गणतंत्र दिवस के मौके पर बॉक्स ऑफिस पर देशभक्ति से लवरेज दो बड़ी फिल्में रिलीज हुईं. नवाजुद्दीन सिद्दीकी की 'ठाकरे' और कंगना रनौत की ‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी'.
बड़ी चर्चाओं के बीच रिलीज हुई दोनों ही फिल्मों को क्रिटिक्स से मिले-जुले रिव्यू मिले थे, लेकिन पहले दिन ये रिव्यू ऑडियंस को थियेटर्स तक ज्यादा नहीं खींच पाए.
दोनों फिल्मों में पहले दिन 'मणिकर्णिका' की कमाई ज्यादा रही. ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श के मुताबिक 'मणिकर्णिका' ने पहले दिन 8.75 करोड़ रुपये की कमाई की. ये कलेक्शन हिंदी, तमिल और तेलुगू वर्जन का है. तीनों वर्जन मिलाकर फिल्म का ये कलेक्शन उम्मीदों से काफी कम है.
कंगना रनौत ने इस फिल्म से अपने डायरेक्शन करियर की भी शुरुआत की है.
महिला सशक्तिकरण और देशभक्ति दिखाती इस फिल्म के बारे में कहा जा रहा था कि ये बड़ी फीमेल ओपनर साबित हो सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
फिल्म एनालिस्ट का मानना है कि शनिवार को गणतंत्र दिवस और रविवार की छुट्टी का इसे फायदा मिल सकता है.
वहीं 'मणिकर्णिका' के साथ रिलीज हुई शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के जीवन पर बनी 'ठाकरे' भी पहले दिन कोई खास कमाई नहीं कर पाई. हिंदी और मराठी में रिलीज हुई 'ठाकरे' ने पहले दिन 6 करोड़ रपये कमाए. फिल्म की कमाई मराठी वर्जन में ज्यादा रही.
‘मणिकर्णिका’ और ‘ठाकरे’ का रिव्यू!
'मणिकर्णिका' में समस्या यह नहीं है कि कंगना अच्छी नहीं लगी हैं. किरदार में वो बखूबी ढली हैं. उनकी भाव-भंगिमा, बॉडी लैंग्वेज, असरदार तरीके से फिल्माए गए एक्शन सीक्वेंस, तलवारबाजी वगैरह सबकुछ सटीक है. इमोशनल सीन्स में वो लाजवाब हैं, लेकिन उनके आसपास मौजूद हर किरदार अपनी लय खोता हुआ नजर आता है.
वहीं 'ठाकरे' फिल्म शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे का बचाव करती है. ऐसी फिल्म, जहां उनकी छवि पर कोई भी दाग नहीं है. फिल्म के राइटर और प्रोड्यूसर संजय राउत खुद शिवसेना से सासंद हैं. फिल्म में बाल ठाकरे की छवि को साफ-सुथरा दिखाने की पूरी कोशिश की गई है.
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