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उत्तराखंड कांग्रेस में चुनाव से ठीक पहले गुटबाजी तेज, पार्टी दफ्तर बना अखाड़ा

हरीश रावत को चुनावी कैंपेन की कमान सौंपे जाने के बाद कांग्रेस के दोनों गुटो में टकराव तेज

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उत्तराखंड कांग्रेस (Uttarakhand Congress) में गुटबाजी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. दिल्ली में बैठक के बाद हरीश रावत (Harish Rawat) की नाराजगी दूर होने के बाद सब कुछ ठीक नजर आ रहा था, लेकिन प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में एक अलग घमासान छिड़ गया. यहां कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता आपस में ही भिड़ गए और जमकर धक्का-मुक्की हुई. पूर्व राज्यमंत्री राजेंद्र शाह ने तो आरोप लगाया है कि हरीश रावत समर्थकों ने उनके साथ पिटाई की है.

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कांग्रेस में काफी पुरानी है गुटबाजी की कहानी 

बताया जा रहा है कि कांग्रेस नेता राजेंद्र शाह पर हरीश रावत समर्थक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उन्होंने रावत को गाली दी है. जिसके चलते उनके साथ धक्का-मुक्की हुई. हरीश रावत समर्थकों ने शाह को वहां से निकल जाने को कहा और धक्का भी दिया. इस मामले को लेकर फिलहाल प्रदेश कांग्रेस डैमेज कंट्रोल के मोड में नजर आ रही है. वहीं बीजेपी नेताओं को कांग्रेस को घेरने का काफी अच्छा मौका मिल गया है.

बता दें कि उत्तराखंड में कांग्रेस गुटबाजी के लिए हमेशा से ही चर्चा में रही है. गुटबाजी का ही नतीजा रहा कि पिछले चुनाव में कांग्रेस महज 11 सीटों पर सिमट गई. जब हरीश रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था. उसके बाद कांग्रेस नेताओं का दूसरा धड़ा नाराज हुआ और तमाम बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी. अब एक बार फिर हरीश रावत को लेकर पार्टी के अंदर नाराजगी बढ़ने लगी है.

हरीश रावत बनाम प्रीतम सिंह की जंग

फिलहाल उत्तराखंड कांग्रेस में दो गुट हैं. एक गुट हरीश रावत का है, जो पार्टी के संभावित मुख्यमंत्री उम्मीदवार हैं. वहीं दूसरा गुट पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मौजूदा नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का है. जो हरीश रावत के धुर विरोधी माने जाते हैं. बताया जा रहा है कि चुनाव नजदीक आते ही इन दोनों गुटों में जंग तेज हो रही है. क्योंकि पार्टी ने अभी मुख्यमंत्री उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है, ऐसे में प्रीतम सिंह गुट लगातार रावत के खिलाफ पार्टी के अंदर माहौल बनाने की कोशिश में जुटा है.

क्योंकि उत्तराखंड में हर पांच साल के बाद सत्ता बदल जाती है, ऐसे में कांग्रेस नेताओं को एक बार फिर यही लग रहा है कि उनकी सत्ता में वापसी हो सकती है. इसीलिए मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर गुटबाजी को धार दी जा रही है. लेकिन सत्ता और कुर्सी पाने के इस लालच के बीच कहीं जो मौका बनता दिख रहा है, वो हाथ से फिसल ना जाए.

चुनाव में हो सकता है नुकसान

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में तेज हुई गुटबाजी पार्टी के लिए घातक साबित हो सकती है. कांग्रेस नेतृत्व ने हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष गोदियाल को दिल्ली बुलाकर उनकी नाराजगी तो खत्म कर दी, लेकिन पार्टी में जारी गुटबाजी को रोकना जरूरी है. क्योंकि अब हरीश रावत के हाथ खोल दिए गए हैं और उन्हें चुनाव की कमान सौंपी गई है, ऐसे में उनके लिए इस गुटबाजी को कम से कम चुनावों तक रोकना बड़ी चुनौती होगी.

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हालांकि हरीश रावत हमेशा से ही पार्टी के नेताओं को खटकते रहे हैं. अब उन्हें फ्री हैंड देने के बाद प्रीतम सिंह गुट की उनके खिलाफ नाराजगी और ज्यादा बढ़ सकती है. बीजेपी इसी मौके की तलाश में है और पार्टी के नाराज नेताओं को एक बार फिर अपने पाले में कर सकती है. जैसा कि 2017 चुनाव में हुआ था और बीजेपी को इसका बड़ा फायदा भी हुआ. पार्टी ने प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई थी.

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