उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) में चंदौली में बीजेपी ने एक बार फिर इतिहास रचा है. बीजेपी ने चंदोली की चार विधानसभा में से तीन सीटें अपने नाम कर लीं. वहीं एक सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई है. बीएसपी का तो यहां से खाता भी नहीं खुला,.
चंदौली की 4 सीटों पर एक नजर
सैयदराजा- बीजेपी के सुशील सिंह जीते (87891 वोट मिले)
मुगलसराय- बीजेपी के रमेश जायसवाल ने जीते दर्ज की. (102216 वोट)
सकलडीहा- एसपी के प्रभु नारायण सिंह यादव जीते (86328 वोट)
चकिया- बीजेपी प्रत्याशी कैलाश खरवार को 97812 वोट मिले.
सैयदराजा विधानसभा का इतिहास
सैयदराजा विधानसभा सीट 2012 में अस्तित्व में आई, इसके पहले यह सीट चंदौली सदर के नाम से जानी जाती थी. 1952 में पहली बार चंदौली सदर सीट से कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलापति त्रिपाठी जीते थे. 2012 में इस सीट का नाम सैयदराजा हो गया, जो सामान्य सीट है. 2007 में बहुजन समाज पार्टी के शारदा प्रशाद ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार राम उजागर गौड़ को हराया था.
सैयदराजा सीट बीजेपी के सुशील ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की, सुशील सिंह को 87891 वोट मिले हैं वहीं समाजवादी पार्टी के मनोज सिंह को 76974 वोट ही मिला. बीएसपी के अमित यादव 36848 वोट पाकर तीसरे नंबर पर और कांग्रेस की विमला 2155 वोट लेकर चौथे स्थान पर रहीं.
मुगलसराय में फिर चला बीजेपी का मैजिक
मुगलसराय विधानसभा से बीजेपी के रमेश जायसवाल ने समाजवादी पार्टी के चंद्रशेखर यादव को हराया, उन्हें 102216 वोट मिले. वहीं समाजवादी पार्टी के चंद्रशेखर यादव को 87295 वोट मिले. , 2017 में बीजेपी से साधना सिंह ने जीत दर्ज की थी.
सकलडीहा सीट समाजवादी पार्टी के नाम
चंदोली की एक मात्र सीट थी जो समाजवादी पार्टी के कब्जे में गई है. SP के प्रभुनारायण यादव ने बीजेपी के सूर्यमुनि तिवारी को 16661 वोटों से हरा दिया है. सकलडीहा विधानसभा सीट 2012 के परिसीमन में अस्तित्व में आई थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर में भी समाजवादी पार्टी यह सीट बचाने में कामयाब रही थी.
चकिया विधानसभा भी बीजेपी के नाम
चकिया विधानसभा सीट बीजेपी प्रत्याशी कैलाश खरवार ने जीती है. उनको 97812 वोट मिले.जबकि समाजवादी पार्टी के जितेंद्र को 88561 वोट मिले हैं.. कैलाश खरवार ने जितेंद्र को 9251 वोटों से हराकर ये सीट अपने नाम कर ली है.
बीजेपी की जीत की वजह?
चंदोली का ज्यादातरम इलाका ग्रामीण है इस इलाके के लिए खेती की काफी अहमियत है. सरकार का किसान बिल वापस लेना उनके फेवर में गया.
वहीं खुद योगी आदित्यनाथ आखिरी वक्त में यहां रैली करने पहुंचे थे और युवाओं को रोजगार और इलाके के विकास का वादा किया, जिन पर यहां की जनता से भरोसा जताया. और एक बार फिर योगी को मौका दिया.
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