उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजनीति रोज एक सवाल कर रही थी कि मायावती कहां हैं? उत्तर प्रदेश के चुनावी मौसम में BSP की अध्यक्ष मायावती की सक्रियता पर कई तरह के सवाल उठने लगे थे. यहां तक कहा जा रहा था कि मायावती और उनकी पार्टी का सूरज अब ढलने लगा है. लेकिन अब मायावती इज बैक, बीएसपी चीफ मायावती ने आगरा में रैली की है और इसी बात का जवाब दिया है कि वे अब तक कहां थी.. लेकिन क्या वाकई ऐसा है, क्या मायावती इतनी कमजोर हो गई हैं कि खुद अपनी हार मान चुकी हैं या फिर माजरा कुछ और है. आज इसी सवाल का जवाब ढूंढेंगे इस पॉडकास्ट में.
फिलहाल हर कोई समझना चाहता है कि आखिर मायावती की इस चुनाव में क्या भूमिका होने वाली है. वो किसी के साथ गठबंधन कर रही हैं या नतीजे आने के बाद किंग मेकर की भूमिका निभाएंगी, कई जगह ये भी अफवाहें कि मायावाती अंदरखाने बीजेपी के साथ साठ गांठ करके बैठी है. अब तक मायावती अपने ट्विटर के जरिए ही एसपी, कांग्रेस और बीजेपी को निशाना बनाती रही है लेकिन आज आगरा के मैदान में उतर कर फिर तीनों पार्टीयों पर निशाना साधा.
मायावती को इतने हल्के में भी लेना नहीं चाहिए. यूपी में करीब 21 फीसदी दलित हैं. हालांकि ये सब मायावती का वोट बैंक नहीं है लेकिन जाटव बहुसंख्यक हैं और उसी जाटव समुदाय से मायावती ताल्लुक रखती है. 1993 के बाद से बीएपी की विधानसभा चुनाव में स्थिति सुधरने लगी और 2007 में पार्टी 206 सीटों पर जीत दर्ज कर खुद के दम पर सरकार बनाई उसके बाद से बीएसपी चुनाव दर चुनाव कमजोर पड़ती चली गई. पार्टी इतनी कमजोर हो गई कि 2017 के विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर ही जीत दर्ज कर पाई. हालांकि मायावती का वोटबैंक कमजोर नहीं हुआ है, अब आगे क्या संभावनाएं हैं, मायावती की क्या रणनीति होगी है इस मसले को डीटेल में समझिए इस पॉडकास्ट में.
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