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‘ह्यूमन कंप्यूटर’ शकुंतला देवी कौन थीं? जिन्होंने भारत का नाम रोशन किया

चंद सेकेंड्स में मुश्किल से मुश्किल मैथ प्रॉब्लम सॉल्व कर लेती थीं शकुंतला देवी

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शकुंतला देवी कोई आम नाम नहीं है, ये वो शख्सियत थीं, जिन्होंने दुनियाभर में भारत का नाम रोशन किया. 'ह्यूमन कंप्यूटर' के नाम से मशहूर शकुंतला मुश्किल से मुश्किल मैथ्स की कैलकुलेशन आसानी से कर लेती थीं.

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कन्नड़ परिवार में जन्मीं शकुंतला देवी बचपन से ही मैथ्स में काफी तेज थी. उनके पिता को बेटी का ये टैलेंट तीन साल की उम्र में ही पता चल गया था. इसे लेकर उनका एक किस्सा काफी मशहूर है.

पिता ने ऐसे पहचाना टैलेंट

देवी अपने पिता के साथ कार्ड्स खेल रही थीं, जब उनके पिता ने बेटी के अंदर छिपी प्रतिभा को पहचाना. एक के बाद एक गेम जीततीं जा रहीं देवी के पिता को लगा कि ये लक है या फिर वो चीटिंग कर रही हैं, लेकिन उनकी बेटी ने पिता के इस खयाल को जल्द ही झूठा साबित कर दिया. शकुंतला देवी तीन साल की उम्र में अपने पिता को कार्ड्स के गेम में हराने में इसलिए कामयाब रहीं, क्योंकि वो कार्ड नंबर और सीक्वेंस को याद करती जा रहीं थीं और फिर प्रोबेबिलिटी को कैलकुलेट कर इसका फायदा ले रही थीं.

4-5 साल की उम्र से ही शकुंतला देवी ने मैथ्स प्रॉबल्म को सॉल्व कर परफॉर्मेंस देना शुरू कर दिया था. सिर्फ 6 साल की उम्र में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मैसूर में परफॉर्म किया था. शकुंतला देवी के लिए मैथ्स की बड़ी से बड़ी प्रॉब्लम भी छोटी थी. 13 डिजिट के मल्टीप्लिकेशन से लेकर किसी भी नंबर का क्यूब रूट निकालना, उनके लिए बांए हाथ का खेल था.

जब गिनीज बुक में दर्ज हुआ नाम

दुनियाभर में अपना टैलेंट दिखाने वालीं शकुंतला देवी का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है. 18 जून, 1980 का वो दिन, जब उन्होंने केवल 28 सेकेंड्स में एक मुश्किल मैथ्स प्रॉब्लम को सॉल्व किया था. लंदन के प्रतिष्ठीत इंपीरियल कॉलेज के कंप्यूटर डिपार्टमेंट ने कुछ नंबर्स उठाकर उनसे एक मल्टीप्लिकेशन सवाल पूछा- 7,686,369,774,870 x 2,465,099,745,779 कितना होता है. इस कठिन सवाल का जवाब उन्होंने केवल 28 सेकेंड में दे दिया. सबसे हैरान की बात ये थी कि इस 28 सेकेंड में वो समय भी शामिल था, जिसमें उन्होंने 26 डिजिट का जवाब (18,947,668,177,995,426,462,773,730) पढ़कर सुनाया.

अपनी किताब 'द ग्रेट मेंटल कैल्कुलेटर्स' में येल के प्रोफेसर स्टीवन बी स्मिथ ने इस रिजल्ट को अविश्वसनीय बताया. उन्होंने लिखा, ‘रिजल्ट पहले से रिपोर्ट की गई किसी भी चीज से इतना बेहतर है कि इसे केवल अविश्वसनीय के रूप में बयां किया जा सकता है.

शकुंतला देवी एक गिफ्टेड टैलेंट थीं. द न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने एक आर्टिकल में देवी की शख्सियत को बयां करते हुए लिखा था,

‘वो ये भूल गई थीं कि वो इससे पहले अमेरिका आई हैं, लेकिन वो आपको 188,132,517 या किसी भी दूसरे नंबर का क्यूब रूट बता सकती हैं. अगर आप उन्हें सदी में पहले की कोई भी तारीख पूछेंगे, तो वो बता देंगी कि उस दिन कौन सा वार था. ये सब वो अपने दिमाग में करती हैं.’

शकुंतला देवी का दिमाग इतना तेज था कि वो किसी भी सवाल का जवाब, सवाल खत्म होने से पहले ही दे देती थीं.

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होमोसेक्सुएलिटी पर लिखी किताब

'मैथ्स जीनियस' और 'ह्यूमन कंप्यूटर' शकुंतला देवी एस्ट्रोलॉजर भी थीं, लेकिन मैथ्स के अलावा अगर उन्हें किसी चीज के लिए जाना जाता है, तो वो है समलैंगिकता पर लिखी उनकी किताब के लिए. देवी ने 1977 में 'द वर्ल्ड ऑफ होमोसेक्सुएलिटी' लिखी थी. इसे भारत में होमोसेक्सुअल्स पर शुरुआती स्टडी में से एक कहा जाता है.

मैथ्स की समस्याएं हल करने वालीं शकुंतला देवी ने होमोसेक्सुएलिटी पर किताब एक समलैंगिक पुरुष से शादी के बाद लिखी थी. आईएएस ऑफिसर से शादी करने वालीं देवी का 1979 में तलाक हो गया था. इस किताब में उन्होंने होमोसेक्सुएलिटी को खुले दिल से अपनाने के लिए कहा था. उन्होंने कहा था कि हम इसके प्रति सिर्फ सहानुभूति नहीं दिखाएं, बल्कि इसे पूर्ण रूप से स्वीकार करें.

वो समय अब खत्म हो गया है, जब यह दिखावा करने के बजाय कि समलैंगिकों का अस्तित्व नहीं है, या उन्हें अस्वीकृति या जेल भेजने के बारे में सोचें, हम तथ्यों को देखें और उसका समाधान ढूंढने का प्रयास करें.
‘द वर्ल्ड ऑफ होमोसेक्सुअल्स’ में शकुंतला देवी
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इंदिरा गांधी के खिलाफ लड़ा था लोकसभा चुनाव

1980 में शकुंतला देवी ने लोकसभा चुनाव भी लड़ा. उन्होंने मेदक से इंदिरा गांधी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन संसद पहुंचने में नाकाम रही थीं.

4 नवंबर, 1929 को जन्मीं शकुंतला देवी का 21 अप्रैल, 2013 को निधन हो गया था. एक्टर विद्या बालन इस महान शख्सियत की जिंदगी को बड़े पर्दे पर फिर जिंदा करने जा रही हैं.

इसे 'फोर मोर शॉट्स प्लीज' और 'वेटिंग' बना चुकीं अनु मेनन ने डायरेक्ट किया है. फिल्म अमेजन प्राइम पर रिलीज होगी.

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