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फिल्म ‘आर्टिकल 15’ जातिवाद पर बनी बासी लव स्टोरीज से दो कदम आगे

फिल्म आर्टिकल 15 में एक ऐसे मुद्दे को उठाया गया है, जो आज तक फिल्मों के लिए ज्यादातर अछूत ही रहा है.

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"मैं और तुम इन्हें दिखाई ही नहीं देते. हम कभी हरिजन हो जाते हैं, कभी बहुजन हो जाते हैं. बस जन नहीं बन पा रहे हैं कि 'जन गण मन' में हमारी भी गिनती हो जाए."

'आर्टिकल 15' का ट्रेलर एक्टर जीशान अयूब के इस ही वॉयस-ओवर से शुरू होता है. ये वॉयस-ओवर हमारे देश के उन लोगों की आवाज है, जो आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में हो रहे सामाजिक भेदभाव और जातिवाद से जूझ रहे हैं. ये ट्रेलर आपको झकझोर कर रख देगा, क्योंकि ये फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है. अगर आपने ये ट्रेलर अभी तक नहीं देखा है, तो यहां देखिए:

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'आर्टिकल 15' की खासियत

27 मई, 2014 को उत्तर प्रदेश के बदायूं में 2 लड़कियों का बलात्कार कर उन्हें पेड़ पर लटकाने वाली घटना ने पूरे देश को हिला कर रखा दिया था. वही घटना 'आर्टिकल 15' में दिखाई गई है.

इस फिल्म में एक ऐसे मुद्दे को उठाया गया है जो आज तक फिल्मों के लिए ज्यादातर अछूत ही रहा है. अब तक जातिवाद पर ज्यादातर लव-स्टोरीज ही बनती आई हैं, लेकिन इस बार बॉलीवुड दो कदम आगे बढ़ा है.

थैंक्स टू आयुष्मान खुराना... जिनकी फिल्मों को लेकर च्वाइस ही बड़ी अलग रहती है और डायरेक्टर अनुभव सिन्हा जिन्होंने इससे पहले 'मुल्क' जैसी फिल्म बनाई है.

देश में किस तरह से जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव किया जाता है और किस तरह से निचले तबके के लोगों के लिए जीना मुश्किल होता है, 'आर्टिकल 15' में ये काफी सेंसेटिविटी के साथ पेश किया गया है. दरअसल हमारे संविधान के आर्टिकल 15 में लिखा गया है कि किसी भी वर्ग, जाति, लिंग या धर्म के व्यक्ति में किसी तरह का अंतर नहीं किया जाएगा, लेकिन देश में क्या हो रहा है इससे ना तो आप अंजान हैं और ना ही हम. तो देशवासियों को एक बार फिर अपना संविधान याद दिलाने के लिए इस फिल्म का नाम रखा गया है 'आर्टिकल 15'.

अब तक जातिवाद पर बनीं फिल्में

सुजाता (1959)

साल 1959 में बिमल रॉय की 'सुजाता' नाम की एक फिल्म आई थी, जिसमें सुनील दत्त और नूतन लीड रोल में थे. यह फिल्म हमारे देश में छुआछूत की समस्या पर आधारित थी. इस लव स्टोरी में एक ब्राह्मण लड़का था और एक ऐसी लड़की थी, जिसे समाज ने ‘अछूत’ करार दे दिया था.

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अछूत कन्या (1936)

'अछूत कन्या' साल 1936 में रिलीज हुई थी. ये फिल्म समाज में दो अलग-अलग वर्गों से आने वाले लोगों पर बनी लव स्टोरी थी. अशोक कुमार और देविका रानी इसमें लीड रोल में थे. 1936 के दौर में इस तरह के कंटेंट वाली फिल्म को महात्मा गांधी की भी तारीफ मिली थी.

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सैराट (2016)

2016 में आई इस मराठी फिल्म में भी लड़की एक अमीर और प्रभावशाली परिवार से होती है और एक मछुआरे के बेटे को उससे प्यार हो जाता है. फिल्म में दिखाया गया है कि यह दोनों, लड़की के परिवार से कैसे बचते-बचाते दूसरे शहर में जाकर अपना नन्हा सा परिवार बसाते हैं, लेकिन फिल्म के अंत में, लड़की के परिवार वाले दोनों को मार कर उनके बच्चे को लावारिस छोड़ देते हैं.

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