इस लॉकडाउन में, पता नहीं मुझे क्या हुआ... शायद मेरी मती मारी गई थी जब मैंने 'फोर मोर शॉट्स प्लीज' का सीजन 2 देखने का मन बनाया. इस शो के पहले सीजन के मैंने सिर्फ 3 ही एपिसोड देखे थे और उसी में मुझे समझ आ गया था कि ये शो कुछ खास नहीं... और मैं उस सीन के बाद तो शो बर्दाश्त ही नहीं कर पाई थी जहां चारों लड़कियां मुंबई के मरीन ड्राइव पर बैठकर जोर-जोर से "वजाइना" चिल्ला रहीं थीं जैसे कि वो किसी तरह का मॉडर्न फेमिनिस्ट एंथम हो.
खैर,उस ‘खराब’ परंपरा को जारी रखते हुए मैंने सोचा कि सीजन 2 के भी कम से कम 3 एपिसोड तो देख ही लेती हूं.
1) ये शो बिल्कुल साउथ बॉम्बे की लड़कियों का मीम लगता है
तो कहानी शुरू होती है यहां से कि दामिनी (शायोनी गुप्ता), सिद्धि (मानवी गागरू), अंजना (कीर्ति कुलहरि) और उमंग (बानी जे) ऐसे ही बिना किसी ठोस प्लान के इस्तांबुल घूमने निकल जाती हैं. वहां टर्किश आइसक्रीम खाते हुए और लड़कों की बुराई करते हुए, पैच अप करने? हद है!
2) मैं ये जानना चाहती हूं कि कौन से पत्रकार को इतना पैसा मिलता है, जितना शायोनी गुप्ता के कैरेक्टर को शो में मिल रहा है.
बड़ा घर? एक से एक ब्रैंडेड कपड़े? बिना जॉब के ऐसा लाइफ स्टाइल?..... मुझे भी दिला दो यार कोई!!!
3) ये लोग इस्तांबुल सिर्फ स्लैम बुक भरने और फ्रेंडशिप के वादे करने ही गए हैं क्या? कितने साल की हैं ये लड़कियां?
4) और हमेशा की तरह वही ग्रुप हग.... Ewww
5) वाह, अगर सिमोन डे बियोवॉयर ने सुन लिया कि 'फोर मोर शॉट्स प्लीज 2' में दामिनी उनका रेफेरेंस दे रही है, तो फ्रेंच फेमिनिस्ट फिलॉसिफर अपनी कब्र में ही रहकर एक बार फिर मर जाएंगे....ओम शांति!
6) बर्तन धोते समय, अंजना का बॉयफ्रेंड अर्जुन उससे कहता है, "हम इस sink में भी sync में हैं."
मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ. आगे अर्जुन कहता है, "हम जब बर्तन धोते हैं, वो तब भी प्यार करने जैसा ही लगता है." किसने लिखे हैं ये डायलॉग्स और क्या सोच रहे थे लिखते समय?
7) बहन लीसा रे...ये तुम्हें हुआ क्या ?
एक एपिसोड में लीसा रे रो रही होती हैं. कायदे से तो मुझे भी उनके साथ दो आंसू गिराने चाहिए....हां मेरे आंसू गिरे... लेकिन दुख में नहीं बल्कि हंस हंसकर.
क्या एक्टिंग थी वो... इतनी बेकार!
8) दूसरे एपिसोड के आधे में ही, ये महसूस होने लगता है कि अगर इन लड़कियों ने अलग- अलग थेरपी ले ली होती, तो हमें ये बकवास झेलना नहीं पड़ता.
9) मैं इस बात से भी बहुत हैरान हूं कि मानवी गागरू के कैरेक्टर को टैम्पून इस्तेमाल करने में इतनी शर्मिंदगी क्यों महसूस हुई? हां भई राइटर साहब....यही है तुम्हारा फेमिनिज्म?
मैं सोच रही हूं- क्या इस शो के राइटर कभी किसी महिला से मिले भी हैं?
10) मैं जानती हूं कि एक चाइल्ड एक्टर से नफरत करना गलत है, लेकिन ये छोटी लड़की (अंजना की बेटी) शो में बहुत ज्यादा दिमाग खराब करती है.
वो सबसे बुरी बातें करती है और हमेशा ऐसा लगता है जैसे टेलीप्रॉम्प्टर पढ़ रही है.
11) नीचे वाली तस्वीर में मैं गिन रही हूं कि ये चारों कितनी बार 'बार' जातीं हैं और कितना पीती हैं क्यूंकि ये बात तो पक्की है कि सिर्फ 4 शॉट्स में तो इनका पेट नहीं भरता होगा.
मुझे तो इस बात से हैरानी है कि आज तक इनमें से किसी को भी एल्कोहॉल पॉइजनिंग की वजह से अस्पताल नहीं जाना पड़ा!
और कोई इस शो के राइटर को ये बताओ प्लीज कि इन्हें हर एपिसोड में टाइटल बताने की जरुरत नहीं है. लड़कियां बहुत ज्यादा पीती हैं, हम समझ गए! देखो हैंडसम जे भी वही बात कह रहा है...
12) मिलिंद सोमन का कैरेक्टर, जो कि शो में इकलौता डॉक्टर है, उसकी वही घिसी पिटी कहानी है.
लेकिन मैं ये बोलूंगी कि मुझे ये देखकर मजा आया कि शो के मेल कैरेक्टर्स को सिर्फ प्लॉट के लिए यूज किया गया.
13) 'BFF' और 'सैपियोसेक्शुअल' जैसे शब्द अनआईरोनिकली यूज किए जा रहे हैं. मेरा तो हो गया बस!
14) और एक अच्छा मोमेंट तो तब खराब हो जाता है जब आदमी ये कहता है, "बेबी, तुम नहीं जानतीं मेरे लिए कितना मुश्किल था उन औरतों को डेट करते रहना. मैं डाइवोर्स के बाद आज भी तुम्हारे बारे में सोचकर आंहे भरता हूं"
बस... और नहीं देख सकती मैं. मैं वरुण को (अंजना का पति) और शो के बाकी आदमियों को मारना चाहती हूं.
15) तीन एपिसोड के बाद मेरा खून खौल रहा है.
साइड नोट: प्रतीक बब्बर यहां वेस्ट हो रहा है. कोई उन्हें बाहर निकालो.
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