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बर्थडे स्पेशल: ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार की जिंदगी का सफर

दिलीप कुमार ने 5 दशकों तक बॉलीवुड में अपनी दमदार अदाकारी से राज किया.

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एक नौजवान, जिसने 20 साल की उम्र तक कोई फिल्म नहीं देखी, वो एक दिन बॉलीवुड का सबसे करिश्माई नायक बन गया. वो नायक जिसकी फिल्में देखकर अमिताभ, धर्मेंद्र जैसे कलाकार भी उनके जैसा बनने का ख्वाब देखा करते थे. अपनी अदाकारी के दम पर वो आम युवक बॉलीवुड का ट्रेजडी किंग बन जाता है. जी हां, हम बात कर रहे हैं दिलीप कुमार की. 11 दिसंबर को दिलीप कुमार का 97वां जन्मदिन है.

बॉलीवुड में कई दशकों तक अपनी अदाकारी का लोहा मनवाने वाले दिलीप कुमार की जिंदगी के सफर पर एक नजर...

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दिलीप कुमार दुनिया के पहले ऐसे फनकार हैं, जिन्होंने पहली बार मेथड एक्टिंग की, आमतौर पर ये क्रेडिट मार्लन ब्रांडो को दिया जाता है. लेकिन सही मायने में देखा जाता तो इसका क्रेडिट दिलीप कुमार को ही जाता है, वो जब एक्टिंग करते थे, तो वो उस किरदार में इस तरह रम जाते थे कि लगता ही नहीं था कि वो एक्टिंग कर रहे हैं.   

पेशावर में हुआ था जन्म

दिलीप कुमार ने 5 दशकों तक बॉलीवुड में अपनी दमदार अदाकारी से राज किया. दिलीप कुमार का असली नाम यूसुफ खान था. उनका जन्म 11 दिसंबर 1922 को पाकिस्तान के पेशावर में हुआ था. 30 के दशक में उनका परिवार पाकिस्तान से मुंबई शिफ्ट हो गया था.

दिलीप कुमार और राजकपूर बचपन के दोस्त थे, राज कपूर अक्सर उनसे कहते थे कि तुम बड़े होकर एक्टर बनना तो इस बात पर वो यही कहते कि मैं क्यों एक्टर बनूं तुम एक्टर बनो.

देविका रानी ने रखा था दिलीप कुमार नाम

दिलीप कुमार के पिता फलों का कारोबार करते थे, जिसमें वो उनकी मदद किया करते थे. एक दिन उनकी दुकान पर बॉम्बे टॉकीज की मालकिन देविका रानी पहुंचीं और एक खूबसूरत नौजवान को देखकर अपना कार्ड दिया और उन्हें फिल्मों में काम करने का ऑफर दिया. दिलीप कुमार एक्टिंग से अनजान थे. वो देविका से मिलने उनके ऑफिस गए, देविका रानी ने दिलीप साहब को कुछ लाइनें बोलने के लिए दीं. जिसको दिलीप कुमार ने बड़े आराम से अपने अंदाज में बोल दिया. देविका रानी ने तुरंत उनको फिल्म ज्वार भाटा के लिए रोल ऑफर किया.

वैसे दिलीप कुमार का नाम भी देविका रानी ने ही रखा था.

ट्रेजडी किंग बन गए दिलीप कुमार

1948 में आई फिल्म मेला, 1949 में फिल्म अंदाज, यहूदी और विमल रॉय की फिल्म देवदास ने तो दिलीप कुमार को बॉलीवुड का ट्रेजडी किंग बना दिया. उसके बाद अपनी इमेज को बदलते हुए दिलीप कुमार ने कोहिनूर, राम और श्याम जैसी फिल्मों में कुछ हल्के-फुल्के किरदार भी निभाए.

इसके बाद 5 अगस्त 1960 को रिलीज हुई के आसिफ की फिल्म मुगल-ए-आजम, जिसमें दिलीप कुमार ने सलीम का किरदार निभाया और मधुबाला ने अनारकली का. सलीम के किरदार में दिलीप ने जान डाल दी. ये फिल्म उस दौर की बड़ी हिट फिल्मों में से एक थीं.

70 का दशक आते-आते फिल्मों का दौर बदल रहा था, रोमांटिक हीरो राजेश खन्ना और एंग्री यंग मैन अमिताभ बॉक्स ऑफिस पर राज कर रहे थे, लेकिन दिलीप कुमार का दबदबा बरकरार था. फिल्म शक्ति में अमिताभ ने दिलीप कुमार के बेटे का किरदार निभाया था, पिता के रोल में भी वो अमिताभ पर भारी पड़े.

1993 में दिलीप कुमार को फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजा गया. सबसे ज्यादा अवॉर्ड जीतने वाले भारतीय एक्टर भी दिलीप कुमार ही हैं. 1995 मे उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था. 2015 में दिलीप कुमार को पद्म विभूषण सम्मान से नवाजा गया था.

दिलीप कुमार कई सालों से रुपहले पर्दे से दूर हैं, बीमारी की वजह से अक्सर वो घर पर ही रहते हैं. वो अब ज्यादातर अपनी खराब सेहत के चलते ही खबरों में रहते हैं. उम्र के इस पड़ाव पर सायरा बानो का प्यार और देखभाल ही है, जिसका उन्हें स्वस्थ रखने में बड़ा हाथ है.

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