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बंगाल में हो रही चुनाव बाद हिंसा, मगर कितना सच्चा और कितना झूठा?

पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणाम आने के बाद कम से कम 12 लोगों की मौत हो चुकी है...

बंगाल में हो रही चुनाव बाद हिंसा, मगर कितना सच्चा और कितना झूठा?
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2 मई को बंगाल विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने और भारी मतों से TMC की सत्ता वापसी के बाद से ही पश्चिम बंगाल से हिंसा, लूटमार और लूट की घटनाएं देखने को मिली हैं.

बंगाल से इन घटनाओं की आने वाली भीषण तस्वीरों की देश भर में निंदा हाे रही है. इस हिंसा को टीएमसी की "विजयी हिंसा" या विक्ट्री वाइलेंस भी कहा जा रहा है. रिपोर्ट्स के अनुसार पूरे प्रदेश में 14 लोगों ने अपनी जान गंवाई है. जिसमें से BJP के 9 और TMC के 5 लोगों की मौत का दावा किया जा रहा है.

इन सबके बीच व्हाट्सएप और सोशल मीडिया में फेक न्यूज को एक नया आधार मिल गया. पुराने और इस घटना से असंबंधित वीडियो और तस्वीरों को ऐसे प्रचारित किया जा रहा है जैसे वो हालिया राजनीतिक हिंसा की घटनाओं से जुड़े हुए हों. इस रिपोर्ट में हम चुनाव परिणाम आने के बाद रिपोर्ट किए गए सत्यापित, गैरसत्यापित घटनाओं और राजनीतिक बयानों को एक साथ रखने का प्रयास कर रहे हैं.

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चुनाव परिणाम के बाद राज्य में राजनीतिक हिंसा की खबरें

देशभर के कई मीडिया संस्थानों ने पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणाम आने के बाद से राजनीतिक हिंसा की घटनाओं पर रिपोर्ट्स की हैं.

उनमें से कुछ इस प्रकार से हैं...

  • चार मई को हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार बंगाल के ईस्ट बर्द्धवान में बीजेपी और टीएमसी कार्यकर्ताओं के बीच हुई झड़प में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई और 5 लोग घायल हो गए.

  • टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी अपनी एक रिपोर्ट में ईस्ट बर्द्धवान के नवाग्राम में झड़प के बारे में बताया. इसमें बीजेपी कार्यकर्ता काकोली खेत्रपाल के हताहत होने की जानकारी दी गई.

  • टाइम्स ऑफ इंडिया के ही एक आर्टिकल में हुगली के खानकुल में हिंसा की जानकारी दी, जहां टीएमसी कार्यकर्ता देबू प्रमाणिक की हत्या कर दी गई थी.

  • उत्तर दिनाजपुर के चोपरा में सीपीएम CPM कार्यालय जलाए जाने की सत्यापित खबर भी मिली.

  • सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर कुछ पत्रकारों ने आसनसोल, बर्द्धवान के अन्य हिस्सों और 24 परगना से भी हिंसक घटनाओं की जानकारी दी, जिसमें बीजेपी कार्यालय और कार्यकर्ताओं पर हमले की बात कही गई थी.

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से राज्य में चुनाव परिणाम आने के बाद विपक्षी राजनीतिक पार्टी के खिलाफ हुई हिंसक घटनाओं पर रिपोर्ट मांगी है.

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने पश्चिम बंगाल के गृह विभाग से राज्य में हुई हिंसक और बर्बर घटनाओं के खिलाफ उठाए गए कदमों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है.

यहां पर यह गौर करने वाली बात है कि यह पूरा घटनाक्रम ऐसे समय पर हो रहा है जब नई सरकार को शपथ भी नहीं दिलाई गई है और तकनीकी रूप से राज्य में राज्यपाल शासन है. बता दें कि नई सरकार का गठन 5 मई को होना है.

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बीजेपी और टीएमसी के राजनीतिक हिंसा के दावे

बीजेपी ने प्रदेश भर में कई हिंसक घटनाओं के दावे किए हैं, जिसमें लूट, हत्या, आगजनी की घटनाओं के साथ-साथ यौन अपराधों से जुड़े मामलों का भी दावा किया गया है.

