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अमिताभ बच्चन को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से किया जाएगा सम्मानित

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर की घोषणा

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बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन को दादा साहेब अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्विटर पर घोषणा कर लिखा, ‘करीब दो जेनरेशन तक लोगों का एंटरटेनमेंट करने वाले लेजेंड अमिताभ बच्चन को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड के लिए चुना गया है. पूरा देश खुश है. अमिताभ बच्चन को मेरी शुभकामनाएं.’

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दादा साहेब अवॉर्ड को भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा अवॉर्ड माना जाता है. इस अवॉर्ड की शुरुआत 1969 में हुई थी.

हर साल नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स के साथ इस अवॉर्ड को दिया जाता है.

अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन ने लिखा कि वो ये खबर देखकर गर्व महसूस कर रहे हैं.

ट्विटर पर लगा बधाइयों का तांता

अमिताभ बच्चन को सोशल मीडिया पर खूब बधाइयां मिल रही हैं. डायरेक्टर करण जौहर ने कहा, ‘भारतीय सिनेमा के सबसे प्रेरणादायक महानायक. वो एक रॉकस्टार हैं.’

‘इस लेजेंड के बिना भारतीय सिनेमा का जिक्र नहीं हो सकता. उन्होंने अपने हर रोल के साथ सिनेमा को फिर से परिभाषित किया है. बधाई.’
अनिल कपूर ने ट्वीट में लिखा

डायरेक्टर मधुर भंडारकर ने अमिताभ बच्चन को बधाई देते हुए लिखा, ‘इस प्रतिष्ठित अवॉर्ड के लिए आपको बधाई. आपने अपनी परफॉर्मेंस से एंटरटेन और इंस्पायर किया है.’

कौन थे दादा साहेब फाल्के?

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर की घोषणा

दादा साहेब फाल्के को भारतीय सिनेमा का पितामाह कहा जाता है. नासिक के यंबकेश्वर में 30 अप्रैल, 1870 को पैदा हुए फाल्के ने बंबई के सर जे. जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स से 1890 में स्नातक की डिग्री हासिल की थी. उसके बाद वो उच्च शिक्षा के लिए बड़ौदा के एम.एस. विश्वविद्यालय गए, जहां उन्होंने इंजीनियरिंग, ड्राइंग, पेंटिंग, स्कल्पचर और फोटोग्राफी का अध्ययन किया.

शुरुआत में फाल्के ने गोधरा में फोटोग्राफर के रूप में काम किया. इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में कुछ दिनों काम करने के बाद वो जर्मनी चले गए. 2010 में ‘लाइफ ऑफ क्राइस्ट’ फिल्म देखने के बाद उनकी फिल्म बनाने की इच्छा को जोर मिला और वो फिल्ममेकिंग सीखने के लिए लंदन चले गए.

वहां से भारत लौटने के बाद वो फिल्म बनाने में जुट गए और उनके प्रयास से भारत की फीचर फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ 3 मई, 1913 को मराठी में रिलीज हुई.

फाल्के ने अपनी फिल्म कंपनी हिंदुस्तान फिल्म बनाई और अगले 25 साल तक करीब 95 फिल्में और 27 छोटी फिल्में बनाईं. 73 साल की उम्र में 16 फरवरी, 1944 को उनका निधन हो गया.

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