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‘बाला Vs उजड़ा चमन’|बॉलीवुड को एक साथ एक ही आइडिया कैसे आ जाता है?

‘बाला’ और ‘उजड़ा चमन’, दोनों फिल्मों में गंजेपन से परेशान व्यक्ति की कहानी

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'बाला' और 'उजड़ा चमन'. पिछले कुछ दिनों से ये दोनों ही फिल्में खूब चर्चा में हैं. कारण? दोनों फिल्में जवानी में गंजेपन का शिकार हुए लोगों पर बनी हैं, और फिल्म में हीरो के लुक्स से लेकर कहानी लगभग एक जैसी ही लग रही है. दोनों फिल्मों में हीरो से लेकर ट्रेलर के क्लाइमैक्स तक, कहानी में कई समानताएं हैं. ये दोनों ही फिल्में एक हफ्ते में रिलीज हो रही हैं. जहां ‘उजड़ा चमन’ 1 नवंबर को रिलीज हो चुकी है, तो वहीं ‘बाला’ 8 नवंबर को रिलीज होगी.

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एक ही हफ्ते में एक ही टॉपिक पर फिल्मों का आना काफी अजीब है. ‘उजड़ा चमन’ के डायरेक्टर अभिषेक पाठक भी दोनों फिल्मों में समानता को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं.

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब बॉलीवुड में एक ही स्टोरीलाइन पर एक से ज्यादा फिल्में आई हों. इससे पहले भी बॉलीवुड में एक ही टॉपिक पर आस-पास फिल्में आ चुकी हैं.

पैडमैन Vs फुल्लू

पिछले साल जब अक्षय कुमार की फिल्म 'पैडमैन' रिलीज हो रही थी, तब उसकी तुलना शारिब हाशमी की ‘फुल्लू’ से की गई थी. दोनों ही फिल्मों में मेंस्ट्रुएशन के प्रति जागरुकता और एक पति का अपनी पत्नी के लिए समाज से लड़ना दिखाया गया है. हालांकि ये कहा गया था कि 'पैडमैन' एक बायोपिक है और 'फुल्लू' एक पति की कहानी, लेकिन दोनों फिल्मों की एक जैसी स्टोरीलाइन से कौन इनकार कर सकता है.

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सारागढ़ी की लड़ाई

कुछ समय पहले बैटल ऑफ सारागढ़ी पर भी कई फिल्मों का ऐलान हुआ था, लेकिन इसमें बॉक्स ऑफिस तक का सफर केवल अक्षय कुमार की 'केसरी' कर पाई. बैटल ऑफ सारागढ़ी पर एक फिल्म के लिए रणदीप हुड्डा ने भी तैयारियां शुरू कर दी थीं.

राजकुमार संतोषी ने 2016 में रणदीप हुड्डा को लीड रोल में रखकर बैटल ऑफ सारागढ़ी पर फिल्म का ऐलान किया था. वहीं, अक्षय कुमार ने ‘केसरी’ 2018 में अनाउंस की. रणदीप की फिल्म कभी बन ही नहीं पाई, और अक्षय की ‘केसरी’ अनाउंसमेंट के अगले ही साल रिलीज भी हो गई.
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भगत सिंह को लेकर क्रेज

इससे पहले भी एक ही टॉपिक पर एक ही समय में फिल्में आ चुकी हैं. साल 2002 भगत सिंह का साल था. इस साल, भगत सिंह पर कई फिल्में आईं, लेकिन मजेदार बात ये है कि इनमें से दो फिल्में एक ही दिन रिलीज हुई थीं.

2002 में 7 जून को भगत सिंह पर दो फिल्में आई थीं. पहली, अजय देवगन की 'द लीजेंड ऑफ भगत सिंह' और दूसरी बॉबी देओल की '23 मार्च 1931: शहीद'. एक ही दिन, एक ही शख्स पर फिल्म रिलीज करने के पीछे क्या कारण था और इसे किसे फायदा हुआ, ये तो फिल्ममेकर्स ही जानते होंगे, लेकिन इससे सबसे ज्यादा नुकसान बॉबी देओल की फिल्म को हुआ. अजय देवगन की 'द लेजेंड ऑफ भगत सिंह' ने न केवल थियेटर में बेहतर कमाई की, बल्कि इसके लिए उन्हें नेशनल अवॉर्ड भी मिला.

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