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‘सत्या’ से ‘अलीगढ़’ तक... मनोज बाजपेयी के दमदार किरदार

हिंदी सिनेमा में हमेशा याद रखे जाएंगे मनोज बाजपेयी के ये किरदार

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बॉलीवुड में चुनिंदा सितारे ऐसे हैं, जिन्होंने लीक से हटकर चलने के बावजूद इंडस्ट्री में एक अलग नाम बनाया है. उन्हीं सितारों में से एक नाम है, मनोज बाजपेयी. बाजपेयी एक ऐसे स्टार हैं, जिनके नाम से फिल्में चलती हैं. अपनी दमदार एक्टिंग के दम पर उन्होंने बॉलीवुड में ऐसी जगह बनाई है, कि उनके सामने अच्छे-अच्छे एक्टर्स फीके पड़ जाते हैं.

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से कई बार रिजेक्शन पा चुके बाजपेयी आज खुद में ही एक स्कूल हैं. अपने इस लंबे करियर में उन्होंने कई शानदार फिल्में दी हैं. उनके 51वें जन्मदिन पर, एक नजर उनके बेहतरीन किरदारों पर...’

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अलीगढ़

‘अलीगढ़’ में मनोज वाजपेयी का रोल, उनके करियर के सबसे मुश्किल रोल में से एक था. 64 साल के गे प्रोफेसर श्रीनिवास रामचंद्र सीरस का रोल, उनके करियर का ही नहीं, बल्कि हिंदी सिनेमा के सबसे यादगार रोल में से एक माना जाता है. समाज के हाथों तमाशा बनने का दर्द और जिंदगी का अकेलापन जिस तरह से मनोज वाजपेयी ने पर्दे पर उकेरा था, वो वाकई काबिले तारीफ था. इस रोल ने बाजपेयी को फिल्म इंडस्ट्री के उन गिने चुने सितारों में शामिल कर दिया जो हर तरह के किरदार के सांचे में ढलकर अपने आपको पर्दे पर उतार सकते थे.

गैंग्स ऑफ वासेपुर

अपने पिता की मौत का बदला लेने वाले सरदार खान के रोल में मनोज बाजपेयी ने अपनी एक्टिंग से जान डाल दी थी. इस क्राइम ड्रामा फिल्म में उनकी डायलॉग डिलीवरी और ह्मयूर की भी खूब तारीफ हुई . 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' बाजपेयी की सबसे यादगार फिल्मों में से एक है.

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पिंजर

बदला लेने के लिए हिंदु लड़की को किडनैप करने वाले इस रोल के लिए मनोज बाजपेयी ने नेशनल अवॉर्ड जीता था. उन्होंने फिल्म में राशिद नाम के मुस्लिम व्यक्ति का रोल निभाया था, जो बदला लेने के लिए हिंदु लड़की को किडनैप करता है और फिर उसे दिल दे बैठता है.इस फिल्म में भी मनोज ने अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया. कई सीन तो ऐसे थे कि मनोज को अपनी आखों से सीन एस्टेब्लिश करने थे. और उन्होंने बड़ी सहजता के साथ हर सीन को एक नए मुकाम पर पहुंचा दिया.

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शूल

‘सत्या’ और ‘कौन’ के किरदारों से अलग, इस फिल्म में मनोज वाजपेयी ने एक ऐसे ईमानदार पुलिस अफसर का रोल निभाया, जिसका गुस्सा उसका सबकुछ बर्बाद कर देता है. अपनी एक्टिंग से उन्होंने इस बॉलीवुड मेलोड्रामा को भी जानदार बना दिया था.

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सत्या

ये राम गोपाल वर्मा की 'सत्या' ही थी, जिसने मनोज बाजपेयी को स्टार बनाया और उन्हें उनका पहला नेशनल अवॉर्ड दिलवाया. मुंबई के स्लम से निकलने वाले गैंग्सटर, भीखु मात्रे का रोल बॉलीवुड के टॉप गैंगस्टर रोल में शुमार है. इस फिल्म को रिलीज हुए 20 साल हो चुके हैं, लेकिन इस फिल्म के गाने आज भी उतने ही पसंद किए जाते हैं.

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