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फारुख शेख | आतंकी हमले के पीड़ित की मदद करने वाला वो आम-सा एक्टर

उनके पास न तो बॉडी थी, न वो किसी एक्टिंग स्कूल से थे, लेकिन उनका दमदार अभिनय दर्शकों का दिल जीतने के लिए काफी था.

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'चश्मे-बद्दूर' फिल्म की शूटिंग चल रही थी. अचानक एक लाइटमैन घायल हो गया. उसे फौरन अस्पताल ले जाया गया. लाइटमैन का इलाज शुरू हुआ और फिल्म की शूटिंग भी शुरू हो गई. लेकिन फिल्म का हीरो रोज वक्त निकालकर लाइटमैन से मिलने अस्पताल जाता था. उसने लाइटमैन का इलाज खुद पैसे खर्च करके करवाया, लेकिन कभी किसी से इस बात का जिक्र नहीं किया.

वो हीरो था- फारुख शेख.

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इस किस्से का जिक्र अनु कपूर ने अपने एक शो में किया था, लेकिन ये इकलौता किस्सा नहीं है. फारुख शेख वो एक्टर थे, जिनके भीतर के नरम दिल इंसान पर फिल्मी दुनिया की चकाचौंध कभी हावी नहीं हो पाई.

बहुत कम लोग जानते हैं कि फारुख साहब ने 26/11 के आतंकी हमले में मारे गए एक शख्स के परिवार की बरसों तक मदद की. इस हमले में ताज होटल के एक कर्मचारी ने अपनी जान गंवा दी थी. उस कर्मचारी की कहानी उन्होंने 'द इंडियन एक्सप्रेस' अखबार में पढ़ी, और साल दर साल उसके घरवालों को आर्थिक मदद पहुंचाते रहे, अपनी पहचान उजागर किए बिना.

जिंदगी धूप, तुम घना साया...

साल 2013 में जब फारुख शेख दुनिया से रुखसत हुए, तो मानो फिल्म इंडस्ट्री से ये साया हमेशा के लिए उठ गया. शेख के पास न तो 6 पैक एब्स थे, न वो किसी एक्टिंग स्कूल से निकले थे, लेकिन उनका मासूम चेहरा और दमदार अभिनय दर्शकों का दिल जीतने के लिए काफी था.

उन्होंने एमएस सत्यु की संवेदनशील फिल्म गर्म हवा से फिल्मी दुनिया में कदम रखा. इस फिल्म में उनका मुख्य किरदार नहीं था, लेकिन बलराज साहनी के छोटे बेटे के किरदार में फारुख शेख ने दर्शकों का दिल जीत लिया.

गर्म हवा भारत-पाकिस्तान बंटवारे पर बनी थी. करियर की शुरुआत ही इतने विवादित विषय की फिल्म से करने का किस्सा भी बड़ा रोचक है. एक टीवी इंटरव्यू में फारुख शेख ने बताया था:

750 रुपये के लालच के चक्कर में मैंने ये फिल्म की थी. फिल्म के डायरेक्टर एमएस सत्यु ने मुझसे 750 रुपये का कॉन्ट्रैक्ट किया. 1973 में ये रुपये बहुत महत्व रखते थे. मैंने पैसों के लालच में फिल्म कर तो ली, लेकिन सत्यु ने ये पैसे मुझे पूरे 20 साल में चुकाए.
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जिस दौर में फिल्म इंडस्ट्री में राजेश खन्ना, धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन, जैसे सुपरस्टार का दबदबा था, तब कम बजट और ठोस मुद्दों पर आधारित फिल्में कर फारुख शेख, नसीरुद्दीन शाह, दीप्ति‍ नवल, शबाना आजमी, स्मिता पाटिल जैसे अदाकार अपना अलग मुकाम बना रहे थे.

फारुक साहब ने कभी खुद को स्टार नहीं माना. वो कहते थे :

लोग मुझे पहचानते थे, मुझे देखकर मुस्कुराते थे और हाथ हिलाते थे, लेकिन मुझे कभी खून से लिखे शादी के प्रस्ताव नहीं मिले.
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गूगल ने किया था सलाम

फारुख शेख ने हर किस्म की फिल्मों से दर्शकों का मनोरंजन किया. वो उन चुनिंदा अभिनेताओं में हैं, जिन्होंने समानांतर सिनेमा के साथ-साथ कमर्शियल सिनेमा में भी वही सफलता पाई. उन्होंने गंभीर, रोमांस, कॉमेडी, हर तरह की फिल्में कीं.

उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस साल उनके 70वें जन्मदिन पर 25 मार्च 2019 को डूडल बनाकर गूगल ने भी उन्हें सलाम किया था.

शेख को गर्म हवा, शतरंज के खिलाड़ी, गमन, नूरी, चश्मे-बद्दूर, साथ-साथ, कथा और बाजार जैसी फिल्मों के लिए हमेशा याद किया जाएगा.

और सिर्फ फिल्में ही नहीं, फारुख शेख को टीवी और थियेटर में भी वही सफलता मिली. शबाना आजमी के साथ उनका प्ले तुम्हारी अमृता देश के सबसे मशहूर नाटकों में शुमार है. शेख ने बताया था कि ये प्ले एक एक्सपेरिमेंट के तौर पर शुरू हुआ था. उन्हें भी अंदाजा नहीं था कि ये इतना लंबा चल जाएगा. फारुख शेख ने जी मंत्री जी में भी अभिनय किया और वही सफलता पाई. जीना इसी का नाम है शो में जब उन्होंने होस्ट की कुर्सी पकड़ी, तब भी वो सुपरहिट रहे.

जाते-जाते सुनिए जगजीत सिंह की आवाज में फारुख शेख और दीप्ति‍ नवल का ये सदाबहार गीत-

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