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ऑस्कर में पहुंची ‘मोतीबाग’, साधारण किसान की असाधारण कहानी... 

उत्तराखंड के साधारण से किसान विद्या दत्त शर्मा की कहानी 

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यूं तो हर साल सैकड़ों अवॉर्ड फंक्शन होते हैं. लेकिन ऑस्कर अवार्ड से नाम जुड़ना हर एक्टर, एक्ट्रेस का सपना होता है. ये अवॉर्ड और भी खास हो जाता है जब छोटे कस्बों, जमीनी हालात और असली कहानीयों पर आधारित फिल्में इस रेस में शामिल होती हैं. ऐसी ही कहानी है, उत्तराखंड के साधारण से किसान विद्या दत्त शर्मा की. जिनकी जिंदगी पर फिल्माई गई डॉक्यूमेंट्री ‘मोतीबाग’ऑस्कर के लिए चुनी गई है.

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कौन हैं विद्या दत्त शर्मा?

विद्यादत्त शर्मा उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल रहने वाले एक साधारण से किसान हैं. उन पर आधारित ये डॉक्यूमेंट्री पलायन, पर्यावरण, खेती-किसान, श्रम साधना और वर्तमान वयवस्था पर सीधी चोट करती है. पौड़ी जनपद के कल्जीखाल ब्लॉक के सांगुड़ा निवासी 83 साल के किसान विद्या दत्त की ये फिल्म उत्तराखंड की पहली फिल्म है, जो ऑस्कर जैसे मंच पर पहुंची है. विद्यादत्त शर्मा ने 25 साल की उम्र में राजस्व विभाग की नौकरी से इस्तीफा देकर खेती-किसानी शुरू कर दी थी.

क्या है फिल्म की कहानी?

ये यह डॉक्यूमेंट्री खामोशी से पलायन, जल संरक्षण, खेती से लोगों के अलगाव जैसे कई मुद्दों को छूती है. ये फिल्म उस बुजुर्ग इंसान की सच्ची कहानी को पर्दे पर लाती है, जो अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर खेती की तरफ रुख करता है और और गांव में ‘मोतीबाग’ और वर्षा जल को रोकने के लिए सुखदेई जलाशय बनाया. पलायन के कारण गांव खाली हो जाने से वे नेपाली मूल के लोगों के साथ खेती कर रहे हैं.

फिल्म का डायरेक्शन तीन बार के नेशनल अवॉर्ड विनर निर्मल चंद्र डंडरियाल ने किया है. बतौर डायरेक्टर निर्मल की पहली डॉक्यूमेंट्री 2008 में ‘ALL THE WORLD’S A STAGE’ रिलीज हुई थी. साल 2008 से साल 2019 तक निर्मल 9 डॉक्यूमेंट्री बना चुके हैं. उत्तराखंड के तो वह अकेले ऐसे फिल्मकार हैं, जिन्हें तीन नेशनल अवॉर्ड हासिल हुए हैं.

‘’मोती बाग’ को न सिर्फ ऑस्कर के लिए नॉमिनेशन मिला है, बल्कि केरल के इंटरनेशनल शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री के अवॉर्ड से नवाजी जा चुकी है.

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