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क्या कंगना को BJP कर रही लॉन्च? परदादा 3 बार रह चुके कांग्रेस MLA

ये समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर हर बार कंगना बीजेपी के साथ खड़ी क्यों नजर आती हैं?

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कंगना रनौत की मां आशा रनौत ने बीजेपी का आभार जताया है. उन्होंने कहा, "जब कंगना पर विपदा आई और महाराष्ट्र सरकार ने इस तरह की हरकत की तो बीजेपी उनकी मदद के लिए खड़ी हुई." यह बयान उस वक्त आया जब कंगना को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि वह बीजेपी में शामिल हो सकती हैं. लेकिन अभी तक यह सिर्फ कयास है, जो पहली बार नहीं, बल्कि पिछले लोकसभा चुनाव से भी पहले से लग रहे हैं. ऐसे में ये समझना जरूरी हो जाता है कि आखिर हर बार कंगना बीजेपी के साथ खड़ी क्यों नजर आती हैं? क्या कंगना राजनीति में आना चाहती हैं? या उन्हें एक पैकेज के तौर पर राजनीति के लिए तैयार किया जा रहा है?

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कांग्रेस विधायक की परपोती और आईएएस की पोती हैं कंगना

कंगना का राजनीति से क्या संबंध है, इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए उनकी तीन पीढ़ी पीछे जाना होगा. कंगना के परदादा सरजू सिंह कांग्रेस नेता और 15 साल तक विधायक रहे हैं. इतना ही नहीं, वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी शामिल हुए. कंगना के एक टीवी इंटरव्यू (द अनुपम खेर शो) के मुताबिक, सरजू सिंह रनौत (कंगना के परदादा) ने महात्मा गांधी के साथ स्वतंत्रता सेनानी बनने के लिए प्रमुख क्लर्क की नौकरी छोड़ दी.

कंगना के पास अभी भी वे पत्र हैं जो गांधी जी ने उनके परदादा को लिखे थे. वह (कंगना के परदादा) अपने गांव में एकमात्र आदमी थे जो उस समय अंग्रेजी जानते थे. कंगना के दादा आईएएस ऑफिसर थे. टीवी इंटरव्यू में कंगना ने बताया था कि दादा जी ने ही मेरा नाम रखा.

परदादा का इतना प्रभाव कि कंगना को गांव में "बाबू जी की पोती" कहते हैं

कंगना रनौत का जन्म हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के भंबला (अब सूरजपुर) में एक राजपूत परिवार में हुआ. उनकी मां आशा रनौत एक स्कूल शिक्षक हैं, और पिता अमरदीप रनौत एक व्यवसायी हैं. कंगना आज एक बड़ी फिल्म स्टार हैं लेकिन गांव के लोग आज भी उन्हें उनके परदादा से जोड़कर बुलाते हैं. एक टीवी इंटरव्यू में कंगना ने कहा था,"आज भी मेरे गांव में लोग मुझे बाबू जी की पोती कहकर बुलाते हैं. मेरे परदादा को गांव में बाबू जी कहते थे."

परिवार कांग्रेस समर्थक, लेकिन कंगना करती रहीं मोदी की तारीफ

कांग्रेस में सक्रिय रहने वाले परिवार की बेटी अभी तक राजनीति में शामिल क्यों नहीं हुईं? इसका जवाब भी देंगे, लेकिन उससे पहले जानना जरूरी है कि कंगना की राजनीतिक समझ कितनी है? इसके लिए कंगना के उन बयानों को जानना जरूरी है, जो पीएम मोदी के लिए दिए.

25 अगस्त 2020 को कंगना ने पीएम मोदी से हाथ मिलाते हुए एक फोटो पोस्ट की और लिखा,

“संभवत : पीएम मोदी इस ग्रह (प्लेनेट) के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हैं. बहुत विनम्र हैं. वी लव पीएम मोदी.”

अप्रैल 2020 में कंगना ने इंडिया टुडे के मंच से कहा, "हमारे पास महान नेतृत्व है. शायद दुनिया के महानतम नेताओं में से एक है. हमें समझदारी और सही दिशा में आगे बढ़ाया जा रहा है."

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जुलाई 2018 में तो कंगना के बयान से लगा कि वे बीजेपी में शामिल ही हो जाएंगी. उन्होंने साफ तौर पर पीएम मोदी का समर्थन किया और अगली बार भी मोदी के पीएम बनने की कामना की. उन्होंने कहा था,

“नरेंद्र मोदी लोकतंत्र के लिए सबसे योग्य और सही व्यक्ति हैं. उन्हें ये सब कुछ अपने माता-पिता से नहीं मिला है, बल्कि इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है. उन्हें अगले साल सत्ता में आना चाहिए, क्योंकि देश को गड्ढे से निकालने के लिए 5 साल पर्याप्त नहीं हैं.”

कंगना को बीजेपी ने टिकट भी ऑफर किया था!

पीएम मोदी की तारीफ के बाद कंगना पर सवाल भी उठे. कंगना ने इसका जवाब भी दिया. उन्होंने कहा, "लोगों को लगता है कि मैं नरेंद्र मोदी की चमचागिरी करती हूं. मेरे पास पार्टियों से ऑफर आए हैं लेकिन मैंने मना कर दिया." कंगना ने यह भी दावा किया कि उन्हें बीजेपी ने टिकट भी ऑफर किया था.

