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'पिता जगदीप को भारत की एकता पर गर्व था, लेकिन अब सब भुलाया जा रहा' - जावेद जाफरी

जावेद जाफरी ने बताया कि काफी कम उम्र में घर चलाने की जिम्मेदारी उनके पिता के कंधों पर आ गई थी.

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एक्टर जावेद जाफरी ने कहा है कि उनके पिता, दिवंगत एक्टर जगदीप को भारत की एकता पर नाज था, लेकिन आज वो देख रहे हैं कि इसे या तो भुलाया जा रहा है या नजरअंदाज किया जा रहा है. द इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अपने पिता के देशप्रेम के बारे में बताया और कहा कि वो हमेशा से भारत की एकता (inclusivity) की सराहना करते थे.

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जाफरी ने पब्लिकेशन को बताया, "मैंने उनसे काफी कुछ सीखा है. जिन लोगों ने उनके साथ काम किया, जैसे गुरु दत्त साहब, बिमल रॉय साहब, वी शांताराम साहब, महबूब साहब और कई. वो सभी जैसे इनसाइक्लोपीडिया थे, मेरे पिता ने उन सभी से काफी कुछ सीखा और सभी हमें आगे सिखाया. जिस तरह से उन्होंने अपने काम, जिंदगी और इस अद्भुत देश और इसकी एकता के प्रति अपने पूरे दृष्टिकोण को अपनाया, वो इसी के साथ बड़े हुए और इसे हम तक पहुंचाया. लेकिन दुख की बात है कि मैं देख रहा हूं कि इसे आज भुलाया जा रहा है, लेकिन हम केवल बेहतर समय की उम्मीद कर सकते हैं."

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जावेद जाफरी ने बताया कि उनके पिता ने बचपन से ही काफी मुश्किलों को देखा और घर चलाने की जिम्मेदारी काफी कम उम्र में जगदीप के कंधों पर आ गई थी.

"9 साल की उम्र से ही , उनपर परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी. 'जैसे होता है ना, समंदर में फेंक दिया और बोला जाओ अब स्विम करो.' एकदम ऐसा ही था. बंटवारे के बाद, सब कुछ खत्म हो गया. वो सड़क पर आ गए थे. वो अपनी मां के साथ मुंबई के फुटपाथ पर थे. उन्हें सबकुछ शुरुआत से शुरू करना पड़ा."
जावेद जाफरी

पिता के बारे में बात करते हुए जाफरी ने आगे कहा कि परिवार की जिम्मेदारी जल्दी कंधों पर आ जाने के कारण वो काम में काफी बिजी रहते थे, ताकि अपने बच्चों को सबकुछ दे सकें.

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