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गंगूबाई काठियावाड़ी: आलिया भट्ट जिसका निभा रही किरदार उनकी कहानी

मुंबई माफिया से करीबी और नेताओं तक पहुंच ने गंगूबाई कोठेवाली कमाठीपुरा की क्वीन बना दिया था.

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वीडियो एडिटर: वीरू कृष्ण मोहन

संजय लीला भंसाली की नई फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी (Gangubai Kathiawadi) में आलिया भट्ट (Alia Bhatt) गंगूबाई का लीड रोल निभा रही हैं. खास तरह से चलने-बोलने का स्टाइल, अलग लुक और 60 के दशक के सेट में आलिया भट्ट जम रही हैं.

इस साल 30 जुलाई को रिलीज होने जा रही इस फिल्म को लेकर और खासकर गंगूबाई काठियावाड़ी को लेकर फैंस में उत्सुकता है. गंगूबाई काठियावाड़ी की जिंदगी में ऐसा क्या खास था जिसे संजय लीला भंसाली बड़े पर्दे पर उतारना चाहते हैं?

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'कमाठीपुरा की क्वीन'

दरअसल, गंगूबाई कोठेवाली, वो नाम जिसे कमाठीपुरा की क्वीन कहा जाता था. गंगूबाई का उस दौर में वो रुतबा था कि बड़े- बड़े लोग उनके नाम से डरते थे. मुंबई माफिया से करीबी और नेताओं तक पहुंच ने गंगूबाई कोठेवाली कमाठीपुरा की क्वीन बना दिया था.

वैसे तो माफिया क्वीन बन चुकी गंगूबाई अपनी मर्जी से कमाठीपुरा नहीं आई थीं. लेखक और जर्नलिस्ट एस. हुसैन जैदी की किताब 'माफिया क्वीन्स ऑफ मुंबई' (जो मुंबई माफिया की महिलाओं पर आधारित है) के मुताबिक, हजारों लड़कियों की तरह वो भी सेक्स ट्रैफिकिंग की शिकार हुई थीं. गंगूबाई का नाम गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी था और वो गुजरात के काठियावाड़ में पली-बढ़ी थीं. एक नामी परिवार से आने वाली गंगा मुंबई आकर हीरोइन बनना चाहती थीं.

जब पति ने लगा दी बोली

16 साल की गंगा को अपने पिता के अकाउंटेंट रामनिक लाल से मोहब्बत हो गई और इसी प्यार में वो उसके साथ भागकर मुंबई चली आईं. 28 साल के रामनिक लाल ने गंगा को मुंबई में एक्टर बनने के बड़े-बड़े सपने दिखाए और फिर उससे शादी कर ली. शादी के बाद दोनों मुंबई आ गए, जहां कुछ ही दिनों बाद रामनिक लाल ने गंगा को 500 रुपये में एक कोठे पर बेच दिया.

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एक्टर बनने का ख्वाब लिए मुंबई आईं थी गंगूबाई

काठियावाड़ की गंगा मुंबई के काठिमपुरा में गंगूबाई बन गई. जैदी की किताब में गंगूबाई के माफिया डॉन करीम लाला से करीबी का भी जिक्र है. किताब के मुताबिक, करीम लाला के गैंग के एक पठान ने गंगूबाई का रेप किया था. गंगूबाई की मदद के लिए जब कोई खड़ा नहीं हुआ, तो इंसाफ के लिए वो खुद करीम लाला से मिलने पहुंच गई थी. करीम लाला ने गंगूबाई को इंसाफ का वादा किया, जिससे भावुक होकर गंगूबाई ने उसकी कलाई पर राखी बांधी थी.

करीम लाला की ‘बहन’ बनने के बाद गंगूबाई का कद कमाठीपुरा में और बढ़ गया था. धीरे-धीरे कमाठीपुरा की पूरी कमान गंगूबाई के हाथ में आ गई. सेक्स वर्कर्स के लिए गंगूबाई ‘गंगूमां’ बन चुकी थीं, जो किसी लड़की की मर्जी के बिना उसे वहां नहीं रखती थीं.
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सेक्स वर्कर्स के हक की लड़ाई

गंगूबाई शहरों में प्रॉस्टीट्यूशन बेल्ट के हक में थीं और हमेशा सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए खड़ी रहती थी. मुंबई के आजाद मैदान में सेक्स वर्कर्स के हक में दिए उनके भाषण को स्थानीय अखबारों ने खूब कवर किया. किताब में गंगूबाई के उस समय देश के प्रधानमंत्री रहे जवाहरलाल नेहरू से मिलने का भी जिक्र है.

गंगूबाई ने कई बच्चों को भी गोद लिया था, जो उनके साथ वहीं रहते थे. ये बच्चे या तो अनाथ थे, या बेघर. गंगूबाई ने इन बच्चों की पढ़ाई और पालने की जिम्मेदारी ली थी.

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