UP Chunav Muzaffarnagar Results 2022: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) विधानसभा चुनाव में ये कहना गलत नहीं होगा कि किसान आंदोलन का असर शुगर बाऊल कहे जाने वाले वेस्ट यूपी के मुजफ्फरनगर जिले में सबसे ज्यादा देखने को मिला है. दरअसल, मुजफ्फरनगर जिले में बीजेपी को जोर का झटका लगा है. 2017 के विधानसभा चुनावों में मुजफ्फरनगर की सभी छह सीटों पर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी इस बार सिर्फ दो सीटों पर सिमट गई.
मुजफ्फरनगर की शहरी सीट और खतौली को छोड़कर बीजेपी किसी भी सीट पर कमल नहीं खिला सकी.
आइये जानते हैं मुजफ्फरनगर की एक-एक सीट के क्या रहे नतीजे और यहां से बीजेपी के हारने के मायने.
किस सीट पर क्या स्थिति
बुढ़ाना
राजपाल सिंह बलियान (RLD)- 1,31,093 (जीते)
उमेश मलिक (BJP)- 1,02,783
अनीस अहमद (BSP)- 10397
भीम सिंह (AIMIM)- 2633
मीरापुर
चंदन चौहान (RLD)- 1,07,421 (जीते)
प्रशांत गुर्जर (BJP)- 80041
मोहम्मद सलीम (BSP)- 23797
उमेश (आजाद समाज पार्टी-कांशीराम)- 1628
चरथावल
पंकज कुमार मलिक (SP)- 97363 (जीते)
सपना कश्यप (BJP)- 92029
सलमान सईद (BSP)- 25131
ताहिर हुसैन अंसारी (AIMIM)- 3234
पुरकाजी
अनील कुमार (RLD)- 92672 (जीते)
प्रमोद उटवाल (BJP)- 86140
सुरेंद्र पाल सिंह (BSP)- 27778
ऊमा किरण (आजाद समाज पार्टी-कांशीराम)- 2321
मुजफ्फरनगर
कपिल देव अग्रवाल (BJP)- 111794 (जीते)
सौरभ (SP)- 93100
पुष्पांकर दीपक (BSP)- 10733
मोहम्मद इंतजार (AIMIM)- 3750
खतौली
विक्रम सैनी (BJP)- 100651 (जीते)
राजपाल सिंह सैनी (SP)- 84306
करतार सिंह भड़ाना (BSP)- 31412
गौरव कुमार (INC)- 1209
मुजफ्फरनगर में बीजेपी की हार की अहम वजह क्या हैं?
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर 13 महीने चले किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर मुजफ्फरनगर में माना जाता है.
गाजीपुर बॉर्डर पर चले लंबे आंदोलन में आए उतार-चढ़ाव और बीजेपी नेताओं के बयान से पश्चिमी यूपी के किसानों में बीजेपी को लेकर नाराजगी थी. मुजफ्फरनगर किसान आंदोलन का केंद्र बन गया था, क्योंकि किसान नेता राकेश टिकैत का घर भी यही हैं. राकेश टिकैत लगातार बीजेपी के खिलाफ बयान दे रहे थे.
साल 2013 में मुजफ्फरनगर में हिंदू-मुस्लिम दंगे हुए थे, जिसके बाद से जाट-मुस्लिम एकता में दरार पड़ गई थी, लेकिन किसान आंदोलन के दौरान जाट-मुस्लिम एकता कई मंचों पर दिखी, साथ ही आरएलडी-एसपी गठबंधन ने कई एकता कार्यक्रम चलाए, जिससे दोनों समाज के बीच की दूरी थोड़ी कम हुई, जिसका फायदा एसपी-आरएलडी गठबंधन को मिला.
गन्ना किसानों में नाराजगी भी मुजफ्फरनगर जिले में बीजेपी की हार एक वजह मानी जा सकती है. बता दें कि योगी सरकार बनने के बाद 2017 में गन्ने के दाम 10 रुपए बढ़ाए गए थे. उसके बाद से दाम नहीं बढ़ाए गए थे, हालांकि चुनाव से पहले सितंबर 2021 में योगी सरकार ने गन्ना की कीमत 25 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ाने की घोषणा की थी. मतलब पांच साल में 35 रुपए ही बढ़े, इसे लेकर भी किसानों में बीजेपी से नाराजगी दिखी.
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