23 अक्टूबर को अमेजन प्राइम वीडियो की मोस्ट अवेटेड वेब सीरीज मिर्जापुर-2 रिलीज होने जा रही है. सीरीज के पहले पार्ट में पूर्वांचल के मिर्जापुर जिले के एक अपराधी 'कालीन भईया' के ईर्द-गिर्द बुनी गई कहानी दिखाई गई है. कालीन भईया के किरदार में नजर आए हैं पंकज त्रिपाठी. पूर्वांचल की नब्ज जानने वाले पंकज त्रिपाठी ने द क्विंट से इस सीरीज, चुनाव से लेकर जातिवाद तक पर खास बातचीत की. सबसे पहले तो मिर्जापुर सीरीज पर पंकज त्रिपाठी कहते हैं कि उन्हें किरदार समझने और कहानी समझने में कोई दिक्कत नहीं हुई क्योंकि वो कमोबेश इसी 'दुनिया' से आते हैं और इसे समझते हैं.
कालीन भईया के किरदार को कैसे पसंद कर लिया? इस सवाल के जवाब में पंकज त्रिपाठी कहते हैं,
छात्र आंदोलन में मैं रहा हूं, मैं जानता हूं इस दुनिया को और मैंने बहुत सारी किताबें पढ़ी हैं. तो ज्यादा मुश्किल नहीं रहा है.
पंकज त्रिपाठी कहते हैं कि कैरेक्टर को लेकर वो अपने डायरेक्टर पर निर्भर करते हैं और पूरी तरह सरेंडर हो जाते हैं.
'अब समय नहीं मिलता है'
पंकज त्रिपाठी की पॉपुलैरिटी और व्यस्तता आप इस बात से समझ सकते हैं कि साल 2021 तक उनके पास कोई डेट ही नहीं हैं. पंकज का कहना है कि इस इंडस्ट्री में काम करने की चाहत रख उन्होंने सालों गुजारे हैं अब समय आ गया है कि काम इतना है कि वक्त की कमी है. पिछले दो सालों से बिना किसी वीकली ऑफ वो काम कर रहे हैं.
बिहार चुनाव कितना बदल गया है?
बिहार चुनाव का माहौल है, पहले और अब में कितना अंतर आया है? इस सवाल के जवाब में पंकज कहते हैं कि काफी कुछ बदल गया है, वो बूथ कैप्चरिंग का भी जिक्र करते हैं कि अब वो सब कम से कम खत्म हो गया है. वो कहते हैं कि न्यूटन फिल्म का एक डायलॉग है- 'भले ही कोई गुंडा चुनकर आ जाए, लेकिन हम चुनाव में गुंडागर्दी नहीं होने देंगे.'
पंकज त्रिपाठी कहते हैं कि अभी बहुत सारी चीजें हैं जो बदलना है. जाति, धर्म के बंधन से निकलकर लोकतंत्र की खूबसूरती बरकरार रखी जा सकती है.
देखिए पंकज त्रिपाठी के साथ ये खास बातचीत.
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