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वो 5 फिल्में जो आप ‘फादर्स डे’ पर अपने डैड के साथ जरूर देखें

फादर्स डे को यादगार बनाती ये फिल्में

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'दो दुनी चार' में ऋषि कपूर का कैरेक्टर कहता है, "खाली फीस भरने से पापा की ड्यूटी पूरी नहीं होती, पापा की ड्यूटी होती है बच्चों की खुशियां." जब हर पिता अपने बच्चों को दुनिया की सारी खुशी देने का प्रयास करते रहते हैं, तो हमारा भी फर्ज बनता है कि हम फादरहुड की भावना को सेलिब्रेट करे. चूंकि सिनेमा से अच्छा कोई ओर तरीका नहीं होता अपने इमोशन को एक्सप्रेस करने का, इसलिए हम आपके लिए लाए है 5 फिल्मों की लिस्ट, जो पिता और बच्चे के बॉन्ड को क्लासिकल तरीके से दिखाती हैं.

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पीकू

पिता-बेटी की जोड़ी वाली ये कॉमेडी फिल्म पीकू अपनी सहज अभिनय और स्टोरी की सादगी से सबका दिल जीत लेती है. दोनों के बीच हर दिन बिना बात के बहस, दोनों का चोरस में बंगाली गाने गाना, फिल्म बाप-बेटी के रिश्ते को पूरी ईमानदारी के साथ दिखाती है. शूजीत सिरकार की स्लाइस-ऑफ-लाइफ फिल्म, पीकू(दीपिका पादुकोण) की कहानी है, जो अपने गुस्सैल और कब्ज से पीड़ित पिता भास्कर बनर्जी(अमिताभ बच्चन) को समझने की कोशिश करती रहती है और पिता अपनी बेटी को. पीकू उनके प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में विफल नहीं होती. उस सीन में जहां वह राणा (इरफान खान) को हर बच्चे की अपने पेरेंट्स की तरफ जिम्मेदारियों, खासकर जब वो बूढ़े हो जाते हैं, के बारे में बताती है, तो शायद वह बात हर बच्चे के दिल को अपनी तरफ खींच लेती है. आप ऐसी फिल्म को फादर्स डे पर बिल्कुल मिस नहीं करना चाहोगे.

102 नॉट आउट

102 नॉट आउट दो बुजुर्ग (एक 102 साल के पिता और उसके 75 साल के बेटे) की एक स्वीट सिंपल फिल्म है, जो एक दूसरे को समझने की कोशिश करते रहते हैं. हालांकि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई, लेकिन एक बात जो हम बताना चाहेंगे कि इस फिल्म ने सबके दिलों में एक खास जगह बनाई है. जहां अमिताभ बच्चन अपने बेटे की जिंदगी को सकारात्मक तरीके से जीना सिखाते हैं, वहीं उनका बेटा(ऋषि कपूर) उन्हें इग्नोर करता है (जैसा हर बच्चा करता है). यह बाप-बेटे के रिश्ते का फ्रेश टेक है, जहां दोनों अपनी जिंदगी के आखिरी स्टेज पर होते हैं और इसके प्रति एक-दूसरे के दृष्टिकोण को लेकर कन्फ्यूजड रहते हैं. ये फिल्म आपको एहसास दिलाती रहेगी कि आपके पापा हमेशा आपके साथ है, तो आज ही इस फिल्म को देखिए.

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पा

क्या हमें इस फिल्म के बारे में भी कुछ कहने की जरूरत है? यह 'बहुत यूनिक बाप-बेटे की स्टोरी थी, जो सिर्फ आर. बाल्की ही सोच सकते थे. अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन और विद्या बालन की शानदार परफॉमेंस के साथ 'पा' ने रियल लाइफ के पिता-पुत्र जोड़ी बिल्कुल उलट दी थी और कितनी आसानी से! फिल्म में ऑरो (अमिताभ बच्चन) को प्रोजेरिया से पीड़ित दिखाया गया है, एक रेयर जनेटिक कंडीशन, जिसमें उसकी उम्र तेजी से बढ़ती है और अपने जीवन को खतरे में डालने वाली स्थिति का शिकार होने से पहले उसका अपने पिता,अमोल (अभिषेक बच्चन) को जानने का प्रयास करना दिखाया गया है. उनके रिश्ते के इस मार्मिक चित्रण में मासूमियत और दिल टूटने के पल थे, जहां अमोल यह जानने की कोशिश कर रहा है कि पिता होना क्या है, जबकि वह जानता है कि उसके बेटे के पास ज्यादा समय नहीं है.

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उड़ान

हालांकि यह फादर्स डे को मार्क करने के लिए 'आदर्श' नहीं है, पर यह फिल्म एक टीनेजर रोहन (रजत बरमेचा) पर कम ही बात करती है, जो अपने पिता (रोनित रॉय) के साथ रहते हुए अपने लेखन के पैशन को खोजता है. विक्रमादित्य मोटवानी ने हमें सिक्के के दूसरे पहलू को दिखाना चाहा, जहां रोहन अपने पापा के साथ अपनी रिलेशनशिप शेयर करने पर मुसीबत में पड़ने के बाद, अपने सौतेले भाई के साथ घर छोड़ देता है. 'उड़ान' कान्स में प्रीमियर होने वाली सात वर्षों में पहली भारतीय फिल्म थी और उसने सात फिल्मफेयर अवॉर्ड भी जीते. यह फिल्म एक जश्न और जीत है एक बदले की जो हम में से हरेक के अंदर होता है, जो भी पैरों में बंधी बेड़ियों के बंधन से बाहर निकलना चाहते हैं. उन खट्टे-मीठे पलों के लिए जो हम अपने डैड के साथ शेयर करते हैं, ये फिल्म जरूर देखें.

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संजू

संजू एक पिता और बेटे के बीच के रिश्तों को बयां करती हैं. एक पिता अपने परिवार के लिए चट्टान की तरह हर हाल में खड़ा था चाहे उसके सामने कुछ भी आ जाए. उसके बेटे के ड्रग्स एडिक्शन होने और जेल जाने के वक्त, दत्त साहिब ने अपनी आखिरी सांस तक कभी अपने बेटे का साथ नहीं छोड़ा. एक दिल को छू जाने वाले सीन में, संजय दत्त(रणबीर कपूर) अपने पिता के लिए 'थैंक्यू' नोट पढ़ते हैं और कहते हैं, "डैड, आप एक अच्छे बेटे के हकदार थे". यह मुझे महसूस कराता है कि हम अक्सर कितने अनग्रेटफुल हो जाते हैं, जब हम बच्चे होते हैं. ये सीन देखें और जाकर अपने पिता को 'एक जादू की झप्पी' दे दें.

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