बॉलीवुड में 'विलेन' का जिक्र तब तक अधूरा रहता है, जब तक उसमें अमरीश पुरी का नाम शामिल न हो. अपनी रौबदार आवाज और दमदार एक्टिंग के बलबूते कई दशकों तक हिंदी सिनेमा पर राज करने वाले अमरीश पुरी का आज जन्मदिन है. इस मौके पर गूगल ने डूडल बनाकर अमरीश पुरी को याद किया है.
अमरीश पुरी को याद करते हुए गूगल ने अपने पोस्ट में लिखा, 'अगर पहली बार में आपको कामयाबी नहीं मिलती है तो आपको बार-बार कोशिश करनी चाहिए. हो सकता है कि आप अंत में अमरीश पुरी की तरह ही सफल हों जायें, जिन्हें बड़े पर्दे पर आने के अपने सपने को पूरा करने के लिए शुरुआती दौर में संघर्ष करना पड़ा था. आज का डूडल पुणे के एक गेस्ट आर्टिस्ट देबांगशू मलिक ने बनाया है, जो मशहूर अभिनेता अमरीश पुरी के जीवन और उनकी विरासत को सेलिब्रेट कर रहा है.'
संघर्ष के बाद मिली सफलता
अमरीश पुरी का जन्म 22 जून 1932 को पंजाब राज्य के जालंधर में हुआ था. अभिनेता मदन पुरी और चमन पुरी के छोटे भाई, अमरीश ने साल 1954 में एक फिल्म में लीड किरदार के लिए ऑडिशन दिया था, लेकिन उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया था. इसके बाद कई सालों तक उन्होंने स्ट्रगल किया. इस दौरान वे एक इंश्योरेंस कंपनी में काम करने के साथ-साथ वे थिएटर में भी अभिनय करते रहे, और साथ ही वॉयसओवर का काम भी किया. साल 1967 में उनकी पहली मराठी फिल्म 'शंततु! कोर्ट चालू आहे' आई थी. इस फिल्म में उन्होंने एक अंधे व्यक्ति का किरदार निभाया था. वहीं 1971 में आई हिंदी फिल्म 'रेशमा और शेरा' से बॉलीवुड में उन्होंने कदम रखा था.
80 और 90 के दशक में अमरीश बॉलीवुड में बड़े बजट की लगभग सभी फिल्मों का अहम हिस्सा हुआ करते थे. उनकी बुलंद आवाज में विलेन का किरदार बेहतर तरीके से निखार कर आता था. एक्टिंग करते वक्त आंखों से झलकती नफरत और उनकी बेजोड़ अदाकारी के आगे बड़े-बड़े हीरो भी फीके पड़ जाते थे.
अमरीश पुरी ने अपने फिल्मी सफर में सिर्फ नेगेटिव किरदारों से अपनी पहचान नहीं बनाई, बल्कि समय-समय पर उनके निभाए गए कई तरह के कैरेक्टर रोल भी अभिनय में उनकी बारीकी को बखूबी बयां करते हैं.
अमरीश पुरी ने 12 जनवरी 2005 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. अपने पूरे करियर में उन्होंने करीब 400 फिल्मों में काम किया. उनकी आखिरी फिल्म 'कच्ची सड़क' थी, जो उनके निधन से करीब डेढ़ साल बाद 2006 में रिलीज हुई थी.
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