हमसे जुड़ें
ADVERTISEMENTREMOVE AD

देश में कोरोना का कहर, बंगाल चुनाव पर क्यों नहीं असर

राज्य के नेताओं और बुद्धिजीवियों ने कहा-कोरोना ने मतदाताओं को प्रभावित नहीं किया

देश में कोरोना का कहर, बंगाल चुनाव पर क्यों नहीं असर
i
Hindi Female
listen
छोटा
मध्यम
बड़ा

रोज का डोज

निडर, सच्ची, और असरदार खबरों के लिए

By subscribing you agree to our Privacy Policy

देश में कोरोना की दूसरी लहर का कहर जारी है, लेकिन पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में इसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है. खुद राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ता और एक्सपर्ट्स का भी मानना है कि कोविड महामारी का चुनाव पर कोई असर नहीं है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के जोयपुर कस्बे में मार्च के पहले सप्ताह में जब हमारी रिपोर्टर पहुंचीं तो लगभग कोई मास्क नहीं पहनता था. इस कस्बे और आसपास के लोग मास्क का इस्तेमाल नहीं करते थे. कुछ लोगों ने हमारी रिपोर्टर से पूछा कि आप क्यों पहन रही हो, जब आपको कोरोना नहीं है.

जोयपुर में चाय बेचने वाले अमितवा पट्टनायक ने कहा कि यहां कोई कोरोना नहीं था. लेकिन लॉकडाउन बड़ा बुरा था. अमितवा पट्टनायक की चाय की दुकान स्थानीय लोगों के लिए राजनीतिक चर्चा को लेकर मीटिंग का अड्डा था.

देश में कोरोना की दूसरी लहर के बाद, क्विंट ने दोबारा अमितवा पट्टनायक की दुकान पर पहुंचने के बाद, यह जानने चाहा कि, क्या अब कोविड और मास्क को लेकर लोगों की क्या सोच है.

अमितवा पट्टनायक ने कहा कि, नहीं..यहां पर कोई कोरोना नहीं है इसलिए मास्क की कोई जरूरत नहीं है. हमें सिर्फ लॉकडाउन का डर सता रहा है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

चुनाव के समय कोरोना

पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में विधानसभा चुनाव की अवधि काफी लंबी रही, जिसमें कोरोना से पहले और कोरोना के बाद के हालात शामिल रहे.

बंगाल में चौथे चरण के फेज के दौरान 10 अप्रैल और पांचवें चरण के फेज 17 अप्रैल को देश में कोरोना महामारी की गिरफ्त में पूरी तरह से आ चुका था.

इस दौरान भी बंगाल में चुनावी रैलियां जारी रहीं और सोशल मीडिया पर राजनीतिक दलों की असंवेदनशीलता को लेकर आलोचना होने लगी. कोरोना संकट के बीच चुनावों को लेकर सरकार और निर्वाचन आयोग की कमियां सामने आने लगी. लोगों ने पूछना शुरू कर दिया कि अगर कोविड के बढ़ते मामलों के बीच मतदान जारी रहा तो इसके बुरे परिणाम सामने आ सकते हैं.

लेकिन इस सवाल के जवाब में बंगाल के सभी राजनीतिक दलों और बुद्धिजीवियों का जवाब था..नहीं.

वहीं कोरोना संकट के बीच भी बंगाल में पांचवें चरण के बाद से मतदान का प्रतिशत अधिक रहा. 5वें चरण में करीब 78.36 फीसदी वोटिंग हुई, छठवें चरण में वोटिंग का प्रतिशत 79.09 रहा और 7वें चरण में 75.6 प्रतिशत मतदान हुआ.

इस बीच कोरोना महामारी की वजह से कोलकाता के प्राइवेट अस्पताल में बेड्स, ऑक्सीजन और टेस्टिंग किट्स की कमी दिखने लगी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लेकिन इसके बावजूद बंगाल में ऐसा देखने को नहीं मिला कि कोविड की वजह से चुनाव प्रभावित हुए.

“बंगाल के मतदाता ने कोविड के बारे में नहीं सोचा”

बंगाल में सभी राजनीतिक दलों ने राज्य और देश में पिछले 2 सप्ताह से कोविड-19 से जुड़ी स्थिति पर जोर दिया. बीजेपी ने ममता बनर्जी सरकार पर केंद्र के कोविड मैनेजमेंट फंड का इस्तेमाल नहीं करने का आरोप लगाया. वहीं टीएमसी ने कोरोना केसों में बढ़ोतरी को लेकर इसे केंद्र सरकार की नाकामी बताई और दिल्ली व उत्तर प्रदेश का उदाहरण दिया. टीएमसी ने चुनाव आयोग पर भी निशाना साधा और राज्य में लंबी चुनावी प्रक्रिया को लेकर हमला बोला.

तृणमूल कांग्रेस से जुड़े एक नेता ने कहा कि, जो डेटा उपलब्ध है उसके अनुसार यह दिखता है कि कोविड-19 की स्थिति से वोटिंग के पैटर्न में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला. हालांकि यह कहना गलत होगा कि कोलकाता के बाहर लोग कोरोना से जुड़े हालात को लेकर अवगत नहीं थे. बंगाल चुनाव में कोविड महामारी का मुद्दा बहुत देर से आया, जिसकी वजह से चुनावी प्रक्रिया प्रभावित नहीं हुई.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने कोविड मैनेजमेंट को लेकर बीजेपी और केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की आलोचना की.

वहीं बंगाल बीजेपी के नेताओं भी यह नहीं मानते थे कि दिल्ली या उत्तर प्रदेश में कोरोना से जुड़ी स्थिति का बंगाल के चुनावों पर कोई असर होगा.

बीजेपी नेता ने कहा कि, बंगाल में सभी राजनीतिक दलों ने रैलियां की और पब्लिक ने यह सब देखा. बात जब मतदान की आई तो लोगों ने 10 साल से चल आ रहे भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए वोटिंग की और मतदाताओं में कोविड महामारी को लेकर ज्यादा नहीं सोचा.

2020 में बंगाल में जब कोरोना महामारी ने दस्तक दी, तो राज्य में कोविड वायरस की तुलना में लॉकडाउन से लोग ज्यादा परेशान हुए थे.

बंगाल की चुनावी यात्रा में अमितवा पट्टनायक की दुकान एक अहम पड़ाव था. अमितवा पट्टनायक ने कहा कि कोरोना वायरस से ज्यादा भय लोगों को लॉकडाउन का है.

यही वजह रही कि केंद्र और राज्य सरकार यह कह रही हैं कि फिलहाल लॉकडाउन की जरूरत नहीं है. ताकि इस डर को अस्थाई रूप से शांत कर दिया जाए.

बंगाल में रोजाना कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं, टेस्टिंग की सुविधाएं भी कम हैं. लेकिन लगता है कि राजनीतिक दलों को चुनाव के बाद ही इस बारे में सोचने की फुर्सत मिलेगी

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
और खबरें
×
×