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पुष्कर सिंह धामी होंगे उत्तराखंड के सीएम, पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह ने किया एलान

पुष्कर सिंह धामी अपना विधानसभा चुनाव हार गए थे.

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उत्तराखंड (Uttrakhand) के चुनावी नतीजों में बीजेपी को मिली जीत के बाद अब अगले मुख्यमंत्री का भी एलान हो चुका है. पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ही उत्तराखंड के अगले मुख्यमंत्री होंगे. विधायक दल की बैठक में धामी के नाम पर मुहर लगी है. धामी अब 23 मार्च को एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.

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वहीं उत्तराखंड के नए सीएम की रेस में पुष्कर सिंह धामी के अलावा सतपाल महाराज, रमेश पोखरियाल निशंक जो पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं, सांसद अनिल बलूनी का नाम भी शामिल था. लेकिन विधायकों ने मुख्यमंत्री की पसंद के लिए पुष्कर सिंह धामी का नाम चुना है.

उत्तराखंड की खटीमा विधानसभा सीट से लगातार दो बार से विधायक बनते रहे हैं लेकिन इस बार चूक गए. धामी को कांग्रेस के भुवन कापड़ी से कड़ी टक्कर मिली और धामी को हार का सामना करना पड़ा. भुवन कापड़ी ने धामी को करीब पांच हजार वोटों से हराया है. वहीं भुवन पिछले चुनाव में धामी से केवल 2700 मतों के अंतर से हार गए थे.

विधायक दल की बैठक के बाद राज्य के पर्यवेक्षक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उप-पर्यवेक्षक मीनाक्षी लेखी ने यह घोषणा की है. बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री रहते पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गए हैं.
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हालांकि अब पुष्कर सिंह धामी को 6 महीने के अंदर चुनाव लड़कर विधायक बनाना होगा इसके लिए जाहिर तौर पर किसी विधायक की सीट खाली की जाएगी.

पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. 47 साल के धामी उत्तराखंड के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री हैं.

पिथौरागढ़ जिले की डीडीहाट तहसील के एक गांव टुण्डी में धामी का जन्म एक सैनिक परिवार में हुआ था. उन्होंने सरकारी स्कूल में ही अपनी शिक्षा पूरी की. पढ़ाई के दौरान ही वो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सम्पर्क में आए और 1990 से लेकर 1999 तक परिषद के कार्यकर्ता के रूप में काम किया.

इसके बाद वह भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़े और 2002 से 2008 तक प्रदेश में युवाओं को रोजगार के मुद्दे पर एकजुट किया. इस दौरान उनकी बड़ी सफलता तत्कालीन सरकार से राज्य के उद्योगों में युवाओं के लिए 70 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा करवाना रही.

2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें खटीमा सीट से उम्मीदवार बनाया जिसमें उन्होंने जीत हासिल की. 2017 में एक बार फिर वे खटीमा सीट से विधायक बने और प्रदेश के मुखिया के रूप में बागडोर उन्हें सौपी गई थी अब चुनाव में ऐतिहासिक जीत के बाद फिर उन्हें मौका दें दिया गया हैं.

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