बीजेपी द्वारा एक वीडियो प्रचारित किया गया है जिसे हावड़ा के शिबपुर के होने का दावा किया जा रहा है. वीडियो में हरे रंग में रंगे कुछ युवाओं द्वारा "हांग कांग फैशन" नाम की एक दुकान को लूटते हुए दिखाया जा रहा है. इस वीडियों में युवाओं द्वारा यह कहते हुए भी सुना जा सकता है कि "वे ऐसा करने के लिए इंतजार कर रहे थे".

इसी घटना का एक अन्य वीडियो भी आया है जिसमें बुर्का पहने हुए महिलाएं ममता बनर्जी और टीएमसी पर हिंसा का आरोप लगाते हुए दिखाई दे रही हैं. उन महिलाओं में से एक का कहना है कि वह दुकान उसके भाई की है जो टीएमसी का एक कार्यकर्ता है.

भाजपा ने यह भी कहा है कि उनका एक कार्यकर्ता कोलकाता के बेलियाघाट में मारा गया. बीजेपी ने कहा है कि वह कार्यकर्ता फेसबुक लाइव में आया था और दावा किया था कि टीएमसी समर्थकों ने उसके पालतू जानवरों को मार दिया था. वह जानवर या मनुष्य किसी को बख्श नहीं रहे थे.

बीजेपी ने यह भी कहा है कि जगदाल में जब एक महिला अपने बेटे (बीजेपी कार्यकर्ता) को टीएमसी के गुंडे से बचाने की कोशिश कर रही थी तब उसकी हत्या कर दी गई थी. रानाघाट और सोनारपुर से भी दो अन्य पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या के बारे में कहा गया है.

वहीं कुछ बीजेपी नेताओं ने हिंसा को सांप्रदायिक एंगल देने का काम किया है. जिसमें यह दावा किया गया है कि हिंदुओं के खिलाफ टारगेट करके हमले किए गए थे. भाजपा के स्वपन दासगुप्ता जिन्होंने तारकेश्वर से चुनाव लड़ा और हार गए. उन्होंने दावा किया है कि नानूर में खतरनाक स्थिति सामने आई.

पश्चिम बंगाल बीजेपी के जनरल सेक्रेटरी कैलाश विजयवर्गीय ने अपने ट्वीट में एक वीडियो शेयर करते हुए विशेष तौर पर लिखा है कि टीएमसी के "मुस्लिम गुंडे" नंदीग्राम में बीजेपी की महिला कार्यकर्ताओं को पीट रहे हैं.

तब पश्चिम बंगाल पुलिस की ओर से एक ट्वीट जारी किया गया, जिसमें बीरभूमि में हिंसा के दावों को फेक न्यूज बताया गया.

नंदीग्राम के स्थानीय सूत्रों ने द क्विंट से बात करते हुए कहा कि विजयवर्गीय ने जो वीडियो शेयर किया था, वह निजी विवाद का था, इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था.

वहीं दूसरी ओर तृणमूल ने हिंसा का खंडन किया है, यह दावा करते हुए कि यह बीजेपी के अंदर की ही लड़ाई थी.

पार्टी के अन्य नेताओं ने राज्य में हिंसा की खबरों को भाजपा द्वारा उनके नुकसान से ध्यान हटाने के लिए अभियान कहा है.

तृणमूल ने भी पांच पार्टी कार्यकर्ताओं की मौत का दावा किया है, वहीं मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार ममता बनर्जी ने भी शांति की अपील की है.

इन सबके बीच बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं की हत्या के खिलाफ ममता बनर्जी के शपथ ग्रहण समारोह के दिन यानी 5 मई को "राष्ट्रव्यापी धरना" का आह्वान किया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंसा के बारे में राज्यपाल जगदीप धनखड़ से बात की है और नाराजगी भी जताई है.

राजनीतिक हत्याओं की निंदा करती है सिविल सोसायटी

बंगाल में सिविल सोसायटी और अन्य क्षेत्रों के कई लोग राजनीतिक हत्याओं की निंदा करने के लिए ट्विटर पर गए.

वाम दलों के नेताओं सहित अन्य, जिन पर राजनीतिक हिंसा का प्रभाव पड़ा है उन्होंने भी लोगों से केवल वेरिफाइड जानकारी शेयर करने का आग्रह किया है.

बता दें कि 294 सीटों वाली पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए हुए चुनावों में जहां टीएमसी को 213 सीटें मिली हैं वहीं बीजेपी 77 सीट हासिल कर पायी है.

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