उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election) में बीजेपी ने इतिहास रच दिया है. लगातार दूसरी बार देवभूमि में कमल खिला है. बीजेपी को यहां 47 सीटें मिली है, तो वहीं कांग्रेस के हिस्से 19 सीटें जाती दिख रही है. बीजेपी इस जीत से जहां गदगद है, तो वहीं सीएम पुष्कर सिंह धामी की हार ने कुछ चिंता बढ़ा दी है.
खटीमा विधानसभा सीट से सीएम धामी को कांग्रेस के उम्मीदवार भुवन चंद्र कापड़ी से हार का सामना करना पड़ा है. आसानी से बहुमत के आंकड़े को पार करने वाली बीजेपी के सामने अब सबसे बड़ा सवाल है कि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?
नतीजों की 10 बड़ी बातें
1. पुष्कर सिंह धामी को 41 हजार 598 वोट मिले हैं, तो भुवन चंद्र कापड़ी 48 हजार 177 वोट मिले हैं. भुवन चंद्र कापड़ी ने 6500 वोटों से जीते हैं.
2. लालकुआं विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे पूर्व सीएम और पार्टी के दिग्गज नेता हरीश रावत (Harish Rawat) भी 14 हजार वोटों के भारी अंतर से चुनाव हार गए हैं. हालांकि इस बीच हरिद्वार ग्रामीण सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहीं उनकी बेटी अनुपमा रावत (Anupama Rawat Result) जीत गई हैं.
3. उत्तराखंड चुनावों में वोट परस्टेंज की बात करेंगे तो बीजेपी को सबसे ज्यादा 44.33 फीसदी वोट मिले हैं. वहीं कांग्रेस को 37.91 फीसदी वोट मिले हैं. BSP को 4.82 फीसदी, तो समाजवादी पार्टी को मात्र 0.29 फीसदी वोटों से संतुष्ठ होना पड़ा है. आम आदमी पार्टी को इस बार के चुनाव में 3.31 फीसदी वोट पड़े हैं.
4.उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव ने दो दशक पुराना मिथक तोड़ दिया है. प्रदेश में अब तक 4 विधानसभा चुनाव हुए हैं. पिछले चार चुनावों में बारी-बारी से कांग्रेस और बीजेपी सत्ता में आई है. अभी तक किसी पार्टी ने लगातार दूसरी बार चुनाव जीत कर सरकार नहीं बनाई है. लेकिन इस बार बीजेपी इस मिथक को तोड़ते हुए लगातार दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है.
5. उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में मोदी फैक्टर कायम है. BJP ने इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. PM मोदी खुद कई बार उत्तराखंड में चुनावी कैंपेन करने के लिए आए. माना जा रहा है कि इससे 8 से 10 सीटों पर असर पड़ा है.
6. उत्तराखंड में सीएम बदलने का बीजेपी को फायदा हुआ है. 2017 में स्पष्ट बहुमत मिलने के बावजूद पांच साल में बीजेपी ने 3 मुख्यमंत्री बदले. सबसे पहले केंद्रीय नेतृत्व ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम बनाया था. लेकिन उनकी कार्यशैली पर कार्यकर्ताओं और विधायकों ने सवाल उठाए थे. इसके बाद तीरथ सिंह रावत को कमान सौंपी गई. तीरथ के बयानों ने पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ा दी थी. इसके बाद युवा नेता पुष्कर सिंह धामी को चुनाव से 8 महीने पहले CM बनाया गया. धामी ने सक्रियता दिखाई, जिससे BJP चुनाव जीत गई.
7. बीजेपी की प्रदेश और केंद्रीय लीडरशिप ने राज्य में किए गए विकास कार्यों को चुनावी सभाओं में जमकर भुनाया और इनका प्रचार इस तरह किया कि ये काम मतों में तब्दील हो सकें. यह भी उसके जीतने का एक बड़ा फैक्टर बना है.
8. यहां पर क्षेत्रीय पार्टियों अपना प्रभाव नहीं पैदा कर पाईं. AAP ने पंजाब में तो जादू दिखाया लेकिन उत्तराखंड में कोई सीट नहीं ला पाई. यहां तक कि उनके सीएम कैंडिडेट चुनाव हार गए.
9. हरीश रावत ने उत्तराखंड में कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी ली है. उन्होंने कहा कि, "हमारे प्रयासों में जो कमी रही उसको मैं स्वीकार करता हूं. कैंपेन कमेटी का चेयरमैन होने के तौर पर मैं हार की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं."
10. महिलाओं का बीजेपी के पक्ष में जाना बीजेपी के जीतने का एक बड़ा फैक्टर माना जा सकता है. यहां पर महिला वोटर्स ने चुनाव में बढ़-चढ़कर भाग लिया और पुरुषों की तुलना में 4.6 परसेंट ज्यादा वोटिंग की. राज्य की कुल वोटिंग 65.37 % में महिलाओं ने पुरुषों के मतदान 62.6% की तुलना में 67.2% वोट डाले.
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