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दिल्ली हिंसा पर बोले गुलजार, ये खून-खराबा बर्दाश्त नहीं कर सकता

गीतकार और फिल्म निर्माता ने साहित्य अकादमी पुरस्कार में एक कविता सुनाई. 

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हाल ही में साहित्य अकादमी पुरस्कार में, गीतकार और फिल्म निर्माता गुलजार ने देश के ताजा हालात पर बयान दिया. 'ये कलम की आवाज आजाद रहे' कविता को सुनाते हुए, उन्होंने कहा कि ऐसे अशांत समय में शब्दों की ताकत को सबसे ऊपर रहने दो. "देश में इस हिंसा को देख कर मुझे दर्द महसूस होता है. मेरे पिता ने अखबार खोला और कहा 'आज की स्थिति 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन की तरह है.' मैंने जवाब दिया 'अब्बू, ये 1942 नहीं, ये 2020 है.' तब अब्बू ने कहा 'अब ये कौन से मुल्क की बात कर रहे हैं?,' गुलजार ने कविता पढ़ते हुए कहा.

उनकी कविता पर डालिये एक नजर:

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गुलजार ने कहा कि आजादी की लड़ाई के समय उन्होंने अपने बुजुर्गों को बेरहमी से पिटते देखा था. "अब मैं अपने बच्चों को पिटता देख रहा हूं. मैं ये खून खराबा देखना बर्दाश्त नहीं कर सकता,"

24 फरवरी को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में CAA के खिलाफ लोगों और समर्थकों में छिड़ी हिंसा की बॉलीवुड के कई सेलेब्रिटीज ने निंदा की थी. गुरूवार 5 मार्च को, इस हिंसा में मरने वालों की संख्या, बढ़कर 53 हो गई है.

फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने ट्वीट किया था, "इतना तो आज साफ है कि PRO-CAA का मतलब Anti-Muslim है बस और कुछ नहीं."

एक्टर मुहम्मद जीशान आयूब ने लिखा था, "ये उनके लिए है, जिन्हें अभी भी लग रहा है कि ये दंगा है. ये एक सोची समझी साजिश है, ये अभ्यास ये लोग 2002 में कर चुके हैं."

जावेद अख्तर ने ट्वीट किया था, “दिल्ली में हिंसा का स्तर बढ़ता जा रहा है. कपिल मिश्रा को बेपर्दा किया जा रहा है. दिल्ली के लोगों को ये समझाने के लिए माहौल बनाया जा रहा है कि ये सब CAA के विरोध के कारण है और कुछ दिनों में दिल्ली पुलिस 'अंतिम समाधान' बताएगी."

इससे पहले, CAA का विरोध कर रहे जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, दिल्ली और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों के खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल किया गया था.

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