कंगना रनौत ने 15 अगस्त 2020 को ट्वीट किया, "ये उन सभी के लिए जो सोचते हैं कि मैं मोदी का समर्थन करती हूं क्योंकि मैं राजनीति में शामिल होना चाहती हूं. मेरे दादाजी लगातार 15 सालों तक कांग्रेस के विधायक रहे हैं. मेरा परिवार राजनीति में लोकप्रिय है." कंगना ने आगे लिखा,

“मणिकर्णिका करने के बाद मुझे बीजेपी ने टिकट देने की पेशकश की थी. कांग्रेस की तरफ से भी ऐसा हुआ. लेकिन मैं एक कलाकार के रूप में अपना काम करना चाहती हूं. राजनीति के बारे में कभी नहीं सोचा था. जो लोग मुझे ट्रोल कर रहे हैं उन्हें अब रुक जाना चाहिए.”

कंगना राजनीति में शामिल क्यों नहीं हुईं?

कंगना ने राजनीति में न आने की एक बड़ी वजह बताई थी. उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था, "किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल होने के बाद आप किसी भी मुद्दे पर आजाद नहीं रह सकते हैं. आप पर एक पार्टी की मुहर लग जाती है. हालांकि कंगना ने यह कहा कि अगर मैं राजनीति में आती हूं कि मुझे पता है कि मेरी आवाज लोगों पर असर करेगी. लेकिन मैं कलाकार कहलाना ज्यादा पसंद करती हूं."

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राजनीति में शामिल होने वाली अभिनेत्रियां

बॉलीवुड की कई हस्तियां राजनीति में शामिल हुईं. लेकिन साउथ के अभिनेताओं का राजनीति में दबदबा रहा है. 5 बार तमिलनाडु के सीएम रहने वाले करुणानिधि डीएमके का हिस्सा बनने के साथ ही फिल्मों से जुड़ गए. एमजी रामचंद्रन भी फिल्मी दुनिया से होते हुए राजनीति में आए और तमिलनाडु के सीएम बने. एमजी रामचंद्रन डीएमके से जुड़े और बाद में एआईएडीएमके बनाई. फिर फिल्मी दुनिया से राजनीति में जयललिता की एंट्री हुई. वे भी मुख्यमंत्री बनीं. कमल हासन और रजनीकांत भी राजनीति में सक्रिय हैं.

स्मृति ईरानी: "क्योंकि सास भी कभी बहू थी" में तुलसी के किरदार से लोकप्रिय हुईं स्मृति ईरानी 2003 में बीजेपी में शामिल हुईं. वे दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ीं, लेकिन हार गईं. 2004 में महाराष्ट्र यूथ विंग का उपाध्यक्ष बनाया गया. 2011 में गुजरात से राज्यसभा की सांसद चुनी गई. 2014 में स्मृति राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ीं लेकिन हार गईं. लेकिन 2019 में उन्होंने राहुल गांधी को अमेठी में ही हरा दिया.

किरण खेर: अनुपम खेर की पत्नी किरण खेर 2009 में बीजेपी में शामिल हुईं. साल 2014 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर उन्होंने चुनाव जीता.

अपनी उम्मीदवारी की घोषणा से बहुत पहले से ही नरेंद्र मोदी की मुखर प्रशंसक रही हैं. किरण खेर ने 2019 में भी चंडीगढ़ से चुनाव जीता.

हेमा मालिनी: साल 2004 में बीजेपी में शामिल हुईं. मार्च 2010 में हेमा मालिनी को बीजेपी का महासचिव बनाया गया था. 2014 और 2019 में हेमा मालिनी मथुरा से सांसद चुनी गईं.

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जयाप्रदा: इन्होंने दक्षिण भारत की स्थानीय पार्टी तेलगु देसम से राजनीतिक शुरुआत 1994 में की. बाद में चंद्रबाबू नायडू गुट में शामिल हो गईं. 1996 में उन्हें आंध्र प्रदेश से राज्य सभा सदस्य मनोनीत किया गया. इसके बाद समाजवादी पार्टी में शामिल हुईं. लोकसभा चुनाव 2004 में यूपी में रामपुर से सांसद बनीं. अमर सिंह ने 2011 में जयाप्रदा के साथ मिलकर अपनी अलग पार्टी राष्ट्रीय लोक मंच बनाई. सफलता नहीं मिलने पर 26 मार्च 2019 को राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव की उपस्थिति में जयाप्रदा बीजेपी में शामिल हो गईं.

जया बच्चन: 2004 में समाजवादी पार्टी की तरफ से राज्यसभा की सदस्य बनीं. साल 2006 में फिर से सासंद बनीं. तीसरी बार साल 2012 में भी राज्यसभा सांसद बनीं. फिर चौथी बार 2018 में समाजवादी पार्टी की तरफ से सांसद बनीं.

कल को राजपूत कंगना, राजपूत सुशांत की मौत के मुद्दे पर बिहार में बीजेपी के लिए प्रचार करती दिखें तो स्वाभाविक लगेगा. वैसे भी मौजूदा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की जन्मभूमि भले ही बिहार रही हो लेकिन कर्मभूमि हिमाचल रही है. जिस तरह से केंद्र ने उन्हें कमांडो दिए हैं, जिस तरह से कंगना ने सुशांत के लिए कथित तौर पर लड़ते-लड़ते खुद राजनीति के 'राइट' साइड में जाकर खड़ी हो गई, जिस तरह से बीजेपी के नेता उनके लिए बैटिंग कर रहे हैं और जिस तरह से उनकी मां ने बीजेपी को शुक्रिया कहा है, कोई ताज्जुब नहीं कि कंगना हिमाचल से सक्रिय राजनीति में नजर आ जाएं. वैसे भी बीजेपी की स्टाइल है पहले सॉफ्ट लॉन्च की. स्मृति ईरानी को ही याद कर लीजिए.

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