उत्तराखंड में चुनाव से पहले बीजेपी को एक बड़ा झटका लगा है. कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया है. बताया जा रहा है कि दो घंटे तक कैबिनेट की बैठक चली, लेकिन इसी बीच हरक सिंह रावत को गुस्सा आया और उन्होंने टेबल पर हाथ पटकर इस बैठक को आधे में ही छोड़ दिया. साथ ही अपने इस्तीफे का भी ऐलान कर दिया. उनके साथ विधायक उमेश शर्मा काऊ के भी पार्टी छोड़ने की खबर है.
हरक सिंह रावत को क्यों देना पड़ा इस्तीफा?
हरक सिंह रावत लगातार अपनी ही सरकार पर कई चीजों को लेकर दबाव बनाते आए हैं और कई बार उन्हें खुलकर बोलते हुए भी देखा गया है. बताया जा रहा है कि पिछले लंबे समय से वो बीजेपी में खुश नजर नहीं आ रहे थे, फिर चाहे वो त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री रहने के दौरान हो या फिर पुष्कर सिंह धामी के आने के बाद... हर बार रावत ने अपनी चिंताएं जाहिर कीं.
क्विंट से बात करते हुए हरक सिंह रावत से जुड़े सूत्र ने बताया कि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तमाम विभागों को अपने पास रखा है और मंत्रियों की रजामंदी के बिना फैसले लिए जा रहे थे. जिससे हरक सिंह रावत नाराज चल रहे थे. लेकिन जब पानी सिर के ऊपर से बहने लगा तो उन्हें अपना इस्तीफा देना पड़ा.
कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं हरक सिंह
बताया गया कि जब कैबिनेट बैठक में उनके किसी भी फैसले को शामिल नहीं किया गया तो हरक सिंह रावत ने इस पर नाराजगी जताई और भावुक भी हुए. रोते हुए हरक सिंह रावत उत्तराखंड सचिवालय से बाहर निकले.
सूत्र ने हमें ये भी बताया कि हरक सिंह रावत इस्तीफे के बाद अब जल्द कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. बता दें कि हरक सिंह रावत के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें काफी लंबे समय से चल रही हैं. जिस तरह से 2016 में वो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे, उसी तरह अब चुनाव से ठीक पहले उनके पाला बदलने की अटकलें लगाई जा रही हैं.
चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका
हरक सिंह रावत अपने बागी तेवरों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन गढ़वाल क्षेत्र में उनका काफी दबदबा माना जाता है. यही वजह थी कि बीजेपी ने बांहें फैलाकर उनका स्वागत किया था. कोटद्वार विधानसभा से चुनकर आए हरक सिंह रावत को कैबिनेट में पद दिया गया. फिलहाल वो वन मंत्री के तौर पर काम कर रहे थे.
लेकिन भारी एंटी इनकंबेंसी का सामना कर रही बीजेपी के लिए अब हरक सिंह रावत का ऐसे इस्तीफा देना काफी महंगा पड़ सकता है. अगर हरक सिंह रावत पार्टी छोड़ते हैं तो इससे कई समीकरणों को झटका लग सकता है. क्योंकि हरक सिंह ठाकुर हैं और उत्तराखंड में ठाकुर वोट सबसे ज्यादा हैं. ऐसे में रावत का जाना बीजेपी को काफी भारी पड़ सकता है.
वहीं अगर हरक सिंह रावत कांग्रेस में शामिल होते हैं तो ये पार्टी के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. क्योंकि हरक सिंह रावत का अपना एक वोट बैंक है, जिसका फायदा वो कांग्रेस को दे सकते हैं. हालांकि ये भी कहा जा रहा है कि हरीश रावत इस बात से बिल्कुल खुश नहीं हैं कि हरक सिंह रावत की वापसी की बात हो रही है. ऐसे में देखना होगा कि उनका अगला कदम क्या होता है.
उमेश शर्मा काऊ का भी इस्तीफा
बीजेपी को 24 दिसंबर को एक झटका नहीं, बल्कि एक साथ डबल झटका लगा है. बताया जा रहा है कि, देहरादून के रायपुर से बीजेपी विधायक उमेश शर्मा काऊ ने भी हरक सिंह रावत के साथ ही इस्तीफा दे दिया है. उमेश शर्मा काऊ के पार्टी छोड़ने की अटकलें काफी पहले से लगाई जा रही थीं. वो भी लगातार अपनी ही सरकार पर सवाल उठाते आए हैं.
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