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अलविदा अल्काजी: नसीर,अनुपम, ओम पुरी जैसे दिग्गजों के गुरू नहीं रहे

अपने शानदार करियर के दौरान इब्राहिम अल्काजी ने 50 से अधिक नाटकों का मंचन किया.

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आधुनिक थियेटर के जनक माने जाने वाले नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) के पहले डायरेक्ट इब्राहिम अल्काजी का 4 अगस्त को 94 साल की उम्र में निधन हो गया. अल्काजी का जाना भारतीय थियेटर जगत के लिए एक बड़ी क्षति है. उनके निधन पर राष्ट्रपति कोविंद, पीएम मोदी से लेकर फिल्म-थियेटर जगत की तमाम हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है.

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“इब्राहीम अल्काजी का निधन नाट्यक्षेत्र की अपूरणीय क्षति है. वे भारतीय नाट्य जगत के एक दिग्गज थे जिनसे कलाकारों की कई पीढ़ियों को मार्गदर्शन व प्रेरणा मिली. पद्म विभूषण से सम्मानित अल्काजी की विरासत अमर रहेगी. उनके परिवार, विद्यार्थियों व कलाप्रेमियों के प्रति मेरी शोक संवेदनाएं!”
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

1925 में पुणे में जन्में अल्काजी एक अमीर सउदी परिवार से आते थे. जब वो यूनिवर्सिटी के लिए मुंबई आए, तो उनकी मुलाकात अलीक पदमसी के छोटे भाई सुल्तान 'बॉबी' पदमसी से हुई. अल्काजी उनके थियेटर ग्रुप से जुड़ गए और यहीं से शुरू हुआ उनकी थियेटर का सफर.

पीएम मोदी ने इब्राहिम अल्काजी को याद करते हुए लिखा, “थियेटर को देशभर में पॉपुलर बनाने और इसकी पहुंच बढ़ाने के लिए श्री इब्राहिम अल्काजी को हमेशा याद रखा जाएगा. कला और संस्कृति के क्षेत्र में उनका योगदान सराहनीय है.”

1948 में अल्काजी रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक्स आर्ट से पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए. वापस मुंबई लौटकर उन्होंने भारतीय थियेटर में जान फूंकने का काम किया. अल्काजी ही थियेटर को बंद कमरे से निकालकर दिल्ली के पुराना किला और फिरोजशाह कोटला जैसी खुली जगह में लेकर आए.

1962 में अल्काजी ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा की कमान संभाली और सबसे लंबे समय तक वो इसके डायरेक्टर रहे. उन्हें एक सख्त अनुशासक के रूप में जाना जाता था, जिन्होंने NSD के डायरेक्टर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान थिएटर प्रशिक्षण के लिए एक ब्लू प्रिंट प्रदान किया था.

अपने शानदार करियर के दौरान 50 से अधिक नाटकों का मंचन किया और 1950 में बीबीसी ब्रॉडकास्टिंग अवार्ड जीता. उनके द्वारा निर्देशित कुछ प्रमुख नाटकों में गिरीश कर्नाड का ‘तुगलक’, मोहन राकेश का ‘आषाढ़ का एक दिन’, धर्मवीर भारती का ‘अंधा युग’ के अलावा कई ग्रीक ट्रेजडी और शेक्सपियर के प्ले शामिल हैं.

50 साल की उम्र में NSD से विदाई लेकर अल्काजी ने कंटेंपररी आर्ट के क्षेत्र में काम कर रहे आर्टिस्ट को प्रोत्साहन देने के लिए अपनी पत्नी, रौशन के साथ दिल्ली में आर्ट हेरिटेज गैलरी की स्थापना की.

इब्राहिम अल्काजी ने देश के कई दिग्गज कलाकारों को तराशने का काम किया था. नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, दिवंगत ओम पूरी, अनुपम खेर जैसे सितारे अल्काजी को अपना गुरू मानते हैं.

“जो भी मेरी पूंजी है वो उनकी दी हुई है. उन्होंने बहुत सारे एक्टर्स की जिंदगी संवारी है. उन्होंने थियेटर, हमारी इज्जत बढ़ाई. उन्होंने हमारी पहचान कला और संस्कृति से कराई. उन्होंने ही हमें इंसान बनाया. क्या कहूं ऐसे शख्स के बारे में जिससे आपने सबकुछ सीखा है. वो कहते थे, जितना बड़ा आपका दिमाग होगा, उतनी बड़ी आपकी दुनिया होगी, और जितना गहरा आपका दिल होगा, उतनी गहराई तक मानवता समाएगी.
अपने गुरु को श्रद्धांजलि देते हुए अनुपम खेर ने कहा

एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दकी ने अल्काजी को मॉडर्न थियेटर का कर्ता-धर्ता बताया.

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा ने भी अपने पूर्व डायरेक्टर को याद किया है.

कला और संस्कृति में उनके योगदान के लिए अल्काजी को 1966 में पद्मश्री, 1991 में पद्मभूषण और 2010 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया.

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