विधानसभा चुनावों के आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के साथ ही एग्जिट पोल (Exit poll) के अनुमान सामने आ गए. सारे एग्जिट पोल यूपी (Uttar Pradesh) में फिर से योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की सरकार बनने की भविष्यवाणी कर रहे हैं. खास बात है कि किसान आंदोलन के बीच जिस पश्चिमी यूपी को अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) अपना लॉन्चिंग पैड समझ रहे थे वहीं एसपी और आरएलडी की जोड़ी पिछड़ती नजर आ रही है.
पांचों चुनावी राज्य के एग्जिट पोल ने राजनीतिक गलियारों की सरगर्मी बढ़ा दी है और नतीजे सामने आने के पहले ही कौन सा गठबंधन काम कर गया और कौन सी रणनीति फिसड्डी साबित हुई- इसपर बहस शुरू हो गयी.
यूपी विधानसभा चुनाव के शुरआती 2 चरण की वोटिंग जाटलैंड कहे जाने वाले पश्चिमी यूपी में थी. और आज तक ने अपने एग्जिट पोल में पहले दो चरणों में 113 में से 81 सीटें बीजेपी को दी हैं.
ऐसे में पश्चिमी यूपी के एग्जिट पोल को देखते हुए यह सवाल भी उठने लगा है कि क्या किसान आंदोलन का असर बीजेपी के वोटों पर नहीं पड़ा? 10 मार्च के नतीजे अगर एग्जिट पोल की तरह ही दिखते हैं तो क्या राकेश टिकैत को फेल माना जाएगा? क्या एसपी और आरएलडी का कोर वोट एक-दूसरे को ट्रांसफर नहीं हुआ?
क्या किसानों का गुस्सा EVM तक नहीं आया ?
केंद्र सरकार द्वारा तीन विवादस्पद कृषि कानून के पास किए जाने के बाद आंदोलनरत किसानों ने एक साल से अधिक समय तक दिल्ली की सीमा पर विरोध प्रदर्शन किया था. किसानों का आंदोलन इतना बड़ा था कि आखिरकार मोदी सरकार को यह कानून वापस लेना पड़ा. लेकिन एग्जिट पोल को देखते हुए एक सवाल यह उठता है कि क्या किसानों का गुस्सा पश्चिमी यूपी में EVM तक नहीं पहुंच सका?
आंदोलनरत किसानों में अधिकतर पंजाब और पश्चिमी यूपी से ही थे. जहां एक तरफ पंजाब में बीजेपी की हालत पस्त नजर आ रही है वहीं पश्चिमी यूपी में बीजेपी एकतरफा जीतती.
आजतक के एग्जिट पोल के मुताबिक एसपी गठबंधन को पहले दो चरणों (पश्चिमी यूपी) में 113 सीटों में से केवल 30 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. 2017 में यहां के 113 सीटों में से 91 सीट जीतने वाली बीजेपी को अगर यहां इसबार केवल 10 सीटों का नुकसान होता है तो यह माना जायेगा कि किसानों का गुस्सा पश्चिमी यूपी में EVM तक नहीं पहुंच सका.
बीजेपी के खिलाफ राकेश टिकैत फेल?
किसान आंदोलन के बीच राकेश टिकैत सबसे बड़ा चेहरा बन उभरे थे और यह माना जा रहा था कि उनका बीजेपी विरोधी रुख उनके ‘दबदबे’ वाले पश्चिमी यूपी में बीजेपी को बड़ा डेंट देने जा रहा था. हालांकि अगर एग्जिट पोल के अनुमान ही 10 मार्च के नतीजों में नजर आते हैं तो यह खुद राकेश टिकैत के असर पर ही बड़ा डेंट माना जायेगा.
क्या एसपी और आरएलडी का कोर वोट एक-दूसरे को ट्रांसफर नहीं हुआ?
अगर पश्चिमी यूपी में एसपी और आरएलडी का गठबंधन उनके उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन करने में नाकाम रहता है तो इसका एक मतलब यह हो सकता है कि दोनों का कोर वोट- यादव- मुस्लिम और जाट वोट- एक दूसरे को ट्रांसफर नहीं हुआ है.
किसान आंदोलन के बाद बीजेपी से खफा दिख रहे जाटों को अखिलेश यादव ने आरएलडी से गठबंधन कर साधने की कोशिश की थी. अगर यहां बीजेपी बढ़त बनाने में सफल रहती है तो जयंत चौधरी के राजनीतिक रुतबे पर बड़ा सवाल उठेगा.
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