैली की, जिससे जनता का मूड बदला. इसका असर चुनाव के नतीजों में देखा जा सकता है.
2. मिर्जापुर में बीजेपी की जीत का दूसरा बड़ा कारण है ब्राह्मण वोटर्स. 5 में 4 सीटों पर ब्राह्मण वोटों का अच्छा-खासा प्रभाव है. चुनाव से पहले नाराज चल रहे ब्राह्मण नेता और मतदाताओं को पार्टी मनाने में कामयाब रही. जिससे बीजेपी की जीत की राह खुल गई.
3. सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों से भी बीजेपी को फायदा हुआ है. बीजेपी राशन, आवास, किसान सम्मान निधि योजना के जरिए वोटर्स तक पहुंची.
4. समाजवादी पार्टी के टिकट वितरण में देरी और अपना दल कमेरावादी से पटरी नहीं बैठा पाने से भी बीजेपी को फायदा हुआ है.
5. मिर्जापुर में जाति-मजहब और धर्म के नाम पर भी लोगों ने वोट दिया. राजपूतों ने बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाया. नाराज लोगों को घर-घर जाकर समझाया. जिसका असर यहां के नतीजों पर पड़ा है.
"ताकत से लड़ी बीजेपी"
मिर्जापुर जिले के चुनावी नतीजों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार प्रभात मिश्रा का कहना है कि, "बीजेपी ने हिंदू-मुस्लिम कार्ड, गुंडाें पर कार्रवाई वाले मुद्दे को जनता के बीच रखा. राशन वितरण का भी फैक्टर रहा. बीजेपी पूरी ताकत से चुनाव लड़ी."
प्रभात मिश्रा आगे कहते हैं कि, "महंगाई, बेरोजगारी, स्वास्थ्य जैसे मुद्दे जनता के बीच में पहुंचा नहीं पाए जिसके कारण समाजवादी पार्टी चुनाव हारी. कांग्रेस के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं है जिस पर जनता विश्वास करे. इन सब वजह से विपक्ष बीजेपी के सामने धराशाई हो गया."
2017 के विधानसभा चुनावों में भी मिर्जापुर की सभी सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया था. चार सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार जीते थे तो एक पर बीजेपी की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) को जीत मिली थी.
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