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सेट पर सबसे ज्यादा नखरे मेरे पति ने दिखाए: सीमा पाहवा

‘बरेली की बर्फी’ समेत कई फिल्मों में नजर आ चुकी हैं सीमा पाहवा

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आप इन्हें 'दम लगा के हईशा', 'बरेली की बर्फी' और 'शुभ मंगल सावधान' में हीरोइन की मां के रूप में जानते होंगे, लेकिन अब एक्टर सीमा पाहवा ने डायरेक्टशन की कमान भी संभाल ली है. 'रामप्रसाद की तेरहवीं' से सीमा पाहवा ने डायरेक्टशन में कदम रखा है.

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फिल्म जियो मामी मुंबई फिल्म फेस्टिवल में स्क्रीन की गई, जहां इसे स्टैंडिंग ओवेशन मिला है.

डायरेक्टर के तौर पर पहली फिल्म, पति मनोज पाहवा (जाने-माने एक्टर) के साथ सेट पर अंडरस्टैंडिंग और बॉलीवुड में उम्रदराज महिलाओं को मिल रहे कम रोल्स पर सीमा पाहवा से क्विंट ने की खास बात.

‘मेरा फिल्म डायरेक्ट करने का कोई इरादा नहीं था. मैंने स्क्रिप्ट लिखी थी और सोचा था कि इसमें काम करूंगी. मेरे दोस्तों ने डायरेक्ट करने के लिए कहा.’
सीमा पाहवा, एक्टर-डायरेक्टर

इस फिल्म की कहानी पाहवा के दिमाग में उनके पिता की मौत के बाद से ही था. 2015 में 'दम लगा के हईशा' की शूटिंग के दौरान उन्होंने इसे लिखना शुरू किया.

'रामप्रसाद की तेरहवीं' एक इमोशनल और फनी फैमिली ड्रामा है, जिसमें नसीरुद्दीन शाह, विनय पाठक, सुप्रिया पाठक, कोंकणा सेन शर्मा, विक्रांत मैसी और पाहवा के पति, मनोज पाहवा और उनकी बेटी, मनुकृति लीड रोल में हैं.

‘मनोज का कहना था कि एक डायरेक्टर के तौर पर तुम्हारी अपनी आजादी होगी. मैं सेट पर रहूंगा तो तुम्हें शायद कुछ बोलने-कहने में परेशानी हो, डायरेक्ट करने में दिक्कत आए. मनोज ने साफ कहा कि उनके अंदर भी क्या पता इगो आ जाए कि सेट पर मुझे डांट रही है. उन्होंने पूछा कि तुम मुझे क्यों कास्ट कर रही हो, क्योंकि मैं तुम्हारा पति हूं? तो मैंने कहा क्योंकि तुम बहुत अच्छे एक्टर हो.’
सीमा पाहवा, एक्टर-डायरेक्टर

'सांड की आंख' में उम्रदराज महिलाओं की जगह तापसी और भूमि को कास्ट करने पर काफी बहस चल रही है. बॉलीवुड में उम्रदराज महिलाओं को मिल रहे कम रोल्स पर सीमा पाहवा ने कहा कि उन्हें 'सांड की आंख' में दोनों की कास्टिंग से कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने कहा, 'वो दोनों भी एक्टर के तौर पर एक्सपेरिमेंट करना चाहेंगी. हमें ज्यादा रोल्स नहीं मिलना अलग बात है.'

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