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Jane Campion: फिल्मों में महिलाओं के मुद्दों को उठाया, ऑस्कर ने अवॉर्ड से सजाया

महिला दिवस पर दुनिया भर की महिला फिल्म निर्देशकों पर क्विंट हिदी की खास सीरीज का पहला पार्ट पढ़िए.

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यूं तो सिने-निर्देशन पर पुरुषों का दबदबा रहा है, मगर इस इलाके में अब महिला निर्देशक भी अपनी पैठ बना रही हैं. एंजेला जोली, एलिजाबेथ बैंक्स, जिया कोपोला, सोफिया कोपोला, जेनिफर ली, जेनिफर युह नेल्सन, जूडी फॉस्टर, निक्की कारो, सो यंग किम, सई परांजपे, अपर्णा सेन, मीरा नायर, कल्पना लाजमी, दीपा मेहता, नंदिता दास, रेवती, जोया अख्तर आदि कुछ नाम हैं, जिन्होंने फिल्म डायरेक्शन में अपना नाम कमाया है. जेन कैम्पियन इनमें से एक हैं. Women's Day 2023 पर पढ़िए इनकी ही कहानी.

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30 अप्रैल 1954 को न्यूजीलैंड में जन्मीं जेन एडिथ तथा रिचर्ड कैम्पियन की दूसरी संतान हैं. बड़ी बहन का नाम एना हैं और जेन के छोटे भाई का नाम मैकेल है. माता-पिता ने न्यूजीलैंड नेशनल थियेटर की स्थापना की थी, सो बेटियों पर इसका असर होना ही था. परिवार ऐसा था जहां उनका धर्म रेडियो, टेलिविजन अथवा फिल्म की इजाजत नहीं देता था. मां अवसाद की शिकार थीं और माता-पिता में बनती नहीं थी.

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जेन कैम्पियन ने न्यूजीलैंड से बी.ए. किया और फिर लंदन चली गईं, लेकिन वहां का मौसम रास न आया. इसलिए वो सिडनी गईं और वहां से पेंटिंग में एक और डिग्री ली. ऑस्ट्रेलिया में ही फिल्म एंड टेलिविजन स्कूल से आगे की पढ़ाई की. 1980 में अपनी पहली फिल्म 20 मिनट की ‘टिश्यूज’ बनाई. दो साल बाद 9 मिनट की ‘पील’ बनाई. इन फिल्मों का लेखन, एडिटिंग भी जेन कैम्पियन ने खुद किया. दोनों फिल्में परिवार के भीतर की बुरी परिस्थितियों को दिखाती हैं.

‘पील’ को कई सम्मानित पुरस्कार प्राप्त हुए. बहुत लोगों ने सलाह दी वे विवादास्पद फिल्म न बनाएं, मगर धुनी लोग ऐसी बातों पर ध्यान नहीं देते हैं.
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जेन कैम्पियन ने 21 मिनट की ‘अ गर्ल्स ऑन स्टोरी’ बनाई, जो दो बहनों की एक-दूसरे को नफरत की प्रस्तुति थी. उनकी फिल्म ‘आफ्टर आवर्स’ कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार से जुड़ी है. उनकी 1989 की फिल्म ‘स्वीटी’ ने कान्स फिल्म समारोह में तहलका मचा दिया. एक साल बाद उन्होंने न्यूजीलैंड की प्रसिद्ध लेखक जेनेट फ्रेम के जीवन पर ‘एन एंजेल एट माई टेबल’ बनाई.

महिला दिवस पर दुनिया भर की महिला फिल्म निर्देशकों पर क्विंट हिदी की खास सीरीज का पहला पार्ट पढ़िए.

फिल्म 'द पियानो' का एक सीन

इस फिल्म की पूरे सिने-जगत में प्रशंसा हुई, लेकिन जिस फिल्म के लिए जेन कैम्पियन की ख्याति है, वह है, ‘द पियानो’. लेकिन जब इस फिल्म की वाहवाही हो रही थी और इस मास्टरपीस फिल्म को पॉम ड’ओर पुरस्कार मिला, उसी समय जेन के पहले बच्चे, उनके 12 दिन के बेटे जेस्पर की मौत हो गई.

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‘द पियानो’ एक मूक महिला एडा मैग्राथ (होली हंटर) की कहानी है, जिसे उसकी 9 साल की बेटी फ्लोरा (एना पॉकिन) के साथ उसके पिता ने स्कॉटलैंड से दूर देश न्यूजीलैंड में एक आदमी स्टेवार्ट (सैम नेल) से ब्याह दिया है. क्रूर पति की परवाह न करते हुए ये महिला एक अन्य पुरुष बाइन्स (हर्वी केटल) से संबंध बनाती है. वह शुरु में गिरवी रखे अपने पियानो के लिए संबंध बनाती है. बाद में उसके प्रेम में पड़ जाती है. न्यूजीलैंड के माउरी समुदाय की उपस्थिति फिल्म ‘द पियानो’ की कहानी को अलग मोड़ देती है. पूरी फिल्म में पियानो एक चरित्र के रूप में उपस्थित है.

माइकेल निमैन के संगीत से सजी फिल्म ने 3 ऑस्कर (बेस्ट एक्टर होली हंटर, बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर एना पॉकिन और बेस्ट डायरेक्टर जेन कैम्पियन) जीते. फिल्म महिला शोषण-दमन से जुड़े कई मुद्दों को उठाती है जो आज भी मानीखेज हैं.
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इसके बाद जेन कैम्पियन ने ‘द पोर्ट्रेट ऑफ अ लेडी’, ‘द होली स्मोक’, ‘इन द कट’, ‘द वाटर डायरी’, ‘ब्राइट स्टार’, ‘द पॉवर ऑफ द डॉग’ आदि कई फिल्में बनाई. ‘द पियानो’ के अलावा जेन कैम्पियन को ‘द पॉवर ऑफ द डॉग’ के लिए भी ऑस्कर मिला.

महिला दिवस पर दुनिया भर की महिला फिल्म निर्देशकों पर क्विंट हिदी की खास सीरीज का पहला पार्ट पढ़िए.

फिल्म 'द पावर ऑफ डॉग' का एक सीन

(डॉ विजय शर्मा जमशेदपुर के लॉयला कॉलेज ऑफ एजुकेशन में पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर और हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में विजिटिंग प्रोफेसर हैं. वो सिनेमा पर लंबे समय से लिखती आ रही हैं.)

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