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प्रियंका गांधी का महिला कार्ड फेल, कांग्रेस की सभी महिला उम्मीदवार हारीं

कांग्रेस ने उन्नाव रेप पीड़िता की मां, आशा वर्कर पूनम पांडे, सदफ जाफर को टिकट दिया लेकिन सब हार गईं

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उत्तर प्रदेश चुनाव के नतीजों (Uttar Pradesh Elections Results 2022) में कांग्रेस को दो सीटों के साथ संतोष करना पड़ा लेकिन इस बार के चुनाव में कांग्रेस का कैंपेन सुर्खियों में रहा. कांग्रेस ने इस बार 40 फीसदी महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारा, जिसमें कई पीड़ित महिलाएं हैं जैसे उन्नाव रेप मामले की पीड़िता की मां, आशा वर्कर पूनम पांडे, एनआरसी-सीएए के खिलाफ आंदोलन के दौरान जेल जा चुकी सदफ जाफर, मुनव्वर राणा की बेटी उरूसा राणा.

चुनावी नतीजे आने के बाद इन महिला उम्मीदवारों की क्या स्थिति है आइए नजर डालते हैं.

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आशा सिंह

उन्नाव में रेप पीड़िता की मां आशा सिंह को कांग्रेस ने टिकट दिया लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. दस उम्मीदवारों के बीच उनका पांचवा स्थान रहा. उन्हें कुल 1544 वोट मिले हैं.

पूनम पांडेय

कोरोना काल में जिन आशा वर्कर्स ने खूब महनत की उन्होंने मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर सीएम आवास के सामने प्रदर्शन किया लेकिन इस दौरान पुलिस पर पूनम पांडेय और अन्य आशा वर्कर्स के साथ पिटाई का आरोप लगा. इसके बाद पूनम पांडेय चर्चा में आई थीं. इन्हीं पूनम को कांग्रेस ने शाहजहांपुर सीट से टिकट दिया जो हार गईं. 15 उम्मीदवारों की इस लड़ाई में वो 1367 वोटों के साथ चौथे स्थान पर हैं.

सदफ जाफर

सदफ जाफर लखनऊ मध्य से कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरी. सीएए के खिलाफ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विरोध प्रदर्शन के दौरान सदफ को दिसंबर 2019 को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था. सदफ 13 प्रत्याशियों की इस दौड़ में 2911 वोटों के साथ चौथे स्थान पर हैं.

उरूसा राणा

मुनव्वर राणा की बेटी उरूसा राणा ने पुरवा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा. लेकिन उरूसा को केवल 1876 वोट मिले इससे ज्यादा वोट नोटा पर पड़े हैं. उरूसा के पिता मुनव्वर राणा ने चुनाव से पहले कहा था कि अगर यूपी में योगी आदित्यनाथ दोबारा सीएम बने तो वो यूपी छोड़ देंगे. अब इस मामले पर सोशल मीडिया पर खूब मीम बन रहे हैं.

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रितु सिंह

कांग्रेस ने लखीमपुर की मोहम्मदी सीट से रितु सिंह को मैदान में उतारा. रितु सिंह उस समय सुर्खियों में आई थीं, जब पिछले साल पंचायत चुनाव के दौरान पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर उनकी साड़ी खींच ली थी. लेकिन रितु भी बेहद कम वोटों से हार गईं.

कांग्रेस पार्टी ने इन महिलाओं को अपनी ताकत बनाने की पूरी कोशिश की, प्रियंका गांधी का कैंपेन और नारा "मैं लड़की हूं, लड़ सकती हूं" काफी सुर्खियों में भी आया लेकिन राजनीतिक अनुभव ना होने के कारण इनमें से एक भी उम्मीदवार जीत नहीं पाया. यहां तक कि इनमें से एक उम्मीदवार कड़ी टक्कर भी नहीं दे पाया.

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