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सुपरहीरो फिल्मों को छोड़ दें तो फिल्म इंडस्ट्री का हाल बुरा है...

देश की फिल्म इंडस्ट्री आउटडेटेड इंफ्रास्ट्रक्टर और पाइरेसी की शिकार है

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एस राजामौली की फिल्म बाहुबली और आमिर खान की फिल्म दंगल ने भारत के बॉक्स ऑफिस में तहलका मचाकर रखा है. हाल के कुछ सालों में इन दोनों फिल्मों जैसी सुर्खियां कोई भी फिल्म नहीं बटोर पाई. जहां बाहुबली में एक राज परिवार के बदले की कहानी थी वहीं दंगल में एक महिला रेसलर के जज्बे की कहानी, दोनों को देसी-विदेशी ऑडिएंस ने खूब पसंद किया.

इन फिल्मों ने कमाई के नए रिकॉर्ड बनाए, लेकिन इसके बावजूद देश की फिल्म इंडस्ट्री अपने सुस्त दौर में ही कही जा सकती है.

हालात ये है कि दुनिया की किसी भी फिल्म इंडस्ट्री से ज्यादा फिल्में बनाने वाली भारत की फिल्म इंडस्ट्री आउटडेटेड इंफ्रास्ट्रक्टर और पाइरेसी की शिकार है. इतनी फिल्में बनाने के बावजूद कमाई के लिहाज से ये हॉलीवुड के आस पास भी नहीं ठहरती है.

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27 अप्रैल को रिलीज हुई बाहुबली सुपरहिट हो चुकी है इस फिल्म ने अबतक कुल करीब 1500 करोड़ की कमाई कर ली है. अपने जबरदस्त विजुअल इफैक्ट्स और स्टोरी लाइन के कारण फिल्म की तुलना हॉलीवुड की फिल्म 300 से भी की जा रही है. वहीं दूसरी तरफ एक महिला पहलवान की असल जिंदगी पर बनी फिल्म दंगल ने चीन के बॉ़क्स ऑफिस पर कब्जा जमा रखा है.

ये दोनों फिल्मों भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के कुछ धीमे सालों के बाद सामने आई हैं. मार्च में जारी केपीएमजी और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स की रिपोर्ट के मुताबिक,

पिछले साल बॉक्स ऑफिस का राजस्व 1.6 फीसदी कम रहा, जबकि भारतीय फिल्मों के विदेशी अधिकारों की बिक्री सहित पूरे इंडस्ट्री में महज 3% की बढ़ोतरी हुई और ये कुल 142.3 अरब रुपये (2.2 अरब डॉलर) रहा वहीं पिछले तीन सालों में ये वृद्धि औसतन 7 फीसदी रही थी.
देश की फिल्म इंडस्ट्री आउटडेटेड इंफ्रास्ट्रक्टर और पाइरेसी की शिकार है
(इंफोग्राफिक्स: ब्लूमबर्ग क्विंट)
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हॉलीवुड की तुलना में बॉलीवुड काफी पीछे

देश की फिल्म इंडस्ट्री पैसे के लिहाज से कम प्रोडक्टिव मानी जाती हैं. अगर आप हॉलीवुड से इसकी तुलना करेंगे तो अंतर अपने आप समझ में आ जाएगा.

  • भारत हर साल करीब 1500-2000 फिल्में बनाता हैं.
  • पिछले साल इससे इंडस्ट्री को 2.2 बिलियन डॉलर का रिटर्न हासिल हुआ.
  • डेलॉइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 में अमेरिका-कनाडा में बनाई गई 700 फिल्मों ने ही कुल 11 बिलियन डॉलर का कारोबार किया.

मतलब आधे से कम फिल्में बनाकर भी कमाई भारत से 500 फीसदी ज्यादा है.

केपीएमजी-फिक्की के मुताबिक, साल 2014 की तुलना में साल 2017 में भारतीय फिल्मों ने कम पॉजिटिव रिटर्न दिया है. यानी इंडस्ट्री फिलहाल सुस्त है. 
देश की फिल्म इंडस्ट्री आउटडेटेड इंफ्रास्ट्रक्टर और पाइरेसी की शिकार है
(इंफोग्राफिक्स: ब्लूमबर्ग क्विंट)
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आखिर कारण क्या हैं?

भारतीय सिनेमा के इस हालात के कई कारण हैं जिनमें खराब बुनियादी ढांचा, कम कौशल, जटिल टैक्स व्यवस्था और बड़ा ब्लैक मार्केट अहम हैं.

  • स्क्रीन की संख्या में भारत दूसरे देशों से पिछड़ता नजर आता है. डेलॉइट के आंकड़ों के मुताबिक देश में हर 10 लाख की आबादी पर 6 स्क्रीन्स हैं, वहीं चीन में इसी आबादी पर 23 स्क्रीन और अमेरिका में 126 स्क्रीन हैं.
  • भारत की फिल्म इंडस्ट्री में 2 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं, इनमें से ज्यादतर लोगों को नौकरी पर प्रशिक्षित किया जाता है और वो नई टेक्नॉलजी को अपनाने के लिए तैयार नहीं दिखते हैं. ऐसे में कौशल विकास एक बड़ा मुद्दा है.
  • डेलॉइट की ही रिपोर्ट के मुताबिक देश को हर साल करीब 190 अरब रुपये का नुकसान पाइरेसी के कारण हो जाता है.


क्षेत्रीय सिनेमा में हो रहा है सुधार

इन सबके बीच अच्छी खबर है कि देश में क्षेत्रीय सिनेमा में उभार नजर आ रहा है. बाहुबली जैसी फिल्मों ने इस विस्तार को और उड़ान दी है.

फिक्की-केपीएमजी की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलमों की क्वालिटी में सुधार हुआ है. साल 2016 में अलग कहानियों वाली संदेश से भरी फिल्मों को सफलता हासिल हुई है, दर्शकों ने भी अच्छी कंटेंट वाली फिल्मों को हाथोंहाथ लेना शुरू कर दिया है.

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