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ZERO: शाहरुख की इस फिल्म में जीरो कहानी,जीरो मजा और पैसे पूरे खराब

शाहरुख खान की फिल्म जीरो अपने फिल्म के टाइटल के जैसी है

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शाहरुख की ये फिल्म देखकर खुद को ठगा महसूस करेंगे फैंस

‘चक दे इंडिया’ के बाद शाहरुख खान के डाई हार्ड फैन एक बेहतरीन फिल्म का इंतजार कर रहे थे. क्योंकि हाल ही में आई शाहरुख की कुछ फिल्मों ने दर्शकों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था . लेकिन लगता है दर्शकों का इंतजार अभी और लंबा खिचने वाला है. क्योंकि शाहरुख की मोस्ट अवेटिड फिल्म ‘जीरो’ भी वो फिल्म नहीं बन पाई जो उनके दिल में उतर सके.

‘जीरो’ की कहानी अड़तीस साल के एक लड़के की है, जो अपने लिए दुल्हन तलाश रहा है. फिल्म में ये बताने की कोशिश की गई है, कि कैसे पूरी दुनिया बऊआ जैसे लोगों का मजाक बनाती है और उन जैसे लोगों के लिए सर्कस जैसी जगह तय कर देती है. लेकिन अपना बऊआ कुछ हटकर है. चाल ढाल से लेकर एटीट्यूड में बऊआ की पर्सनालिटी का स्वैग है. यहां तक कि अपने पिता की गलतफहमियों को भी वो इसी एटीट्यूड के साथ हैंडिल करता है.

कहानी इंटरेस्टिंग तब होती है, जब व्हीलचेयर में बैठी नासा की साइंटिस्ट अनुष्का शर्मा की एंट्री होती है. अनुष्का सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित है. अनुष्का के आते ही दर्शकों की बेसब्री और बढ़ जाती है कि फिल्म अब इंटरेस्टिंग होने वाली है.

बऊआ की सपनों की रानी ‘बबीता कुमारी’ कटरीना कैफ है. कटरीना का किरदार उनकी रियल लाइफ से काफी मिलता जुलता दिखाई दे रहा है. बऊआ बबीता के सपनों में दिन रात डूबा रहता है लेकिन ट्रेजडी ये है कि बबीता कुमारी खुद अपना टूटा हुआ दिल लेकर घूम रहीं हैं.

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फिल्म में तीन कैरेक्टर हैं, जिन्हें समाज उनके फिजिकल अपिरियंस के आधार पर जज करता है. यही वो वजह थी जब फिल्म को देखने की उम्मीद बनी रहती है, कि अब आगे और क्या होगा. सच पूछो तो इस फिल्म में रिश्तों को ईमानदारी और ताजगी के साथ पेश किया है.  

लेकिन सेकेंड हाफ आते-आते आप अपने अपको ठगा हुआ और बेवकूफ जरूर महसूस करेंगे. क्योंकि शाहरुख खान की फिल्म ‘जीरो’ अपने फिल्म के टाइटल की तरह ही है.

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दर्शकों को समझाने के लिए इतना काफी है कि राइटर हिमांशु शर्मा और डायरेक्टर आनंद एल राय ने एक ऐसी फिल्म बनाई है जो पूरी तरह कनफ्यूजिंग हैं. जो ये भी नहीं समझा पाई कि फिल्म में लिए गए तीन कैरेक्टर क्यों और किस लिए इस फिल्म में हैं और इन्हें करना क्या है.  

मेरठ की गलियों से लेकर चमक-धमक वाले अवॉर्ड फंक्शन तक ‘जीरो’ का सफर जीरो जैसा ही था. इतना ही कहा जा सकता है कि इस फिल्म में चक दे जैसी कोई बात नहीं थी. ये नहीं कहा जा सकता कि शाहरुख खान, कटरीना कैफ कि परफॉर्मेंस में कमी थी, लेकिन फिर भी फिल्म की कहानी दर्शकों पर अपनी पकड़ बनाने में फेल हो गई.

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