एक्टर अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन की 11 साल की बेटी आराध्या बच्चन (Aaradhya Bachchan) ने हाल ही में कई YouTube चैनलों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यूट्यूब वीडियो पर एतराज जाहिर करते हुए कहा कि हर बच्चे को सम्मान का अधिकार है. यूट्यूब की जिम्मेदारी बनती है कि वो इस तरह की फर्जी खबरों पर रोक लगाए. 11 साल की आराध्या ने याचिका दायर करते हुए चैनलों से हर्जाने के तौर पर 20 करोड़ रुपये देने की मांग की है.
आखिर उसकी शिकायत क्या है?
हाईकोर्ट ने क्या कहा?
और आगे क्या?
शिकायत किस बारे में थी?
अपने पिता के माध्यम से दायर एक शिकायत में, आराध्या बच्चन ने आरोप लगाया है कि यूट्यूब चैनलों ने ऐसे वीडियो पोस्ट किए हैं जो:
कथित तौर पर उसके 'गंभीर रूप से बीमार' होने के दावे किए गए, लेकिन वह एक स्वस्थ स्कूल जाने वाली बच्ची है.
बच्चन परिवार पर उन्हें पर्याप्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराने का आरोप लगाया
यहां तक कि एक वीडियो में कथित तौर पर तस्वीरों को काट-छांट कर दिखाया गया कि उनकी मौत हो गई है
कोर्ट में आराध्या के वकील ने क्या तर्क दिया?
आराध्या के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने अदालत को बताया कि वीडियो ने नाबालिग के निजता के अधिकार का उल्लंघन किया और सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश डिजिटल मीडिया नैतिकता) नियम 2021 (2022 में संशोधित) के खिलाफ गए हैं.
बार और बेंच के अनुसार, "सोशल मीडिया के युग में, एक सार्वजनिक व्यक्ति की प्रतिष्ठा बच्चों का खेल बन गई है और यहां एक बच्चे को भुगतना पड़ता है."
कृष्णन ने मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश को यह भी बताया कि उन्होंने YouTube को कानूनी नोटिस भेजकर इन वीडियो को हटाने के लिए कहा था, लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने यह कहते हुए जवाब दिया कि वे मानहानि के आरोपों के आधार पर सामग्री नहीं हटाते हैं
Google के स्वामित्व वाले YouTube ने कहा कि जिन लोगों ने वीडियो अपलोड किए थे, उनके संपर्क विवरण गुमनाम या अप्राप्य थे, और केवल अदालत के निर्देश के बाद ही उपलब्ध कराए जा सकते थे
दिल्ली हाई कोर्ट ने क्या कहा है
कोर्ट ने कहा कि सेलिब्रिटी से लेकर सामान्य बच्चे को सम्मान पाने का अधिकार है, विशेष रूप से बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में भ्रामक जानकारी का प्रसार कानून में पूरी तरह से असहनीय है
इसके अलावा, इस तरह के वीडियो से निपटने के लिए कोई नीति नहीं होने के कारण जस्टिस कृष्णन YouTube पर भी जमकर बरसे. कोर्ट ने YouTube से पूछा - "यह देखना आपकी जिम्मेदारी है कि किसी भी गलत सूचना का प्रसार न हो, लेकिन इस तरह के मामले में आपके पास कोई नीति क्यों नहीं?"
कोर्ट ने आगे कहा - "आप एक ऐसा मंच प्रदान कर रहे हैं जिस पर जनता को भ्रामक जानकारी दी जा रही है. इसे कैसे बर्दाश्त किया जा सकता है?"
तो आगे क्या?
इस मामले में अगली सुनवाई 13 जुलाई को होगी, अदालत ने तीन अंतरिम निर्देश पारित किए हैं:
विवादित चैनलों को आराध्या के बारे में कोई भ्रामक सामग्री प्रदर्शित करने या प्रकाशित करने से रोका और सरकार से इसी तरह की सामग्री तक पहुंच को रोकने के लिए कहा है.
कोर्ट ने कहा कि आईटी नियमों में संशोधन के तहत बिचौलियों से संबंधित संपूर्ण वैधानिक व्यवस्था का कड़ाई से अनुपालन करने के लिए गूगल बाध्य है. अदालत ने आदेश दिया कि यूट्यूब चैनल से लेकर सभी प्रतिवादी व उनके सहयोगी और उनकी ओर से काम करने वाले अन्य लोगों को वाद में दिए गए वीडियो को प्रसारित करने या आगे प्रसारित करने से रोका जाए.
Google को अपनी नीति को विस्तार से निर्धारित करने का निर्देश दिया, ताकि अदालत यह सुनिश्चित कर सके कि वह (मध्यवर्ती दिशानिर्देश डिजिटल मीडिया नैतिकता) नियम 2021 (2022 में संशोधित) का अनुपालन करती है.
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