फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ में प्रियंका चोपड़ा सहायक भूमिका में हैं, पर अपने सशक्त अभिनय से फिल्म की ‘काशीबाई’ दीपिका की निभाई मुख्य भूमिका ‘मस्तानी’ के जुनूनी किरदार पर भारी पड़ती है. दर्शक बाजीराव-मस्तानी की जगह बाजीराव-काशीबाई के जोड़े को ज्यादा पसंद कर बैठते हैं.
बॉलीवुड में ऐसा पहली बार नहीं हुआ, जब किसी सहायक भूमिका की परछाई में एक मुख्य भूमिका का प्रभाव कम हो गया हो.
द क्विंट बात कर रही है इन खास सहायक भूमिकाओं के बारे में, जिनके आगे मुख्य भूमिकाओं के सितारों की चमक फीकी पड़ गई.
‘दामिनी’ के सनी देओल
दामिनी उस महिला की कहानी थी, जो अन्याय से भरे समाज में न्याय की तलाश कर रही है. फिल्म में सनी देओल एक छोटी मगर प्रभावी भूमिका में थे. निर्देशक राजकुमार संतोषी ने उनसे वही कराया जो वे सबसे अच्छी तरह करते थे - वे फिल्म में खूब चीखे. दामिनी को इंसाफ दिलाने के लिए चीखते हुए सनी देओल ने खूब तालियां बटोरीं.
‘फैशन’ की कंगना रानौत
‘फैशन’ प्रियंक चोपड़ा को ध्यान में रखकर बनाई गई थी, पर अपनी छोटी सी भूमिका में कंगना ने फिल्म की तारीफें अपने नाम कर लीं. इसी फिल्म से दर्शक कंगना की उस दमदार अभिनय क्ष्ामता से रूबरू हुए, जिसे अब हम उनकी हर फिल्म में साफ देख रहे हैं.
‘ताल’ के अनिल कपूर
‘ताल’ में एक ‘बिछड़े प्रेमी’ की भूमिका में अक्षय खन्ना और देर से सही, स्टार बन जाने वाली खूबसूरत एश्वर्या के बीच की केमिस्ट्री दर्शकों का दिल छूने में नाकाम रही, पर फिल्म के दूसरे हिस्से में नजर आए अनिल कपूर. उनका मस्त अंदाज फिल्म में कुछ इस तरह जान डाल देता है, जिसकी उम्मीद एक ‘मुन्ना’ या ‘लखन’ से ही की जा सकती है.
‘सत्या’ में मनोज वाजपेयी
रामगोपाल वर्मा के करियरको एक नई दिशा देने वाली फिल्म ‘सत्या’ ने मनोज वाजपेेेेयी को अचानक स्टार बना दिया था. उनका किरदार भीखू म्हात्रे बॉलीवुड के उन गिने चुने किरदारों में से एक हो गया है, जिन्हें फिल्म नॉयर की खास भूमिकाओं की लिस्ट में रखा जा सकता है.
‘गोलमाल’ के उत्पल दत्त
‘गोलमाल’ में अमोल पालेकर से लेकर दीना पाठक, सभी ने अपनी बेहतरीन अदाकारी पेश की है. पर पर्दे पर शांत नजर आने वाले अमोल अगर फिल्म में कॉमेडी करते नजर आए हैं, तो उस कॉमेडी को खास बना देने का श्रेय उत्पल को ही जाता है. एक लड़की के पिता भवानी शंकर की भूमिका को उत्पल ने बहुत संजीदगी के साथ जिया.
‘देवदास’ की माधुरी दीक्षित
शाहरुख ने दिलीप कुमार को देखकर जो भी सीखा, उन्होंने ‘देवदास’ के किरदार में इस्तेमाल कर लिया. भंसाली ने अपनी पसंदीदा अभिनेत्री ऐश्वर्या को सजा-संवारकर पारो बनाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी. पर शरतचंद के देवदास का मान रखा चंद्रमुखा माधुरी दीक्षित ने.
भंसाली के भव्य सैट और भारी-भरकम कॉस्ट्यूम की चमक को दरकिनार कर इस फिल्म में कोई सितारा अगर जगमगाया था, तो वो माधुरी थीं. साथ ही इस फिल्म में माधुरी ने अपनी सबसे अच्छी नृत्य प्रस्तुतियां भी इसी फिल्म में दी थीं.
‘ओंकारा’ में सैफ अली खान
‘ओंकारा’ के लंगड़ा त्यागी को कौन भूल सकता है. लंगड़ा धोखा देता है, पर उसके किरदार में एक धोखेबाज की नीचता दूर से नजर नहीं आती. इस किरदार को बेहद स्वाभाविक तरीके से निभाकर सैफ ने दर्शकों को चौंका दिया था. शेक्यपीयर के इस भटके हुए चरित्र को हिंदी सिनेमा में एक नई परिभाषा दे दी थी इस फिल्म में सैफ अली खान ने.
‘हेराफेरी’ के परेश रावल
इस फिल्म से परेश रावल के कल्ट की शुरुआत हो गई थी. बाबूराव गणपतराव आप्टे उर्फ बाबू भैया के इस किरदार के आगे सुनील शेट्टी और अक्षय कुमार दोनों ही टिक नहीं सके थे. बाबू भैया का यह किरदार जिसने एक अधेड़ उम्र अभिनेता को खास चेहरा बना दिया, इतना लोकप्रिय हुआ कि अगली कई फिल्मों में खुद परेश ने अपनी ही नकल की थी.
‘मुकद्दर का सिकंदर’ की रेखा
प्रकाश मेहरा की ‘देवदास’ की तर्ज पर बनाई गई इस फिल्म में रेखा के किरदार जोहरा बेगम ने राखी की भूमिका कामना का असर पूरी तरह खत्म कर दिया था. साथ ही रेखा और अमिताभ की केमिस्ट्री भी अपना असर छोड़ने में कामयाब रही थी.
‘हम आपके हैं कौन’ का टफी
कुछ लोगों को सूरज बड़जात्या की खुशियों में डूबी फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ काफी पसंद आती है, तो कुछ लोगों को ये एक शादी के वीडियो से ज्यादा नहीं लगती. पर माधुरी सलमान के साथ-साथ दिल लुभाने वाले गानों वाली फिल्म नजरअंदाज नहीं की जा सकती. फिल्म में सबसे प्यारा किरदार नन्हा पॉमेरियन टफी था, जिसे पता था कि परेशानी आखिर भगवान कृष्ण ही दूर कर सकते हैं.
(लेखक पत्रकार और स्क्रीनराइटर हैं.)
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