ADVERTISEMENTREMOVE AD

शाहरुख, सलमान और आमिर की चुप्पी पर नसीरुद्दीन शाह- 'उनके पास खोने को बहुत कुछ'

Naseeruddin Shah ने कहा कि उन्हें इंडस्ट्री में भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा.

Updated
story-hero-img
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

अपने एक बयान को लेकर हाल ही में आलोचना का शिकार हुए नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) ने कहा कि अगर लोग इसे ध्यान से सुनते तो एहसास होता कि नाराज होने वाली बात नहीं थी. NDTV को दिए एक इंटरव्यू में नसीरुद्दीन शाह ने ये भी बताया कि सलमान, शाहरुख और आमिर खान क्यों किसी मुद्दे पर अपनी राय नहीं रखते हैं.

ये पूछे जाने पर कि क्या उन्हें कभी अपनी मुस्लिम पहचान के कारण इंडस्ट्री में भेदभाव का सामना करना पड़ा, शाह ने कहा, "मुझे नहीं पता कि मुस्लिम समुदाय अब फिल्म इंडस्ट्री में किसी भेदभाव का सामना कर रहा है या नहीं. मुझे लगता है कि हमारा योगदान बहुत महत्वपूर्ण है. इस इंडस्ट्री में, केवल एक ही भगवान है, और वो है Mammon (पैसा)."

ADVERTISEMENTREMOVE AD
उन्होंने कहा, "आप जितना रेवेन्यू जेनरेट कर सकते हैं, उतना सम्मान आपको इस इंडस्ट्री में मिलेगा. तीनों खान (सलमान खान, शाहरुख खान, आमिर खान) अभी भी टॉप पर हैं, उन्हें चैलेंज नहीं किया जा सकता और वो अभी भी डिलीवर कर रहे हैं. मैंने कभी कोई भेदभाव महसूस नहीं किया."

उन्होंने खुलासा किया कि उन्हें अपने करियर की शुरुआत में अपना नाम बदलने की सलाह दी गई थी, क्योंकि 'ये बहुत लंबा था', लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और इससे कोई फर्क भी नहीं पड़ा. शाह ने बताया कि मुद्दे पर बोलने के कारण, उन्हें एक बार एक शख्स ने पाकिस्तान का 'रिफंडेबल टिकिट' भेजा था.

0

'तीन खानों' के चुप रहने की वजह!

'तीन खानों' के चुप रहने पर, नसीरुद्दीन ने कहा कि वो उनकी तरफ से बोल तो नहीं सकते, लेकिन कल्पना कर सकते हैं कि उन्हें कितना हैरेसमेंट झेलना पड़ेगा. उन्होंने कहा, "वो (खान) इस बात से चिंतित हैं कि उन्हें कितना हैरेसमेंट झेलना होगा. उनके पास खोने के लिए बहुत कुछ है. ये सिर्फ फाइनेंशियल हैरेसमेंट नहीं होगा, ये एक या दो एंडॉर्समेंट खोने के बारे में नहीं है." उन्होंने कहा कि जो भी बोलने की हिम्मत करता है उसे प्रताड़ित किया जाता है. शाह ने कहा, "ये सिर्फ जावेद साहब या मैं नहीं हूं, ये वो सब हैं जो इस राइटविंग मानसिकता के खिलाफ बोलता है."

इन दिनों फिल्म इंडस्ट्री में थीम और स्क्रिप्ट्स के बारे में बोलते हुए, शाह ने कहा, “उन्हें सरकार द्वारा प्रो-गर्वमेंट फिल्में बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. उन्हें फाइनेंस भी किया जा रहा है, और साफ शब्दों में कहूं तो उन्हें ये भी वादा किया जाता है कि अगर वो ऐसी फिल्में बनाते हैं जो प्रोपगैंडा हैं, तो उन्हें क्लीन चिट मिल जाएगी."
ADVERTISEMENTREMOVE AD

तालिबान को लेकर दिए बयान पर झेलनी पड़ी थी आलोचना

नसीरुद्दीन शाह ने कुछ दिनों पहले एक वीडियो में कहा था, "अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी पूरी दुनिया के लिए चिंता की बात है. लेकिन भारतीय मुसलमानों के कुछ धड़ों में इसका जश्न मनाना भी कम खतरनाक नहीं है."

इसपर शाह ने कहा कि अगर लोगों ने उनका पूरा बयान सुना होता, तो इसमें नाराज होने वाली कोई बात नहीं थी. उन्होंने कहा,

"लोग किसी भी बात की आलोचना करने का इंतजार करते हैं. अगर लोग मेरे पहले बयान को ध्यान से सुनते तो उन्हें एहसास होता कि उनके नाराज होने की कोई बात नहीं है. मैंने जो कहा वो पूरी तरह से उचित था, क्योंकि तालिबान का इतिहास हमें सावधान रहने के लिए कहता है, भले वो अब कितने भी वादे करें, जो मुझे नहीं लगता कि वो उस पर खरा उतरेंगे."

नसीरुद्दीन शाह ने आगे कहा, "महिलाओं को खेलों से बैन किया जा रहा है, जल्द ही शिक्षा से बैन कर दिया जाएगा, सार्वजनिक जीवन से बैन कर दिया जाएगा. मुझे नहीं लगता कि कोई ऐसी स्थिति चाहता है."

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें