उत्तर प्रदेश चुनाव में योगी आदित्यनाथ की वापसी हुई है, लेकिन पूर्वांचल में बीजेपी की ज़मीन खिसकी है. पार्टी को कई सीटों का नुकसान हुआ है. छठे और सातवें चरण के नतीजे बताते हैं कि पूर्वांचल में बदलाव की बयार बही है. इसे साल 2017 से तुलना कर समझ सकते हैं. यूपी चुनाव के छठे और सातवें चरण में पूर्वांचल की 111 सीटों पर वोट पड़े थे. बीजेपी को छठे फेज में 35 और सातवें फेज में महज़ 21 सीटें मिलीं. यानी कुल 56 सीटें. वहीं 2017 में 111 में से 75 सीटों पर BJP की जीत हुई थी. बहरहाल अबकी बार के चुनाव में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सभी आठ सीटों पर बीजेपी और उसकी सहयोगी दलों ने जीत हासिल की. पिछली बार की तरह अबकी बार भी पीएम मोदी का जादू चलता नज़र आया.
BJP ने अखिलेश के गढ़ आजमगढ़ में इकलौती सीट गंवाई
BJP ने मिर्जापुर और सोनभद्र में भी क्लीन स्वीप किया है. लेकिन अखिलेश यादव के गढ़ आजमगढ़ में इकलौती सीट गंवा दी. वहीं, अखिलेश यादव को पूर्वांचल में बड़ा फायदा मिला है. आखिरी के दो फेज में जिन 111 सीटों पर वोट डाले गए, उनमें से 2017 में एसपी के पास सिर्फ 13 सीट थी लेकिन अबकी बार 37 सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में आईं यानी 24 सीटों का सीधे सीधे फायदा हुआ है.
नेक टु नेक फाइट में पिछड़ी BJP
आजमगढ़ और गाजीपुर में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया. कई सीटों पर नेक टु नेक फाइट दिखी. इसकी वजह एसपी का जातीय समीकरण को साधना है. बलिया और जौनपुर में एसपी ने अपने प्रदर्शन में सुधार किया है. जौनपुर में एसपी गठबंधन ने पांच और बलिया में 3 सीटों पर जीत दर्ज की. मऊ में सिर्फ एक सीट पर बीजेपी की जीत हुई, बाकी की तीन सीटों पर एसपी-सुहेलदेव ने बाजी मारी.
हाशिए पर पहुंची BSP
प्रदेश में कभी वन और टू की रेस में रहने वाली बीएसपी हाशिए पर चली गई है. पूर्वांचल की 111 सीटों में से उसके पास 11 सीट थीं. यानी एसपी के लगभग बराबर. साल 2017 में एसपी के पास 13 सीट थीं. लेकिन अबकी बार एसपी ने गेन किया तो बीएसपी का सबसे बुरा प्रदर्शन रहा. अबकी बार बीएसपी को रसड़ा से 1 सीट पर जीत मिली. उमाशंकर सिंह ने सुहेलदेव पार्टी के उम्मीदवार को 6500 वोटों से हराया.
बाहुबलियों को लगा जोर का झटका
देश की राजनीति में पूर्वांचल के बाहुबलियों की बड़ी पूछ रही है, लेकिन अबकी बार जनता ने इन्हें भी ज़ोर का झटका दिया है. ज्ञानपुर से चार बार से विधायक रहे विजय मिश्र की बुरी हार हुई. वे तीसरे नंबर पर चले गए. निषाद पार्टी के विपुल दुबे ने एसपी के राम किशोर को 6 हजार वोटों से हराया. जौनपुर की मल्हनी से पूर्व सांसद धनंजय सिंह भी एसपी के लकी यादव से 17 हजार वोटों से हार गए.
आजमगढ़ में जीतने के लिए बदलनी होगी BJP को रणनीति
मोदी लहर में भी आजमगढ़ से मुलायम सिंह यादव और फिर अखिलेश यादव सांसद बने थे. अबकी बार के नतीजों ने भी साबित कर दिया कि एसपी की सबसे मजबूत जमीन पूर्वांचल है. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बाकी सीटों पर भी वाराणसी जैसा प्रभाव लाने के लिए नई रणनीति के साथ काम करना होगा.
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