संगीतकार एस डी बर्मन के घर जन्मे पंचम को संगीत विरासत में मिली. बचपन से ही सुर और ताल के बीच खेलते आर डी बर्मन ने जमाने के सामने अपने हुनर की पहली नुमाइश गुरुदत्त की फिल्म ‘प्यासा’ में की थी. जूनियर बर्मन ने ये गाना कंपोज किया था और एस डी ने इसे ‘प्यासा’ फिल्म में शामिल कर लिया. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे सदाबहार संगीतकार आर डी बर्मन,
‘है अपना दिल तो आवारा’ गाने में माउथ ऑर्गेन भी आरडी ने ही बजाया था.
आर डी बर्मन की बतौर म्यूजिक डायरेक्टर पहली हिट फिल्म थी ‘तीसरी मंजिल’.
जब दादा (एसडी बर्मन) बीमार पड़ गए, वो तीन महीने तक बीमार रहे और हमें एक गाने की जरुरत थी. लेकिन मैंने दादा से कहा था कि फिल्म गाइड का ये गाना कोई और रिकॉर्ड नहीं करेगा...और ये गीत था गाता रहे मेरे दिल, इसका मुखड़ा आरडी बर्मन ने कंपोज किया था.देवानंद, अभिनेता
1969 में आई सुपरहिट फिल्म ‘आराधना’ के गाने तो एसडी बर्मन के नाम हैं, लेकिन कहा जाता है कि ‘मेरे सपनों की रानी’ गाना दरअसल आर डी की ही कंपोजिशन थी. इसी फिल्म का एक और सुपरहिट गाना कोरा कागज था ये मन मेरा भी आरडी की ही कंपोजिशन थी.
पंचम की पहली म्यूजिकल हिट थी फिल्म ‘कटी पतंग’
‘ये शाम मस्तानी’ तो गजब का गाना था, जो आज भी मन मोह लेता है
राजेश खन्ना और किशोर कुमार की कामयाबी में आर डी बर्मन का बहुत बड़ा योगदान है.
पंचम दा ने लता मंगेशकर के साथ भी बेहतरीन गाने कंपोज किए, ये गाना उसी की एक बानगी है.
और फिर हेलेन का ये कैबरे कैसे भूल सकते हैं हम...
‘महबूबा-महबूबा’ ने तो इतिहास रच दिया था.
करियर के आखिरी पड़ाव पर इंडस्ट्री ने पंचम का साथ छोड़ दिया, लेकिन संगीत उनकी रगों में दौड़ता रहा. तभी तो आशा भोसले की आवाज में पंचम ने ये शानदार तोहफा इंडस्ट्री को दिया.
उनकी फिल्म ‘1942 ए लव स्टोरी’, ने पंचम दा को नई पीढ़ी के बीच शोहरत दिला दी. 4 जनवरी 1994 को 54 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए.
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