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महिला पायलटों ने कहा- ‘गुंजन सक्सेना’ में IAF की गलत तस्वीर दिखाई

नमृता चांडी ने लिखा कि उनके 15 साल के करियर में उनसे कभी इस तरह का बर्ताव नहीं किया गया.

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इंडियन एयरफोर्स के बाद अब रिटायर्ड विंग कमांडर नमृता चांडी ने फिल्म 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' पर आपत्ति जताई है. एयरफोर्स में गुंजन सक्सेना के साथ काम करने वाली नमृता चांडी ने एक ओपन लेटर में फिल्म की आलोचना करते हुए लिखा कि फिल्म में इंडियन एयरफोर्स को गलत तरीके से दिखाया गया है.

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आउटलुक में पब्लिश हुए इस लेटर में नमृता चांडी ने लिखा कि उनके 15 साल के करियर में उनसे कभी इस तरह का बर्ताव नहीं किया गया, जैसा फिल्म में गुंजन में दिखाया गया है.

“मैंने खुद एक हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में काम किया है और मैंने कभी भी इस तरह के दुर्व्यवहार का सामना नहीं किया है, जैसा कि फिल्म में दिखाया गया है. बल्कि, यूनिफॉर्म में मेल ऑफिसर जेंटलमैन और प्रोफेशनल होते हैं. वो महिला अधिकारियों को कम्फर्टेबल फील कराते हैं. हां, शुरू में चेंजिंग रूम या लेडीज टॉयलेट्स नहीं होने जैसी शुरुआती परेशानियां थीं, फिर भी पुरुषों ने हमारे लिए जगह बनाई. कभी-कभी जब मैं कपड़े बदलती थी तो मेरे भाई अधिकारी पर्दे के बाहर पहरा देते थे. मेरे 15 साल के पूरे करियर में कभी भी मेरे साथ बदसलूकी नहीं हुई.”
नमृता चांडी ने अपने लेटर में लिखा-

नमृता चांडी ने अपने लेटर में ये भी लिखा कि कारगिल में उड़ान भरने वालीं पहली महिला पायलट श्री विद्या राजन थीं, न कि गुंजन सक्सेना. उन्होंने लिखा, “हालांकि, मुझे यकीन है कि श्रीविद्या को इस क्रेडिट के बारे में कोई शिकायत नहीं है. मैं खुद पहली महिला अधिकारी हूं, जिसने 1996 में पाकिस्तान के साथ इंटरनेशनल बॉर्डर पर उड़ान भरी थी. मैं लेह में तैनात होने वाली पहली महिला पायलट थी और सियाचिन ग्लेशियर में चीता हेलिकॉप्टर उड़ाती थी, एक ऐसा क्षेत्र जहां ये अंधविश्वास माना जाता था कि जब भी कोई महिला बेस कैंप का दौरा करती थी, तो सेना को कैजुअल्टी का सामना करना पड़ता था, लेकिन एक बार भी मेरे साथी अधिकारियों या फ्लाइट कमांडर ने मेरे उड़ने पर आपत्ति नहीं जताई थी.”

रिटायर्ड ऑफिसर चांडी ने गुंजन सक्सेना के शौर्य चक्र सम्मानित होने की खबर को गलत बताया. उन्होंने ने प्रोडक्शन कंपनी धर्मा प्रोडक्शन्स पर जमकर निशाना साधा. चांडी ने लिखा, "ये फिल्म गुंजन के बारे में कम, और धर्मा प्रोडक्शन्स और उसके स्क्रीनप्ले राइटर्स के बारे में ज्यादा है. फिल्ममेकर्स डिसक्लेमर जारी कर खुद को क्रिएटिव फ्रीडम के पीछे छिपा लेते हैं, लेकिन इसे एयरफोर्स जैसे संस्थानों के स्थापित नियमों और प्रोटोकॉल के पूर्ण दायरे में नहीं लाया जा सकता है."

नमृता चांडी ने अपने लेटर के आखिर में जाह्नवी कपूर के लिए लिखा, “मैं आपको सलाह देती हूं, अगर आप एक प्राउड इंडियन वुमेन हैं तो फिर कभी इस तरह की फिल्म न करें. प्रोफेशनल भारतीय महिलाओं और पुरुषों को इस खराब रौशनी में दिखाना बंद करें.”

IAF महिला पायलटों ने भी दी राय

डेक्कन क्रॉनिकल की रिपोर्ट में और कई महिला पायलट ने कहा कि डिफेंस फोर्स लिंग के आधार पर आरक्षण से ऊपर हैं. लड़ाकू हेलीकॉप्टर Mi-17 उड़ाने वाली पहली महिला पायलट बनने वालीं फ्लाइंग ऑफिसर अमन निधि, फ्लाइट लेफ्टिनेंट पारुल भारद्वाज और फ्लाइट लेफ्टिनेंट हिना जायसवाल ने कहा कि फिल्म में एयरफोर्स को गलत तरीके से दिखाया गया है.

रिपोर्ट में फ्लाइंग ऑफिसर निधि ने कहा, "हमने देश को साबित कर दिया है कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो महिलाएं नहीं कर सकती हैं. ट्रेनिंग में महिलाओं और पुरुषों के बीच कोई भेदभाव नहीं है और मेरा योगदान पुरुष साथियों के बराबर होगा. यहां, हमारे पास एक रिजर्वेशन सिस्टम नहीं है, केवल योग्यता काम करती है."

एयरफोर्स भी जता चुका है आपत्ति

इससे पहले इंडियन एयरफोर्स की तरफ से धर्मा प्रोड्क्शंस, नेटफ्लिक्स और सीबीएफसी को एक लेटर भेजा गया था, जिसमें फिल्म 'गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल' में लिंगभेद की गलत छवि पेश करने को लेकर आपत्ति जताई गई थी. एयरफोर्स का कहना है कि फिल्म और ट्रेलर के कुछ सीन और डायलॉग्स में IAF की 'नकारात्मक छवि' पेश की गई है.

फिल्म ‘गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल’ साल 1999 में हुई कारगिल की जंग में भाग लेने वाली इंडियन एयरफोर्स की पहली महिला पायलट गुंजन सक्सेना की जिंदगी पर आधारित है. ये 12 अगस्त को ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई थी. फिल्म में जाह्नवी कपूर ने गुंजन सक्सेना का लीड रोल निभाया है.

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