बीएसपी चीफ मायावती पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस के खिलाफ काफी मुखर नजर आ रही हैं. हाल ही में जब कांग्रेस ने यूपी की 7 लोकसभा सीटों को एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन के लिए छोड़ने की बात कही तो मायावती ने कहा कि कांग्रेस को ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं है, वह भ्रम न फैलाए और बीजेपी को हराने के लिए हमारा (एसपी-बीएसपी का) गठबंधन काफी है.
मायावती ने ट्वीट कर कहा, ''बीएसपी एक बार फिर साफ तौर पर स्पष्ट कर देना चाहती है कि उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में कांग्रेस पार्टी से हमारा कोई भी किसी भी प्रकार का तालमेल और गठबंधन बिल्कुल भी नहीं है.''
इसके साथ ही उन्होंने लोगों से अपील की कि वे गठबंधन को लेकर कांग्रेस की तरफ से फैलाए जा रहे 'भ्रम' में ना आएं. ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस के लिए मायावती के इस रुख की क्या वजहें हैं?
मायावती नहीं चाहतीं कि यूपी में MYD वोटबैंक में सेंध लगे
एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन का मुख्य वोट बैंक मुस्लिम-यादव-दलित (MYD) वोट माना जा रहा है.
सर्वे एजेंसी सी वोटर के मुताबिक, यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 47 सीटों पर MYD वोटर निर्णायक भूमिका में है. दरअसल ये ऐसी सीटें हैं, जिन पर MYD जनसंख्या 50 फीसदी से ज्यादा है. सी वोटर के डेटा के हिसाब से यूपी की हर लोकसभा सीट पर 40 फीसदी से ज्यादा MYD आबादी है.
इन आंकड़ों से साफ समझा जा सकता है कि अगर एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन MYD वोटों को एक साथ अपने पाले में लाने में कामयाब हो जाता है तो उसे यूपी में बड़ी कामयाबी हासिल होगी. बीएसपी को डर है कि अगर वोटरों के बीच ये मैसेज गया कि कांग्रेस भी एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन के साथ है तो कहीं कांग्रेस MYD वोट बैंक में सेंध ना लगा दे.
कांग्रेस को लेकर यह है मायावती का सोचना
इन दिनों कांग्रेस को लेकर एक थ्योरी दी जा रही है कि यूपी में अगर उसका उभार होगा तो सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी का होगा. इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि कांग्रेस अपर कास्ट वोटरों के बीच सेंध लगा सकती है और इन वोटों के छिटकने से बीजेपी को बड़ा नुकसान होगा. मायावती फिलहाल जिस तरह से कांग्रेस का नाम एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन से दूर रखना चाहती हैं, उससे लग रहा है कि वह भी इसी थ्योरी पर भरोसा कर रही हैं.
मायावती ने यूपी में एसपी के साथ गठबंधन की घोषणा करते वक्त कहा था, ‘’हमें कांग्रेस के साथ गठबंधन करने में कोई फायदा नहीं दिखता. पुराने अनुभव बताते हैं कि कांग्रेस हमें वोट ट्रांसफर नहीं करा पाती.’’
गठबंधन की पिच पर कांग्रेस और बीएसपी दोनों फ्रंटफुट पर खेलने के मूड में
कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 के बाद कांग्रेस ने बीजेपी को रोकने और सत्ता में आने के लिए जेडीएस के साथ बैकफुट पर जाकर गठबंधन किया था. कुल 223 सीटों पर हुए उस चुनाव में बीजेपी को 104, कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 37 सीटें मिली थीं. जेडीएस की सीटें काफी कम होने के बाद भी कांग्रेस ने उससे लगभग उसकी ही शर्तों पर गठबंधन किया और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी को कर्नाटक का सीएम बना दिया. ऐसे में बीएसपी जैसे कई दल अपनी पकड़ वाले राज्यों में कांग्रेस से उम्मीद करने लगे कि वह उनसे उनकी ही शर्तों पर गठबंधन करने को तैयार हो जाएगी. मगर मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी के हाथ से सत्ता छीनने के बाद कांग्रेस के हौसले बुलंद हैं. वह अब गठबंधन के मामले में बैकफुट पर जाने को तैयार नहीं दिख रही.
बात बीएसपी की करें तो उसने जिस तरह से यूपी में फ्रंटफुट पर आकर एसपी के साथ गठबंधन किया है, वह भी बैकफुट पर जाना नहीं चाहती. मायावती के समर्थक उन्हें संभावित पीएम उम्मीदवार के तौर पर भी देख रहे हैं. अखिलेश यादव ने भी इस बात को खारिज नहीं किया है. ऐसे में मायावती की कोशिश होगी कि वह यूपी में बेहतर प्रदर्शन कर और क्षेत्रीय दलों को साथ लेकर पीएम उम्मीदवार के तौर पर खुद को आगे कर सकें.
इस हिसाब से बीएसपी चाहेगी कि कांग्रेस एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन को नुकसान पहुंचाए बिना बीजेपी के वोटों में सेंध लगाए.
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