पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी उठा-पटक जोरों पर है. बीजेपी- टीएमसी ने कई सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है. वहीं, सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस थोड़ी नरम पड़ती दिख रही है
इसे लेकर पश्चिम बंगाल के कांग्रेस प्रभारी जितिन प्रसाद नाराज दिखाई दे रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि, “लिस्ट जारी करने का फैसला जानबूझकर देरी से किया जा रहा है, जो चुनावों में कांग्रेस की संभावनाओं को बाधित कर सकता है." सूत्र ने कहा कि, "पार्टी के गठबंधन और टिकट फाइनल करने के सभी फैसले बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी द्वारा लिए जा रहे थे."
उम्मीदवारों की घोषणा में देरी से नाराजगी
जितिन प्रसाद दिल्ली में हैं और उन्होंने कहा कि, "वो परेशान हैं. कांग्रेस ने गठबंधन पर निर्णय लेने के लिए एक समिति का गठन किया था. जिसमें अधीर रंजन, प्रदीप भट्टाचार्य, नेपाल महतो और अब्दुल मन्नान शामिल हैं."
ISF के साथ गठबंधन पर भी कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने सवाल उठाए थे. बाद में कांग्रेस ने स्पष्ट किया था यह वामपंथी है जिसको अपने कोटे से ISF को सीटें दी हैं.
कांग्रेस ने जे पी अग्रवाल के नेतृत्व में एक स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया है. हालांकि, अधीर रंजन चौधरी और राज्य प्रभारी जितिन प्रसाद दोनों ने टिकट फाइनल में हो रही देरी को लेकर कोई जवाब नहीं दिया.
कांग्रेस ने सिर्फ 13 सीटों के लिए घोषित किए प्रत्याशी
कांग्रेस पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में वाम दलों और ISF के साथ गठबंधन में 92 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. अब तक, उसने 13 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है. सभी उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने में देरी के कारण चुनाव प्रचार के लिए राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं की यात्रा को अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है.
बता दें, पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान 27 मार्च को होगा, राज्य में कुल आठ चरणों में वोट डाले जाएंगे और परिणाम 2 मई को घोषित किए जाएंगे.
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