प्रतिष्ठित ऑस्कर जीतने वाली पहली भारतीय होने का गौरव हासिल करने वाली मशहूर कॉस्ट्यूम डिजाइनर भानु अथैया ने 91 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. 2012 में ब्रेन ट्यूमर का पता चलने के बाद से वो बीमार चल रही थीं.
साल 1983 में भानु को रिचर्ड अटनबॉरो की कालजयी फिल्म ‘गांधी’ में कॉस्ट्यूम डिजाइन के लिए अकादमी अवार्ड समारोह में बेस्ट कॉस्ट्यूम डिजाइन कौटेगरी में विजेता घोषित किया गया था. इसी फिल्म के लिए भानु को बाफ्टा अवार्ड में नॉमिनेशन भी मिला था.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत की पहली ऑस्कर विजेता ने सालों बाद अपना ये अवॉर्ड वापस लौटा दिया था. साल 2012 में तबीयत खराब होने के बाद अथैया ने अपना ऑस्कर सुरक्षित रखने के लिए अवार्ड मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज को लौटा दिया था.
गुरु दत्त के साथ किया कई फिल्मों में काम
28 अप्रैल, 1929 को जन्मीं अथैया ने मुंबई के सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट से फाइन आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया था. उन्होंने बॉम्बे में वीमंस मैगजीन में फ्रीलांस फैशन इलस्ट्रेटर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी. फिल्म में कॉस्ट्यूम डिजाइनर के तौर पर उनकी पहली फिल्म 1956 में आई 'C.I.D' थी. उन्होंने गुरु दत्त की फिल्म 'प्यासा', 'चौदहवीं का चांद' और 'साहेब बीबी और गुलाम' में भी कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग की.
अथैया को दो मौकों पर राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी नवाजा गया. ये दो मौके साल 1991 की फिल्म ‘लेकिन’ और फिर साल 2001 में बनी एक और शानदार फिल्म ‘लगान’ के लिए आए थे.
पांच दशक के अपने करियर में अथैया ने राज कपूर, कमाल अमरोही, गुरु दत्त, यश चोपड़ा, बीआर चोपड़ा, विजय आनंद, राज खोसला, गुलजार, केतन मेहता, विधु विनोद चोपड़ा, सुभाष घई और आशुतोष गोवारीकर सहित कई फिल्मी कलाकारों के साथ काम किया. इस लंबे करियर में उन्होंने 100 से ज्यादा फिल्मों के लिए कॉस्ट्यूम डिजाइन की.
सितारों ने दी श्रद्धांजलि
फिल्म 'लगान' में भानु अथैया के साथ काम करने वाले आमिर खान ने निधन पर दुख जताते हुए लिखा, "भानु जी फिल्म जगत के उन लोगों में से थीं, जो डायरेक्टर की सोच को सच बनाने के लिए रिसर्च और सिनेमा की समझ को अच्छे से साथ मिलाती थीं. आप बहुत याद आएंगी भानु जी. परिवार को मेरी सांत्वनाएं."
ऑस्कर जीत चुके साउंड डिजाइनर रसूल पोकुट्टी ने भी कॉस्ट्यूम डिजाइनर को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, "भारतीय सिनेमा का एक सितारा चला गया. मेरे लिए ये निजी के जाने जैसा है."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)