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'Code Name: Tiranga' की कहानी पूरी ही गड़बड़ है - फिल्म देखते वक्त आए ये 10 खयाल

'कोड नेम: तिरंगा' फिल्म 'राजी' और 'एक था टाइगर' का लव चाइल्ड लगती है.

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'कोड नेम: तिरंगा' कहानी है एक RAW एजेंट, दुर्गा सिंह (परिणीति चोपड़ा) की, जिसे एक टर्किश आदमी, अली (हार्डी संधू) से प्यार हो जाता है. दोनों के बीच ये मोहब्बत तब परवान चढ़ती है जब दुर्गा ड्यूटी पर होती है. ओमार खालिद (शरद केलकर) ने 20 साल पहले भारतीय संसद पर हमला किया था और दुर्गा को उसे मारने भेजा जाता है. और यहीं उसकी मुलाकात अली से होती है और हमारी कंफ्यूजन शुरू होती है.

फिल्म देखते वक्त मेरे मन जो खयाल आए, वो आपके साथ शेयर कर रही हूं.

स्पॉयलर अलर्ट!

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1. ये फिल्म 'राजी' और 'एक था टाइगर' का लव चाइल्ड लगती है. दुर्गा, सलमान की तरह एक RAW एजेंट है. उसे अपना मिशन पूरा करने के लिए अली से शादी करनी है. एकदम राजी की तरह. आखिर में, उसे अली से प्यार हो जाता है और उसे बचाने के लिए वो अपनी जिंदगी तक खतरे में डाल देती है. दोनों फिल्मों की तरह.

2. जब मैंने फिल्म देखना शुरू किया, तो मुझे लगा कि फिल्म में मेन लीड अपारशक्ति खुराना हैं, लेकिन वो असल में हार्डी संधू हैं. मुझे इसके लिए जज मत करें प्लीज... बॉलीवुड दाढ़ी और तेज नैन-नक्श वाले एक्टर्स से भरा हुआ है. यकीन नहीं हो रहा है तो खुद देख लीजिए.

3. दुर्गा को जब पता चलता है कि उसका बॉस, बक्शी ही RAW में खबरी है, तो वो उसे मारने के लिए निकल जाती है. वो जब गुंडों से लड़कर उसे मारने के लिए पहुंचती है, तब उसे पता चलता है कि वो नीचे छिपा हुआ है. जैसे ही वो उसे मारने के लिए आगे बढ़ती है, उसे फिर दो गोलियां लग जाती हैं.

4. इसके बाद वो इस जगह को बॉम्ब से उड़ाने का तय करती है. वो ग्रेनेड की पिन निकालती है और धमाका होता है. इसके बाद दुर्गा बेसमेंट से बाहर निकलती है और उसके पीछे धुआं दिखता है. मैं बहुत कंफ्यूज्ड हूं. क्या आप ये कहना चाह रहे हैं कि एक बेसमेंट में हुए धमाके में दुर्गा एकदम सही सलामत बचकर निकल जाती है. और इसके बाद दिखाते हैं कि वो गाड़ी भी चलाती है.

5. हार्डी संधू की पूरी फिल्म में केवल 4 लाइनें हैं, जिसमें से एक गाना है. बड़ी नाइंसाफी!

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6. अच्छा तो दुर्गा ने ग्रेनेड नहीं फेंका. उसने बक्शी को नहीं मारा और पिन वापस रख दी थी. तो इतना धुआं कहां से आया? ये फिल्म पल-पल अपनी कहानी बदल रही है.

7. 'कोड नेम: तिरंगा' की कहानी में कई खामियां हैं. फिल्म में दुर्गा का एक 10 मिनट का मोनोलॉग है, जिसमें वो बताती है कि कैसे RAW एजेंट ने सभी को बेवकूफ बनाया और इतने सालों तक दुश्मनों के लिए काम करता रहा. लेकिन वो ये सब बता किसे रही है? एजेंट को ही! भाई, उसे पता है कि उसने क्या किया.

8. फिल्म के क्लाइमैक्स में एक सीन में दुर्गा एक बंदूक के सहारे 20 गुंडों से लड़ती है, जिनके पास राइफल है. ये पूरा सीन एक वीडियो गेम की तरह लगता है. ऐसा लगता है कि आप काउंटर स्ट्राइक खेल रहे हैं.

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9. एक दूसरे सीन में, उसे एक जगह का रास्ता तलाशना होता है. इस जगह वो पहले भी आई होती है, लेकिन तब उसकी आंखों पर पट्टी बंधी होती है. तो अब वापस रास्ता तलाशने के लिए फिर से अपनी आंखों पर पट्टी बांद लेती है और मस्जिद और ट्रेन की आवाज के सहारे ड्राइवर को रास्ता बताती है. मुझे लगता है कि इस ट्रिक के सहारे दुर्गा गूगल मैप्स को भी टक्कर दे सकती है.

10. 'कोड नेम: तिरंगा' को एक एक्शन और थ्रिलर फिल्म कहा गया है, लेकिन मैं बताना चाहूंगी कि ये इनमें से कोई भी नहीं है.

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