हादसा बनकर कोई ख्वाब बिखर जाए तो क्या हो.. वक्त कभी जज्बात को तब्दील नहीं कर सकता.. दूर हो जाने से एहसास नहीं दब सकता.. ये मुहब्बत है, दिलों का रिश्ता.. ऐसा रिश्ता जो जमीनों की तरह सरहदों में तकसिम नहीं हो सकता.. तू किसी और की रातों का हसीन चांद ही सही.. मेरी दुनिया के हर रंग में शामिल तू है.. तुझसे रोशन हैं मेरे ख्वाब मेरी उम्मीदें.. मैं किसी राह से गुजरूं, मेरी मंजिल तू है.अमिताभ बच्चन, फिल्म सिलसिला
हिंदी सिनेमा की सदाबहार अदाकारा रेखा का जन्म 10 अक्टूबर 1954 को चेन्नई (तब मद्रास) में हुआ था. इतिहास के पन्नों में अक्सर उनका नाम अमिताभ के साथ जोड़ा जाता रहा है. अमिताभ और रेखा ने पहली बार दो अनजाने फिल्म में साथ किया था. वहीं आखिरी बार दोनों को फिल्म सिलसिला में देखा गया था.
फिल्म दो अनजाने के बाद अमिताभ बच्चन के साथ रेखा का फिल्मी करियर उड़ान भरने लगा था. मशहूर निर्देशक प्रकाश मेहरा की फिल्म ‘मुकद्दर का सिकंदर’ में रेखा और अमिताभ की जोड़ी ने पहली बार आसमान छुआ.
यश चोपड़ा की सिलसिला फिल्म में जो कहानी है दरअसल वो इन दोनों की रियल लाईफ से कॉफी मिलती-जुलती है.
यहां हम आपको रेखा-अमिताभ की हैरान कर देने वाली बातें बताएंगे.
कैसे शुरु हुआ रेखा और अमिताभ के प्यार का सिलसिला
रेखा और अमिताभ की पहली मुलाकात फिल्म दो अनजाने के सेट पर हुई थी. तब तक अमिताभ स्टार बन चुके और जया के साथ शादी भी कर चुके थे. फिल्म की शूटिंग आगे बढ़ने पर दोनों के बीच प्रेम कहानी भी आगे बढ़ने लगी.
वो किसी और के थे और ये मैं बदल नहीं सकती थी. वो शादीशुदा आदमी हैं लेकिन ये बात उनको अलग नहीं करती. मैं उनको पसंद करती थी और करती हूं. बात खत्म.रेखा
फिल्म दो अनजाने हिट रही और इनकी जोड़ी इतनी पसंद की गई कि उन्हें 'सुहाग', 'मुकद्दर का सिकंदर' और 'राम बलराम' जैसी कई फिल्मों में साथ काम करने का मौका मिला. दोनों रेखा के एक दोस्त के बंगले पर मिला करते थे.
जब प्यार दुनिया के सामने आया
लेकिन इनका प्यार सबके सामने तब खुलकर आया, जब फिल्म 'गंगा की सौगंध' के समय एक को-एक्टर ने रेखा के साथ बदतमीजी कर दी. इस पर अमिताभ अपना आपा खो बैठे थे.
अफवाहें तो यहां तक उड़ीं कि इन दोनों ने छिप कर शादी भी कर ली है. इन अटकलों को तब और हवा मिली जब ऋषि और नीतू कपूर की शादी में रेखा सिंदूर लगाएं और मंगलसूत्र पहनकर पहुंच गईं. उस रात की तस्वीरें कुछ मैगजीनों में भी छपी थीं.
जब जया ने रेखा को बुलाया घर!
दोनों के अफेयर की खबरें जया तक भी पहुंच चुकी थीं. जया ने एक रात रेखा को अपने घर डिनर पर बुलाया. उस रात अमिताभ शहर से बाहर थे. रेखा को लगा था कि जया उनपर चिल्लाएंगी या अमिताभ से दूर रहने के लिए कहेंगी. मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ. जब रेखा जया के यहां पहुंची तो उन्होंने रेखा को अच्छा खाना खिलाया, घर की डेकोरेशन की बात की. लेकिन अमिताभ का नाम बीच में कहीं नहीं लिया.
रेखा जब वापस जा रही थीं तब जया ने उनसे सिर्फ एक बात कही जो रेखा को सन्न कर गई. जया ने रेखा से कहा, ''मैं अमित को कभी नहीं छोडूंगी'' और रेखा समझ गईं कि वो अमित की कभी नहीं हो पाएंगी.
...और फिर फिल्म सिलसिला
1980 में यश चोपड़ा ने एक बम धमाके जैसा असर करने वाली खबर का खुलासा किया. यश चोपड़ा ने बताया कि उनकी अगली फिल्म 'सिलसिला' में रेखा, अमिताभ और जया बच्चन साथ होंगे.
खबरों की मानें तो अमिताभ ने ही उन दोनों को साथ फिल्म करने के लिए मनाया था. ताकि उन दोनों के बीच की कड़वाहट को खत्म किया जा सके. शाहरुख खान को दिए गए अपने एक इंटरव्यू में यश चोपड़ा ने खुद इस बात का जिक्र किया है.
सिलसिला फिल्म की ये असली कॉस्ट नहीं थी. पहले रेखा और जया की जगह पर परवीन बॉबी और स्मिता पाटिल थीं. कश्मीर में शूटिंग से पहले अमिताभ ने फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ी. फिर मुझसे बोले कि यश जी क्या आप फिल्म की कॉस्ट से खुश हैं. तो मैने बोला नहीं. फिर मैंने अमिताभ से ही पूछा कि आप ही बता दो किसे होना चाहिए. तो उन्होंने जया और रेखा को फिल्म में लेने के लिए कहा.यश चोपड़ा
यश चोपड़ा ने कबूल किया कि वे 'सिलसिला' बनाते वक्त बहुत डर रहे थे क्योंकि इन तीनों के बीच पहले से ही काफी तनातनी थी. वो उनकी रियल लाइफ को रील लाइफ में दिखा रहे थे.
सिलसिला के बाद अमिताभ और रेखा के बीच दूरियां आ गई. लेकिन तीन साल बाद 1983 में फिल्म कुली में अमिताभ के साथ हुए जानलेवा हादसे के बाद जब उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था, तब फिर रेखा का प्यार उमड़ आया. रेखा अमिताभ को अस्पताल देखने पहुंच गई. लेकिन वहां उनको अमिताभ से मिलने नहीं दिया गया. वो आखिरी मौका था जब रेखा ने अमिताभ से मिलने की कोशिश की.
कई सालों बाद फिल्म शमिताब की प्रमोशन पर जब अमिताभ से पूछा गया कि क्या आप रेखा के साथ काम करना चाहेंगे तो उन्होंने बस इतना कहा- हां क्यों नहीं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)